2005 में पुतिन ने जॉर्ज बुश को बताया था, पाकिस्तान ने ईरान को चोरी से दिया यूरेनियम
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीरपुतिन ने तत्कालीन अमेरिका राष्ट्रपति जार्जबुश को 2005 में ही बता दिया था कि पाकिस्तान ने चोरी से ईरान को यूरेनियम दिया है। ...और पढ़ें

2005 में पुतिन ने बुश को बताया था, पाकिस्तान ने ईरान को चोरी से दिया यूरेनियम (फोटो- रॉयटर)
आइएएनएस, वाशिंगटन। पाकिस्तान का इस्तेमाल करने में अमेरिका ने उसके जघन्य अपराधों को भी न केवल नजरअंदाज किया, बल्कि उसे मनमानी करने दी। कई रिपोर्टों में ये बात सामने आने के बाद कि अमेरिका ने जानबूझकर पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ने दिया, अब दो राष्ट्राध्यक्षों की गोपनीय बातचीत में भी पाकिस्तान की बदमाशी ही चर्चा के केंद्र में पाई गई है।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने तत्कालीन अमेरिका राष्ट्रपति जॉर्ज बुश को 2005 में ही बता दिया था कि पाकिस्तान ने चोरी से ईरान को यूरेनियम दिया है। दोनों नेताओं ने इसे अपने-अपने देश के लिए खतरा बताया था।
ईरानी सेंट्रीफ्यूज में मिला यूरेनियम पाकिस्तान से जुड़ा है- पुतिन ने दी जानकारी
नेशनल सिक्योरिटी आर्काइव द्वारा जारी किए गए रिकॉर्ड में सामने आया है कि बंद दरवाजों के पीछे वाशिंगटन और मॉस्को पाकिस्तान के परमाणु नियंत्रण को लेकर गहरी चिंता साझा कर रहे थे। 29 सितंबर 2005 को ओवल ऑफिस में हुई बैठक में पुतिन ने बताया कि ईरानी सेंट्रीफ्यूज में मिला यूरेनियम पाकिस्तान से जुड़ा है, जो इस्लामाबाद के परमाणु प्रतिष्ठान और अवैध नेटवर्क के बीच लंबे समय से संदिग्ध रिश्तों की पुष्टि करता है।
ये जानकारी पाकर बुश सन्न रह गए थे और इसे चिंताजनक उल्लंघन बताया था। बुश ने कहा कि इससे अमेरिका में घबराहट है। पुतिन ने पलटकर कहा, “हमारे बारे में भी सोचिए,'' यह संकेत देते हुए कि ऐसे लीक रूस की सुरक्षा के लिए भी सीधा खतरा हैं।
बातचीत में बुश ने स्वीकार किया कि उन्होंने तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के सामने यह मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा कि ए.क्यू. खान नेटवर्क का पर्दाफाश होने के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान पर दबाव बनाया, जिसके चलते खान और उनके सहयोगियों को जेल या नजरबंद किया गया।
हालांकि बुश ने यह भी कहा कि अमेरिका अब भी यह जानना चाहता है कि आखिर क्या-क्या तकनीक किसे सौंपी गई।पुतिन ने सवाल उठाया कि पाकिस्तान पर उतना अंतरराष्ट्रीय दबाव क्यों नहीं डाला गया जितना ईरान या उत्तर कोरिया पर।
पाकिस्तान को लेकर पुतिन सतर्क थे
उन्होंने पाकिस्तान को “परमाणु हथियारों वाली एक जुंटा'' तक कह दिया, जिससे पश्चिमी देशों के रवैये पर रूस की नाराजगी झलकी। यूक्रेन युद्ध से दशकों पहले पुतिन ने चेताया था यूक्रेन युद्ध से दशकों पहले पुतिन ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जार्ज बुश को यूक्रेन और जार्जिया में नाटो के विस्तार को लेकर चेतावनी दी थी।
2001 से 2008 के बीच दोनों नेताओं के बीच हुई गोपनीय बातचीत के ट्रांसक्रिप्ट जारी होने के बाद पुतिन की दूरदर्शी सोच का पता चलता है। पुतिन ने नाटो के विस्तार को रूस की सुरक्षा के लिए खतरा बताया था और कहा था कि वह राजनीतिक और रणनीतिक माध्यमों से इसका विरोध करते रहेंगे।
2008 में पुतिन ने बुश से की थी मुलाकात
2008 में पुतिन से मुलाकात के दौरान बुश ने उनकी बात बड़े ध्यान से सुनी और उनकी साफगोई की तारीफ की थी। बुश ने कहा कि आपने नाटो को लेकर इस तरह की बात बेखौफ कही, मैं इसकी प्रशंसा करता हूं। हालांकि, बुश ने कहा कि वह अमेरिकी नीतियों में बदलाव नहीं कर सकते हैं।
बुश ने चीन को माना था दीर्घकालिक रणनीतिक चुनौती बुश और पुतिन के बीच हुई निजी बातचीत के नए दस्तावेजों से ये भी सामना आया है कि दोनों नेताओं ने चीन के उदय को भविष्य की बड़ी रणनीतिक चुनौती माना था।
बुश ने चीन को सबसे बड़ा दीर्घकालिक संकट बताया था
ट्रांसक्रिप्ट के अनुसार, बुश ने चीन को सबसे बड़ा दीर्घकालिक संकट बताया था। दोनों नेताओं की बैठकों और फोन वार्ताओं में ये मुद्दा बार-बार उठा। जून 2001 में स्लोवेनिया में पहली मुलाकात के दौरान बुश ने कहा था कि रूस पश्चिम का हिस्सा है, लेकिन आने वाले दशकों में चीन वैश्विक राजनीति को प्रभावित करेगा। सितंबर 2005 में व्हाइट हाउस की बैठक में बुश ने साफ कहा कि चीन अमेरिका और रूस- दोनों के लिए लंबी अवधि की समस्या है।

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