ट्रंप ने न्यूक्लियर टेस्टिंग को लेकर क्या कहा कि दुनियाभर में मच गई खलबली, क्या भारत भी करेगा परमाणु परीक्षण?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने परमाणु परीक्षणों को फिर से शुरू करने के अपने फैसले को सही ठहराया है। उन्होंने रूस और चीन पर गुप्त रूप से परमाणु हथियारों का परीक्षण करने का आरोप लगाया है। ट्रंप के इस बयान के बाद भारत में भी परमाणु परीक्षण की चर्चा शुरू हो गई है।
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फाइल फोटो (फोटो सोर्स- रॉयटर्स)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने हाल ही में अमेरिकी परमाणु हथियार प्रणाली के नए परीक्षणों का आदेश दिया है। हालांकि, अमेरिकी ऊर्जा मंत्री क्रिस राइट ने साफ किया है कि इस वक्त परीक्षण में परमाणु विस्फोट शामिल नहीं होंगे।
पिछले हफ्ते सोशल मीडिया पर राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने युद्ध विभाग को समान आधार पर हमारे परमाणु हथियारों का परीक्षण शुरू करने का निर्देश दिया है।
क्रिस राइट ने फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "मुझे लगता है कि हम अभी जिन परीक्षणों की बात कर रहे हैं, वे सिस्टम परीक्षण हैं। ये परमाणु विस्फोट नहीं हैं। इन्हें हम गैर-महत्वपूर्ण विस्फोट कहते हैं।"
अमेरिकी ऊर्जा मंत्री ने आगे कहा कि नियोजित परीक्षण में परमाणु हथियार के सभी अन्य भागों का परीक्षण शामिल है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे उचित ज्योमेट्री के ख्याल हो और परमाणु विस्फोट की तैयारी करें।"
उन्होंने आगे कहा कि ये परीक्षण नई प्रणालियों पर किए जाएंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रिप्लेस किए गए परमाणु हथियार पिछले वाले से बेहतर हों।
योजना के बारे में ट्रंप ने क्या कहा
ट्रंप की मंशा को लेकर असमंजस गुरुवार से ही बना हुआ है, जब दक्षिण कोरिया में चीनी नेता शी जिनपिंग से मुलाकात से ठीक पहले उन्होंने अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर यह संकेत दिया कि अमेरिका 33 साल के अंतराल के बाद परमाणु हथियारों के परीक्षण की प्रक्रिया फिर से शुरू करेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने अमेरिका में परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी रूस और चीन की परमाणु महत्वाकांक्षाएं उनकी इस योजना के पीछे एक कारण हैं। सीबीएस न्यूज से बात करते हुए, ट्रंप ने कहा कि मॉस्को और बीजिंग भी अपने परमाणु शस्त्रागार का परीक्षण कर रहे हैं, लेकिन वे इसके बारे में बात नहीं करते।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "हमारे पास किसी भी अन्य देश से ज़्यादा परमाणु हथियार हैं। और मुझे लगता है कि हमें परमाणु निरस्त्रीकरण के बारे में कुछ करना चाहिए। और मैंने वास्तव में राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति शी जिनपिंग दोनों के साथ इस पर चर्चा की। हमारे पास दुनिया को 150 बार उड़ाने के लिए पर्याप्त परमाणु हथियार हैं। रूस के पास बहुत सारे परमाणु हथियार हैं और चीन के पास भी बहुत सारे होंगे। उनके पास काफी हैं।"
आप जानते हैं, आपको परीक्षण करना ही होगा। और मैं परीक्षण इसलिए कह रहा हूं क्योंकि रूस ने घोषणा की है कि वे परीक्षण करने जा रहे हैं। अगर आपने गौर किया होगा, तो उत्तर कोरिया लगातार परीक्षण कर रहा है। दूसरे देश भी परीक्षण कर रहे हैं। हम अकेले ऐसे देश हैं जो परीक्षण नहीं करते, और मैं भी मैं अकेला ऐसा देश नहीं बनना चाहता जो परीक्षण न करे।
डोनल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका
क्या भारत भी करेगा परमाणु हथियार परीक्षण?
अमेरिका और रूस के परमाणु हथियार परीक्षण की चर्चाओं के बीच अब एक सवाल उठने लगा है कि क्या परमाणु संपन्न भारत भी कोई परीक्षण करेगा?
इन चर्चाओं और कयासों के बीच भारतीय सेना के पूर्व सैनिक लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला (सेवानिवृत्त) ने कहा, "ट्रंप ने परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करने की घोषणा की है। पुतिन ने परमाणु ऊर्जा से चलने वाली और सशस्त्र भूमि क्रूज मिसाइल, बुरेवेस्टेनिक और पानी के भीतर परमाणु ऊर्जा से चलने वाली और सशस्त्र मिसाइल पोसाइडन का परीक्षण किया है। क्या भारत की परमाणु नीति पर पुनर्विचार/पुनर्गठन की आवश्यकता है?"
रिटायर्ड कमांडर के पोस्ट पर ढेरों कमेंट आएं हैं और उसमें सवाल किया जा रहा है कि क्या हम अमेरिका-भारत परमाणु समझौते के बाद फिर से परीक्षण कर सकते हैं?
Should the U.S. resume nuclear testing, India must seize the opportunity to conduct its own
— Happymon Jacob (@HappymonJacob) October 31, 2025
thermonuclear tests, thus validating its deterrent & putting an end to lingering doubts about the success of the 1998 thermonuclear tests. pic.twitter.com/s2WzG2Tp0F
इन सवालों का जवाब सेंटर फॉर सिक्योरिटी एंड डेवलपमेंट रिसर्च के संस्थापक और इंडियाज वर्ल्ड पत्रिका के संपादक प्रोफेसर हैप्पीमॉन जैकब के एक्स पोस्ट में मिलता है।
उन्होंने एक पोस्ट में लिखा है, "अगर अमेरिका परमाणु परीक्षण फिर से शुरू करता है, तो भारत को भी इस मौके का फायदा उठाकर अपने थर्मोन्यूक्लियर परीक्षण करने चाहिए, जिससे उसकी प्रतिरोधक क्षमता जाहिर हो सके और 1998 के थर्मोन्यूक्लियर परीक्षणों की सफलता पर लंबे समय से चले आ रहे संदेहों का भी अंत हो।"

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