हरिद्वार में मौन व खड़ी तपस्या में लीन बागपत के सुरेश भगत, श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनी यह कठोर साधना
हरिद्वार के कनखल स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर में सुरेश भगत नामक एक साधक 41 दिनों की मौन और खड़ी तपस्या कर रहे हैं। उनका उद्देश्य राष्ट्र कल्याण सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का संरक्षण करना है। वे नौ वर्षों से यह साधना कर रहे हैं जिसमें वे मौन रहते हैं अन्न त्यागते हैं और केवल जल ग्रहण करते हैं। श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने उनकी तपस्या को प्रेरणास्पद बताया है।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। कनखल स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर परिसर में इन दिनों एक कठोर आध्यात्मिक साधना श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। उत्तर प्रदेश के बागपत जनपद स्थित गुरु गोरखनाथ धाम निवासी साधक सुरेश भगत मंदिर परिसर में 41 दिवसीय मौन और खड़ी साधना कर रहे हैं, जो 30 अप्रैल से आरंभ हुई थी तथा 10 जून को विधिवत पूर्ण होगी।
साधक सुरेश भगत का कहना है कि यह साधना वे विगत नौ वर्षों से प्रत्येक वर्ष करते आ रहे हैं, जिसका उद्देश्य राष्ट्र कल्याण, सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति के संरक्षण के लिए जनचेतना का प्रसार करना है। उन्होंने लिखित रूप में बताया कि संपूर्ण साधना अवधि में वे मौन व्रत धारण करते हैं, अन्न का पूर्णतः त्याग करते हुए केवल जल ग्रहण करते हैं और चौबीसों घंटे खड़े रहकर तप में लीन रहते हैं।
सुरेश भगत का विश्वास है कि गंगा तट पर की गई यह साधना न केवल मानव मात्र के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेगी, विश्व में शांति और संतुलन की भावना को भी पुष्ट करेगी। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे सनातन संस्कृति की शक्ति को पहचानें, वह इसलिए यही हमारी मौलिक पहचान है। आज जब समूचा विश्व भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहा है, तब यह आवश्यक है कि हम स्वयं भी अपने आध्यात्मिक मूल्यों को आत्मसात करें।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने सुरेश भगत की तपस्या को अत्यंत प्रेरणास्पद बताते हुए कहा कि सनातन धर्म केवल उपासना की विधि नहीं, अपितु मानवता का आदर्श और सेवा का साक्षात मार्ग है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भगवान महादेव की कृपा से सुरेश भगत का यह उद्देश्य अवश्य पूर्ण होगा।
मंदिर में सेवा दे रहे श्रवण पंडित, योगेश धामा और सोनू ने बताया कि सुरेश भगत पिछले नौ वर्षों से इस कठिन साधना को निरंतर निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भगत का यह तप, निसंदेह, विश्व कल्याण की दिशा में एक अद्वितीय उदाहरण है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।