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    हार्वर्ड ने 500 मिलियन डॉलर के प्रस्ताव को ठुकरा तो दिया लेकिन अमेरिका में हायर एजूकेशन पर क्या होगा असर, जानिए

    Updated: Mon, 04 Aug 2025 11:24 PM (IST)

    हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ गतिरोध के चलते 500 मिलियन डॉलर का संघीय समझौता अस्वीकार कर दिया है। विश्वविद्यालय ने कानूनी प्रतिरोध को प्राथमिकता दी है। इस कदम का असर शिक्षा विविधता पहल प्रवेश नीतियों और शोध संस्थानों पर पड़ने की संभावना है। हार्वर्ड ने अपने मूल्यों की रक्षा के लिए अदालतों का रुख किया है।

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    हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के बीच तनातनी।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ चल रहे गतिरोध के बीच हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने 500 मिलियन डॉलर के संघीय समझौते के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। विश्वविद्यालय ने इसका अनुपालन करने के बजाय कानूनी प्रतिरोध को प्राथमिकता देने को तरजीह दी।

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    यह कदम अमेरिका में हायर एजूकेशन की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। इसका प्रभाव देश की हर एक यूनिवर्सिटी, छात्र और शोध संस्थानों पर पड़ने की संभावना है। फंडिंग पर टकराव प्रस्तावित सौदा सिर्फ वित्तीय सहायता तक सीमित नहीं था। इसके साथ कुछ शर्तें भी जुड़ी थीं, जिसमें विविधता पहल, प्रवेश नीतियों और बढ़ी हुई संघीय निगरानी से जुड़े राजनीतिक निर्देशों का पालन शामिल था।

    हार्वर्ड इन चीजों पर लगा रहा दांव

    500 मिलियन डॉलर के प्रस्ताव को ठुकराकर, हार्वर्ड अपने मूल्यों की रक्षा के लिए अदालतों और जनमत पर दांव लगा रहा है। विश्वविद्यालय ने पहले ही सीमित शोध निधि को फिर से शुरू करने की अनुमति देने वाली प्रारंभिक निषेधाज्ञा प्राप्त कर ली है, लेकिन दीर्घकालिक परिणाम अनिश्चित बना हुआ है।

    हार्वर्ड ने लड़ने का फैसला किया है। यह कानूनी रास्ता उन विश्वविद्यालयों के लिए सुरक्षा स्थापित कर सकता है जो संघीय अनुदानों से जुड़े सरकारी अतिक्रमण का विरोध करते हैं। अगर अदालतें हार्वर्ड के रुख का समर्थन करती हैं, तो यह परिसरों को भविष्य में राजनीतिक हस्तक्षेप से बचा सकता है।

    हार्वर्ड की इस उच्चस्तरीय अवज्ञा से देश भर के छात्रों, शिक्षकों और ट्रस्टियों को इसी तरह के दबावों का विरोध करने और उन समझौतों को चुनौती देने का साहस मिल सकता है, जिन्हें वे अकादमिक अखंडता से समझौता करने वाला मानते हैं।

    शोध परियोजनाएं रुकी हुई हैं, नियुक्तियों पर रोक लगी हुई है और अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को वीजा संबंधी अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है। कुछ शिक्षकों ने चेतावनी दी है कि अगर गतिरोध जारी रहा तो इससे शैक्षणिक प्रतिस्पर्धा को दीर्घकालिक नुकसान होगा।

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