Updated: Wed, 20 Aug 2025 04:57 PM (IST)
नैनीताल हाई कोर्ट ने 18 साल से सुगम क्षेत्र में कार्यरत एक शिक्षक के ट्रांसफर को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से उनके पढ़ाए वाणिज्य विषय के छात्रों के पिछले 10 वर्षों के प्रदर्शन की रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने यह भी पूछा कि उनके छात्र किन पदों पर पहुँचे। शिक्षक का ट्रांसफर पिथौरागढ़ के एक दुर्गम विद्यालय में किया गया है।
जागरण संवाददाता, नैनीताल। हाई कोर्ट ने 18 साल नौ माह तक सुगम के विद्यालय में सेवा के बाद पिथौरागढ़ स्थानांतरण किए जाने को चुनौती देती शिक्षक की याचिका पर सरकार को शिक्षक के पढ़ाए वाणिज्य विषय में 10 साल की बोर्ड परीक्षा में शामिल छात्रों के प्रदर्शन की पूरी रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।
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कोर्ट ने यह भी बताने को कहा है कि संबंधित शिक्षक के पढ़ाए छात्र-छात्राएं किन-किन पदों तक पहुंचे हैं। कोर्ट ने टिप्पणी की कि शिक्षक की तैनाती कब-कहां करनी है यह विभाग का अधिकार है। मामले में अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी।
मंगलवार को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में राजकीय इंटर कालेज बरखेड़ा, काशीपुर (ऊधम सिंह नगर) के वाणिज्य विषय के शिक्षक राजेंद्र सिंह की याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा गया है कि हाल ही में शिक्षा विभाग ने उनका स्थानांतरण पिथौरागढ़ जिले के ऐसे दुर्गम विद्यालय में कर दिया है, जहां वाणिज्य विषय पढ़ने वाले छात्र नहीं हैं।
यह स्थानांतरण अधिनियम का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना था कि वह वहां जाने को तैयार हैं, जहां वाणिज्य विषय के छात्र हों। याचिका का विरोध करते हुए सरकार की ओर से कहा गया कि ट्रांसफर एक्ट के अनुसार सुगम-दुर्गम में कार्यरत शिक्षकों की वरीयता सूची तैयार की गई है।
याचिकाकर्ता को सुगम में 18 साल नौ माह हो चुके हैं जबकि दुर्गम में उन्होंने बेहद कम सेवा दी है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सेना के जवान की तैनाती का उदाहरण दिया। साथ ही कहा कि शिक्षक को स्थानांतरित स्थान पर जाना चाहिए। कोर्ट ने इस मामले में अब शिक्षक के दसवीं व 12वीं बोर्ड परीक्षा में पिछले एक दशक में पढ़ाए छात्रों के रिजल्ट का पूरा रिकॉर्ड पेश करने के निर्देश दिए है।
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