कौन हैं दीपा दर्मवाल? जिन्हें मिली जिला पंचायत नैनीताल की कमान, लेकिन इससे पहले हुआ बड़ा बवाल
भाजपा प्रत्याशी दीपा दर्मवाल ने नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की है जिससे वह पांचवीं महिला अध्यक्ष बनीं। चुनाव विवादों से घिरा रहा लेकिन उन्होंने चुनौतियों का सामना करते हुए यह पद हासिल किया है। वित्तीय स्थिति और सदस्यों की अपेक्षाओं को पूरा करना उनके लिए महत्वपूर्ण होगा। विरोधी पक्ष ने इस परिणाम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।

किशोर जोशी, नैनीताल। जिला पंचायत नैनीताल के अध्यक्ष के पद पर भाजपा प्रत्याशी दीपा दर्मवाल ने जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया। दीपा 22 वीं जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। साथ ही लगातार चौथी जबकि पांचवीं महिला जिला पंचायत अध्यक्ष हैं।
इससे पहले दीपा के सजातीय सोबन सिंह दर्मवाल 12 मई 1974 से 11 अगस्त 1977 तक जिला पंचायत अध्यक्ष रहे हैं जबकि दीपा के पति आनंद दर्मवाल पहली दिसंबर 2019 को जिला पंचायत उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं।
जिला पंचायत अध्यक्ष-उपाध्यक्ष पद के लिए चुनाव इस बार खासा विवादों में रहा है। जिला पंचायत सदस्यों को अपने पक्ष में करने की उठापटक दशकों पुरानी रही है लेकिन इस बार पांच सदस्यों के कथित तौर अपहरण से लेकर हाई कोर्ट में लगातार सुनवाई ने इस कुर्सी को चर्चित कर दिया है।
दरअसल ब्रिटिशकाल में जिले के ओखलकांडा के ढोलीगांव निवासी जगन्नाथ पाण्डे को शिक्षा के प्रसार के लिए राय साहब की उपाधि से नवाजा था। आजाद भारत में पाण्डे नैनीताल के पहले जिला पंचायत अध्यक्ष बने।
इसके अलावा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी इंद्र सिंह नयाल 1948 में, श्याम लाल वर्मा 1954 में, शिव नारायण सिंह नेगी कार्यवाहक अध्यक्ष 1969 मेंजबकि सोबन सिंह दर्मवाल 1974 में जिला पंचायत के अध्यक्ष रहे। इसके अलावा आरपी जोशी, बीना आर्या, कुंवर सिंह नेगी, कमलेश शर्मा, सुमित्रा प्रसाद, बेला तोलिया जिला पंचायत अध्यक्ष रहे।
जिला पंचायत में 1958 से 61 तक पहली बार जिला पंचायत में जिलाधिकारी प्रशासक रहे। इसके अलावा 1970 से 1974, 1977 से 1989, दिसंबर 1995 से दिसंबर 1996 तक, 2002 में केवल तीन माह, अक्टूबर 2013 से जनवरी 2014 तक, जनवरी 2014 से अगस्त 2014 तक, अगस्त से दिसंबर 2019 तक जिलाधिकारी के हाथ बतौर प्रशासक कमान रही।
आसान नहीं है अध्यक्ष की राह
नैनीताल: जिले के सबसे बड़े सदन जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी भले ही भाजपा की दीपा दर्मवाल को मिल चुकी हो लेकिन उनके आगे ही राह आसान नहीं है। अध्यक्ष पद पर पराजित कांग्रेस समर्थित पुष्पा नेगी व उनके पति पूर्व प्रमुख लाखन नेगी ने परिणाम की घोषणा के बाद इंटरनेट मीडिया में इस लड़ाई को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने का ऐलान कर डाला है।
जिला पंचायत की वित्तीय हालात बेहतर नहीं हैं, केंद्रीय व राज्य वित्त आयोग की किश्त से ही कर्मचारियों के वेतन-पैंशन तथा विकास कार्यों के लिए बजट की निर्भरता है। दुकानों सहित संपत्तियों से कर वसूली की स्थिति बेहतर नहीं है। सत्ता पक्ष होने के नाते अध्यक्ष को राज्य सरकार व जिला प्रशासन से विकास कार्यों में आसानी से वित्तीय मदद मिलने की उम्मीद है।
जिला पंचायत के सदस्यों की राजनीतिक व क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाएं हैं, जिन्हें पूरा करना बड़ी चुनौती होगी। बहरहाल जिले की पहली कुर्सी को लेकर कानूनी जंग पूरी तरह खत्म नहीं नजर आ रही है।
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