शिकारी के फंदे के बाद भी शावकों का ध्यान रख रही बाघिन, अब लोहे की जकड़न से आजाद होगा 'ममता' का दामन
तराई पूर्वी वन प्रभाग के सुरई रेंज में एक बाघिन शिकारी के फंदे में जकड़ी हुई है। 2018 में फंदे में फंसने के बाद से वह लगातार पीड़ा झेल रही है। दो बार शावकों को जन्म दे चुकी है लेकिन वन विभाग उसे बचाने में सफल नहीं हो पाया। अब जब शावक बड़े हो रहे हैं तो विभाग फंदे से उसे आजाद कराने की तैयारी कर रहा है।

राजेंद्र सिंह मिताड़ी, जागरण खटीमा (ऊधम सिंह नगर)। उप्र के पीलीभीत से सटे तराई पूर्वी वन प्रभाग के सुरई रेंज के जंगल में एक बाघिन अपने जीवन का कठिन संघर्ष कर रही है। शिकारी के फंदे से मिल रही पीड़ा को अपने शरीर पर झेलते हुए भी मां होने की जिम्मेदारी को बड़े धैर्य से निभा रही है।
दो बार गर्भधारण कर शावकों को जन्म दे चुकी इस मां के दर्द को समझते हुए भी वन विभाग उसे निजात नहीं दिला पा रहा था। अब जब उसके शावक बड़े हो रहे हैं तो विभाग की तैयारी भी होने लगी है कि ममता का जो दामन लोहे की जकड़न में है उसे उससे आजाद करा दिया जाए।
वर्ष 2018 में शिकारियों के फंदे की गिरफ्त में बाघिन आ गई थी। तब फंदे को तोड़ बाघिन उस कैद से तो आजाद हो गई थी, लेकिन उसका क्लच वायर उसके पेट में कस गया था। इस फंदे के कारण वह हर पल पीड़ा झेल रही है। जंगल किनारे लगाए गए ट्रैप कैमरे से उसकी तस्वीरें और वीडियो सामने आए।
वन्यजीव विशेषज्ञ व पशु चिकित्सकों ने उसकी स्थिति का विश्लेषण किया तो पता चला कि बाघिन वयस्क है और उसका वजन भी बढ़ रहा है। शुरुआत में बने घाव तो धीरे धीरे भर गए, लेकिन बढ़ते वजन के कारण उसके फंदे की जकड़न और सख्त हो गई। ट्रैकुलाइज कर उसके पेट के हिस्से में फंसा तार हटाने की योजना बनी, लेकिन पता चला कि उसके तीन शावक भी हैं। तब ये शावक ही उसे बेहोश कर आपरेशन की राह में बाधक बन गए।
विभाग को यह कदम बाघिन व उसके शावकों को सुरक्षा के लिहाज से ठीक नहीं लगा। लेकिन एक मां अपनी पीड़ा को सहते हुए भी अपने शावकों के लिए हाल बनी रही। समय गुजरा और शावक स्वयं शिकार लायक हो गए। बाघिन भी दोबारा गर्भवती हो गई और करीब डेढ़ साल पूर्व उसने फिर तीन शावकों को जन्म दिया।
इसके बाद वन विभाग ने बाघिन के प्रवास स्थल वाले क्षेत्र में 25 कैमरा ट्रैप लगा दिए। उसको स्थिति पर निगाह रखी गई। विभाग का मानना है कि डेढ़-दो साल के भीतर शावक अपना शिकार स्वयं करने की स्थिति में आ जाते हैं। अब जैसे ही शावक जंगल की राह पकड़ेंगे, वन विभाग बाघिन को फंदे की कैद से मुक्ति दिलाएगा।
वन विभाग लगातार बाघिन की निगरानी कर रहा है। उसके तीन शावक डेढ़ साल की उम्र पार कर चुके हैं। विभाग उसे उस फंदे से आजाद करने की तैयारी कर रहा है।
- हिमांशु बागड़ी, डीएफओ तराई पूर्वी वन प्रभाग, हल्द्वानी
वन्यजीव चिकित्सकों की टीम निरीक्षण कर चुकी है। ट्रैप कैमरों से अपडेट लिया जा रहा है। अब उच्चाधिकारियों की सलाह पर आगे की प्रक्रिया शुरू करेंगे।
- राजेंद्र मनराल, वन क्षेत्राधिकारी सुरई रेंज, खटीमा
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।