Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बारूद की ढ़ेर पर है 90 प्रतिशत गांव, 18 वर्षों में खाक हुए 438 से अधिक मकान; ये है अग्निकांड की प्रमुख घटनाएं

    Updated: Mon, 27 May 2024 08:15 PM (IST)

    मोरी क्षेत्र के 90 प्रतिशत गांवों में भवनों का निर्माण देवदार और कैल की लकड़ी से ही हुआ है। जिनमें छोटी से लापरवाही बड़े अग्निकांड को घटित कर देती है। ...और पढ़ें

    Hero Image
    बारूद की ढ़ेर पर है 90 प्रतिशत गांव

    जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। Uttarkashi Fire: मोरी तहसील के सुदूरवर्ती गांव में हर वर्ष अग्निकांड हो रहे हैं। पिछले 18 सालों में केवल मोरी तहसील क्षेत्र में 438 से अधिक मकान जलकर खाक हुए हैं। इन घटनाओं में दो ग्रामीण और सैकड़ों मवेशी जिंदा जले हैं। अग्निकांड का मुख्य कारण देवदार, कैल की लकड़ी से बने भवन हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मोरी क्षेत्र के 90 प्रतिशत गांवों में भवनों का निर्माण देवदार और कैल की लकड़ी से ही हुआ है। जिनमें छोटी से लापरवाही बड़े अग्निकांड को घटित कर देती है। ऐसे में देवदार और कैल की लकड़ी बारूद का काम करती हैं।

    मोरी क्षेत्र में लंबे समय से काम कर रही तरुण पर्यावरण विज्ञान संस्था के अध्यक्ष नागेंद्र दत्त कहते हैं कि पहाड़ों में 80 से 100 मकानों का एक गांव होता है। अगर पिछले 18 वर्षों में मोरी में हुई घटनाएं की बात करें तो पांच गांव के पूरे मकान जल चुके हैं। ऐसे अग्निकांडों से अपने घर बचाने के लिए ग्रामीणों को भी सतर्क होने की जरूरत है और प्रशासन को भी इस मानव जनित आपदा को रोकने के लिए गहन चिंतन की जरूरत है।

    मोरी तहसील में अग्निकांड की प्रमुख घटनाएं

    • 2006 - ढाटमीर गांव में 120 भवन जले, 6 अन्न कुठार व 7 मवेशी जले।
    • 2007 - ओसाला गांव में 53 भवन जले और 83 मवेशी झुलस कर मरे ।
    • 2008 -जखोल में 44 आवासीय भवन, कोटगांव में 8, नैटवाड़ 5 भवन, भीतरी 2 भवन, मजेणी में 2 भवन जले
    • 2009- सिदरी गांव में 25 भवन, पिता-पुत्री जिंदा जले, 9 पशु जले व इसी वर्ष सुचाण गांव 8 भवन जले।
    • 2011-धारा गांव 5 मकान जले तथा 15 पशुओं की मौत हुई, जबकि पैंसर 14 भवन
    • 2012 -पांव तल्ला गांव 7 भवनों में आग लगी।
    • 2013 - सुनकंडी गांव में 22 भवन और सटूड़ी में तीन भवन जलकर खाक हुए
    • 2014- जखोल में 16 भवन तथा 13 कोठार जलकर राख हुए।
    • 2016- रैक्चा में 9 भवन जले
    • 2017 में सेवा गांव में 4 भवन जले
    • 2018- सावणी में 29 भवन जलकर खाक हुए, करीब 100 मवेशी भी जिंदा जले
    • 2020- मसरी में 28 भवन जलकर हुए खाक
    • 2021- सिरगा में तीन भवन जले
    • 2022- गंगाड़ में दो भवन जले
    • 2024 - सालरा गांव में 14 भवन जलकर खाक

    यह भी पढ़ें- Uttarkashi में भीषण अग्निकांड, आधा दर्जन घरों में लगी आग; पुलिस व SDRF रवाना...वायु सेना से मांगी गई मदद