नैनीताल हाई कोर्ट का आदेश: अखाड़ा परिषद प्रवक्ता लापता, सीबीआई करेगी जांच
नैनीताल हाई कोर्ट ने अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता महंत सुखदेव मुनि के लापता होने के मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। अदालत ने राज्य की जांच एजेंसियों की विफलता पर चिंता जताई। महंत 2017 में ट्रेन से यात्रा करते समय लापता हो गए थे। कोर्ट ने कहा कि निष्पक्ष जांच हर नागरिक का अधिकार है और सीबीआई जांच से लापता महंत का पता लगाने में मदद मिलेगी।

हाई कोर्ट की एकलपीठ ने उत्तराखंड की जांच एजेंसियों के रवैये पर उठाए सवाल। प्रतीकात्मक
जागरण संवाददाता, नैनीताल। हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय पारित करते हुए करीब आठ साल से लापता अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता महंत सुखदेव मुनि से जुड़े मामले की सीबीआइ जांच के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने इस आदेश के साथ ही राज्य की जांच एजेंसियों (पुलिस/सीबीसीआइडी) की ओर से मामले को निष्कर्ष तक नहीं पहुंचा पाने पर गंभीर चिंता व्यक्त करने के साथ सवाल उठाए।
महंत सुखदेव मुनि श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन राजघाट, कनखल (हरिद्वार) के महंत थे। वह अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी थे। 16 सितंबर 2017 को हरिद्वार से लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस ट्रेन से मुंबई यात्रा के दौरान महंत लापता हो गए थे। ट्रेन के भोपाल रेलवे स्टेशन पहुंचने पर उनके शिष्य को वह नहीं मिले। इसके बाद कनखल पुलिस स्टेशन में लापता होने की रिपोर्ट दर्ज हुई।
अदालत ने पाया कि आठ साल बीत जाने के बाद भी जांच एजेंसी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची और इस दौरान जांच को बार-बार एक जांच अधिकारी से दूसरे को हस्तांतरित किया जाता रहा। यहां तक कि एक बार फाइनल रिपोर्ट भी पेश की गई, जिसे मजिस्ट्रेट ने खारिज कर दिया और फिर से जांच के आदेश दिए।
याचिकाकर्ता (महंत सुखदेव मुनि) के अधिवक्ता गोपाल के वर्मा ने दलील दी कि निष्पक्ष व उचित जांच हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। राज्य एजेंसियों की लापरवाही के कारण सीबीआइ को सौंपा जाना अनुच्छेद 14 और 21 के तहत अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है।
हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि देश का एक नागरिक आठ साल से लापता है और जांच एजेंसियां उसका पता नहीं लगा पाई हैं। जिससे अदालत की अंतरात्मा हिल गई है। कोर्ट ने यह भी कहा कि संविधान का अनुच्छेद 21 (जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है) में यह सुनिश्चित करना भी शामिल है कि लापता व्यक्ति के ठिकाने का पता लगाया जाए। इसलिए, न्याय के हित में मामले की जांच सीबीआइ को हस्तांतरित करना आवश्यक समझा गया, ताकि लापता महंत का पता चल सके। अदालत ने राज्य अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से प्राथमिकी से संबंधित अब तक किए गए समस्त जांच रिकार्ड सीबीआइ को सौंपने का आदेश दिया है।

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