Uttarkashi Cloudburst: सैटेलाइट की तस्वीरों से तबाही का खुलासा, एक KM में पसरा मलबा; 200 बिल्डिंग ध्वस्त
उत्तराखंड के धराली में आई जलप्रलय का आकलन सेटेलाइट चित्रों से किया जा रहा है। एनआरएससी के कार्टोसेट चित्रों से पता चला है कि एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र मलबे से भर गया है जिसमें कई भवन और सेना का प्रतिष्ठान भी प्रभावित हुआ है। बादलों के कारण ऊपरी क्षेत्र की स्थिति स्पष्ट नहीं है। शुक्रवार को बादलों के पार देखने वाली तकनीक से और जानकारी मिलने की उम्मीद है।

इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर के कारटोसेट सेटेलाइट चित्रों से निकाला गया निष्कर्ष
खीर गंगा के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में बादल बने हैं चुनौती, शुक्रवार तक तस्वीर होगी साफ
सुमन सेमवाल, उत्तरकाशी। धराली में आई जलप्रलय की विभीषिका का आकलन देशभर के विज्ञानी सेटेलाइट चित्रों के आधार पर कर रहे हैं। ताकि स्पष्ट रूप से यह कहा जा सके कि खीर गंगा के ऊपर श्रीकंठ पर्वत की चोटियों के आसपास जलग्रहण क्षेत्र में ऐसा क्या हुआ कि इतनी बड़ी तबाही आई।
इसरो के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (हैदराबाद) के कारटोसेट सेटेलाइट के चित्र जारी किए हैं। इनमें आपदा से पूर्व 13 जून और आपदा के बाद सात अगस्त की स्थिति दर्शाई गई है।
उत्तरकाशी के धराली में आपदा से पूर्व (बाएं 13 जून 2025) और बाद (दाएं 7 अगस्त 2025) का सेटेलाइट चित्र। सौ. इसरो
इन सेटेलाइट चित्रों का विश्लेषण उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के पूर्व निदेशक और वर्तमान में एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के भूविज्ञान के प्रमुख प्रो. एमपीएस बिष्ट ने किया है।
उनके अनुसार चित्रों में ऊपरी क्षेत्र में बादलों के कारण स्थिति स्पष्ट नहीं की जा सकी है, लेकिन निचले क्षेत्रों में तबाही पर स्थिति स्पष्ट हो रही है। विश्लेषण से यह साफ है कि जलप्रलय ने धराली के करीब एक वर्ग किलोमीटर भाग को चपेट में लिया है। इस क्षेत्र में मलबा भरा है।
उत्तरकाशी के धराली में बादल फटने के दौरान (ऊपर) और बाद (नीचे) का दृश्य।
पूर्व के सेटेलाइट चित्र के अनुसार 200 के करीब भवन इसकी सीधी जद में आए हैं। साथ ही सेना का एक प्रतिष्ठान भी जद में आया है। एक वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र प्रभावित होना यह बताता है कि जलप्रलय का न सिर्फ वेग तीव्र था, बल्कि उसने अनुमान से कहीं अधिक तबाही मचाई है।
बादलों के पार देखने की तकनीक से युक्त सेटेलाइट चित्रों का इंतजार
नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर से शुक्रवार को बादलों के पार देखने की क्षमता वाली सेटेलाइट तकनीक से युक्त चित्र जारी किए जाएंगे। इसके बाद कहा जा सकता है कि आपदा की मुख्य वजह क्या थी। फिलहाल यह कहा जा सकता है कि बादल फटने के अलावा ऊपरी क्षेत्र में कुछ अलग घटना हुई है।
यह है कारटोसेट-3
- कारटोसेट-3 उच्च क्षमता का उपग्रह है, जो पृथ्वी की सतह की विस्तृत छवियां प्रदान करता है। इसकी विशेषताएं निम्नलिखित हैं।
- पैनक्रोमैटिक रेजोल्यूशन: 0.25 मीटर (या 25 सेमी), जो इसे दुनिया के उच्चतम रेजोल्यूशन वाले इमेजिंग उपग्रहों में से एक बनाता है।
- मल्टीस्पेक्ट्रल रेजोल्यूशन: एक मीटर (या कुछ स्रोतों के अनुसार 1.13 मीटर), जिसमें चार स्पेक्ट्रल बैंड होते हैं।
विभिन्न अनुप्रयोगों में किया जा सकता है कारटोसेट-3 की छवियों का उपयोग
- नगरीय योजना: बड़े पैमाने पर मानचित्रण और संसाधन प्रबंधन
- ग्रामीण संसाधन विकास: बुनियादी ढांचे का विकास और भूमि उपयोग योजना
- आपदा प्रबंधन: प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, बाढ़ और भूस्खलन का आकलन
- रक्षा अनुप्रयोग: सामरिक निगरानी और सीमा सुरक्षा
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