Uttarkashi Cloudburst Update: धराली और मुखवा गांव को जोड़ने वाला झूला पुल बना लाइफलाइन
उत्तराकाशी में धराली और मुखवा गांव को जोड़ने वाला झूला पुल आपदा के समय जीवन रेखा साबित हुआ। खीर गंगा में आई बाढ़ से जान बचाने के लिए लोगों ने इसे पार किया। राहत और बचाव दल भी इसी पुल से धराली पहुंच रहे हैं। हालांकि पुल को मलबे से नुकसान हुआ है पर यह अभी भी खड़ा है और सुरक्षित है। इसका निर्माण 1985 में हुआ था।

अजय कुमार, उत्तरकाशी। धराली में आई आपदा में धराली व मुखवा गांव को जोड़ने वाला झूला पुल लाइफलाइन साबित हुआ है। खीर गंगा नदी में आए सैलाब से जान बचाने के लिए भी कुछ लोगों ने इसी पुल को पार कर मुखवा में शरण ली थी।
अब राहत एवं बचाव कार्य के लिए भी विभिन्न एजेंसियां इसी पुल से धराली पहुंच रही हैं। हालांकि, इस पुल को भी मलबे से नुकसान पहुंचा है, लेकिन यह पुल अभी भी मजबूती से खड़ा है।
भागीरथी नदी के बायें किनारे पर पहाड़ी पर मां गंगा का शीतकालीन प्रवास स्थल मुखवा गांव बसा हुआ है और दायें किनारे पर धराली। दोनों गांवों को भागीरथी नदी पर बना एक झूला पुल जोड़ता है।
बीते पांच अगस्त को खीर गंगा नदी में आई विनाशकारी बाढ़ में धराली के बाजार समेत कई दुकानों, होटलों का नामोनिशान मिट चुका है। हालांकि, आश्चर्यजनक रूप से 80 के दशक में बना झूला पुल अब भी सुरक्षित हैं।
सैलाब के साथ आए मलबे के कारण धराली वाले छोर पर पुल के एबटमेंट व जालियों को क्षति जरूर पहुंची है। आपदा के दौरान डुंडा ब्लाक की धनारी पट्टी के नरेंद्र सेमवाल और उदयवीर राणा ने इसी पुल से मुखवा की ओर भागकर जान बचाई थी।
श्री पांच गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष धर्मानंद सेमवाल ने बताया कि इस झूला पुल का निर्माण अविभाजित उत्तर प्रदेश में वर्ष 1985 के आसपास हुआ था। यह पुल और गंगोत्री धाम के निकट लंका में जाड़ गंगा के ऊपर स्थित मोटर पुल दोनों एक साथ बनाए गए थे।
जाड़ गंगा के ऊपर बना मोटर पुल उत्तराखंड के सबसे ऊंचे पुलों में से एक है। जब हर्षिल से मुखवा के लिए सड़क मार्ग नहीं था, तब ग्रामीण धराली के झूला पुल से होकर मुखवा पहुंचते थे।
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