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    अमेरिका का दावा, रूस नहीं वह होगा भारत का सबसे विश्वसनीय साझीदार, रक्षा जरूरतें पूरी करने को उठाएगा अतिरिक्त कदम

    By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By:
    Updated: Fri, 22 Apr 2022 08:03 PM (IST)

    अमेरिकी विदेश विभाग के काउंसलर डेरेक चोलेट ने कहा कि बाइडन प्रशासन भारत के साथ काम करने के लिए बेहद उत्सुक है। फिर चाहे वह अपनी रक्षा क्षमताओं और रक्षा आपूर्तिकर्ताओं की विविधता को कायम रखे। भविष्य में अमेरिका भारत का विश्वसनीय साझेदार होगा।

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    अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और पीएम मोदी की फाइल फोटो

    वाशिंगटन, प्रेट्र। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के सलाहकार और अमेरिकी विदेश विभाग के काउंसलर डेरेक चोलेट ने कहा कि यूक्रेन से युद्ध के बाद भारत का सबसे विश्वसनीय साझीदार रूस नहीं, बल्कि अमेरिका ही होगा। बाइडन प्रशासन के आला अफसर ने कहा, 'अमेरिका भारत की रक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त कदम उठाने को भी तैयार है।'

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    अमेरिकी विदेश विभाग के काउंसलर डेरेक चोलेट ने एक इंटरव्यू में कहा कि रूस अपने ही सैन्य उपकरणों को बडे़ पैमाने पर ध्वस्त करता जा रहा है, इसलिए उसे पहले अपनी ही सैन्य जरूरतों को पूरा करने की आवश्यकता होगी। उनके विचार से दूरगामी भविष्य के लिए रूस की क्षमताओं को देखते हुए वह विश्वसनीय साझीदार नहीं मालूम पड़ता है।

    बाइडन प्रशासन भारत के साथ काम करने के लिए बेहद उत्सुक

    अमेरिकी विदेश विभाग के काउंसलर डेरेक चोलेट ने कहा कि बाइडन प्रशासन भारत के साथ काम करने के लिए बेहद उत्सुक है। फिर चाहे वह अपनी रक्षा क्षमताओं और रक्षा आपूर्तिकर्ताओं की विविधता को कायम रखे। अमेरिका भारत के इन प्रयासों में उसका साझीदार बनना चाहता है। हम इस प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहते हैं। रक्षा के नियम शर्तो को लेकर हम हमारे संबंधों के लिए अत्यधिक प्रयास कर रहे हैं, जितना इतिहास में पहले कभी नहीं किया है।

    अमेरिका ने कहा, रूस अब उतना आकर्षक साझीदार नहीं रहा

    चोलेट ने दावा किया कि रूस की ओर से दिए गए सैन्य उपकरण समय-समय पर अपनी अक्षमताएं दिखाते रहे हैं। आने वाले समय के साथ रूस के साथ व्यापार करना और भी दुश्वार होता जाएगा। पिछले 12 हफ्तों में रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद उसके साथ कोई भी कारोबार करना पहले के मुकाबले और कठिन हो जाएगा। उन्होंने कहा कि रूस के खिलाफ मौजूदा निर्यात नियंत्रण और अहम तकनीकों के आयात को लेकर अक्षमता कुछ सैन्य उपकरणों के कलपुर्जो को हासिल नहीं करने देगी। इससे रूस के साथ कारोबार मुश्किल होता जाएगा। इसलिए रूस अब उतना आकर्षक साझीदार नहीं रहा।

    भारत ने अमेरिका को 1971 के युद्ध की दिलाई याद

    हालांकि चोलेट उस सवाल का जवाब टाल गए जब उनसे पूछा गया कि भारत-पाक युद्ध के दौरान वर्ष 1971 में अमेरिकी नौसेना ने बंगाल की खाड़ी में भारत के खिलाफ अपना नौसैनिक बेड़ा सेवेंथ फ्लीट भेजा था। इसलिए भारत में बहुत से लोग मानते हैं कि अमेरिका भी भारत का उतना विश्वसनीय साझीदार नहीं है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन को लेकर रूस की योजना और इरादों से संबंधित बेहद संवेदनशील खुफिया जानकारियां अमेरिका ने भारत के साथ साझा की हैं। इसलिए हम मानते हैं कि संघर्ष के इस दौर में हम एक विश्वसनीय साझीदार हैं।