Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन ने किया था भारत के विमानों के विरुद्ध दुष्प्रचार, अमेरिकी रिपोर्ट में बड़ा खुलासा

    Updated: Wed, 19 Nov 2025 06:55 AM (IST)

    आयोग ने कांग्रेस को सौंपी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा, ''चीन ने अपने जे-35 विमानों के पक्ष में फ्रांसीसी राफेल विमानों की बिक्री में बाधा डालने के लिए एक दुष्प्रचार अभियान शुरू किया था, जिसमें फर्जी इंटरनेट मीडिया अकाउंट्स का इस्तेमाल करके चीन के हथियारों से नष्ट हुए विमानों के कथित मलबे की एआइ तस्वीरें प्रचारित की गई थीं।''

    Hero Image

    ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन ने किया था भारत के विमानों के विरुद्ध दुष्प्रचार- अमेरिकी रिपोर्ट (फाइल फोटो)

    आइएएनएस, वाशिंगटन। अमेरिकी कांग्रेस की ओर से गठित परामर्श निकाय 'यूएस-चाइना इकोनमिक एंड सिक्यूरिटी रिव्यू कमीशन' ने मंगलवार को चीन पर ऑपरेशन सिंदूर के बाद दुष्प्रचार अभियान चलाने का आरोप लगाया।

    आयोग ने कहा कि चीन ने अपनी ग्रे-जोन गतिविधियों के तहत फर्जी इंटरनेट मीडिया अकाउंट्स का इस्तेमाल करके विमानों के कथित ''मलबे'' की एआइ तस्वीरों का प्रचारित किया था।

    आयोग ने कांग्रेस को सौंपी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा, ''चीन ने अपने जे-35 विमानों के पक्ष में फ्रांसीसी राफेल विमानों की बिक्री में बाधा डालने के लिए एक दुष्प्रचार अभियान शुरू किया था, जिसमें फर्जी इंटरनेट मीडिया अकाउंट्स का इस्तेमाल करके चीन के हथियारों से नष्ट हुए विमानों के कथित मलबे की एआइ तस्वीरें प्रचारित की गई थीं।''

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि चीन ने मई में भारत-पाकिस्तान संघर्ष का ''अवसरवादी'' तरीके से अपने हथियारों की परिष्कृत तकनीक का प्रचार करने के लिए इस्तेमाल किया।

    सीमा विवाद पर वार्ता का उठाता है लाभ

    भारत-चीन संबंधों के बारे में आयोग का कहना है कि सीमा मुद्दे के समाधान को लेकर दोनों पक्षों के बीच एक ''असमानता'' है। चीन आंशिक समाधान तक पहुंचने के लिए उच्चस्तरीय और बहुप्रचारित वार्ता का लाभ उठाता है।

    वह अपने मूल हितों का त्याग किए बिना सीमा मुद्दे को अलग रखकर व्यापार और अन्य क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग के द्वार खोलने की उम्मीद करता है। जबकि भारत सीमा मुद्दों का एक स्थायी समाधान चाहता है। रिपोर्ट में जोर देकर कहा गया है कि हाल के वर्षों में भारत सरकार ने सीमा पर चीन से उत्पन्न खतरे की गंभीरता को तेजी से पहचाना है।

    आर्थिक सहयोग की वर्तमान शर्तें वैचारिक

    रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग या सीमा समाधान समझौतों की वर्तमान शर्तें अधिकांशत: वैचारिक हैं। अभी यह देखना है कि चीन और भारत की 2025 की प्रतिबद्धताएं, अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में उथल-पुथल से बचने की भारत की इच्छा का अल्पकालिक परिणाम हैं या द्विपक्षीय संबंधों के सामान्यीकरण की दिशा में दीर्घकालिक बदलाव हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि दलाई लामा संभवत: दोनों पड़ोसियों के बीच विवाद का विषय होंगे।