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    पीएम मोदी के चीन दौरे के बाद बदले अमेरिका के तेवर, वित्त मंत्री बोले- हम मिलकर निकालेंगे समस्या का समाधान

    Updated: Tue, 02 Sep 2025 11:40 AM (IST)

    भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ रहा है। अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेंट ने भारत पर रूसी तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को वित्तीय मदद देने का आरोप लगाया है जिसे भारत ने खारिज कर दिया है। बेसेंट ने एससीओ को दिखावटी करार दिया और भारत पर 50% टैरिफ लगाने के फैसले को अनुचित बताया। उन्होंने कहा कि भारत के मूल्य अमेरिका के करीब हैं।

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    अमेरिकी वित्त मंत्री ने भारत पर रूस को मदद करने का आरोप लगाया। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक और राजनयिक तनाव की खबरें सुर्खियों में हैं। अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में कहा कि दोनों देशों के बीच मतभेद जरूर हैं, लेकिन आखिरकार ये दो बड़े मुल्क अपनी समस्याएं सुलझा लेंगे।

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    उन्होंने भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बताते हुए कहा कि भारत के मूल्य अमेरिका और चीन के ज्यादा करीब हैं, न कि रूस के। लेकिन साथ ही, उन्होंने भारत पर रूसी तेल खरीदने और उसे बेचकर रूस-यूक्रेन युद्ध को वित्तीय मदद देने का आरोप भी लगाया।

    भारत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उसकी तेल खरीद राष्ट्रीय हित और बाजार की जरूरतों पर आधारित है। वहीं बेसेंट ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) को 'ज्यादातर दिखावटी' करार दिया, जिसका सालाना सम्मेलन हाल ही में चीन के तियानजिन शहर में हुआ।

    इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी। अमेरिका की तरफ से भारत पर 50% टैरिफ लगाने का फैसला भी चर्चा में है, जिसे भारत ने 'अनुचित और बेतुका' बताया है।

    'SCO बहुत असरदार संगठन नहीं'

    बेसेंट ने एससीओ को एक 'परफॉर्मेटिव' यानी दिखावटी संगठन कहा, जिसका मकसद ज्यादा असरदार नहीं है। यह संगठन रूस, चीन, भारत और कुछ अन्य देशों का गठजोड़ है, जो क्षेत्रीय सहयोग के लिए बना है।

    बेसेंट का मानना है कि भारत का झुकाव अमेरिका और चीन की तरफ ज्यादा है, क्योंकि भारत एक लोकतांत्रिक देश है। फिर भी, रूस से तेल खरीदने की वजह से भारत पर अमेरिका की नाराजगी साफ दिख रही है।

    भारत ने हमेशा कहा है कि वह तेल सस्ते दामों पर खरीद रहा है, ताकि अपने लोगों को महंगाई से बचाए। यह तेल खरीद भारत के ऊर्जा हितों के लिए जरूरी है।

    इसके अलावा, बेसेंट ने भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में धीमी प्रगति को भी टैरिफ बढ़ाने की एक वजह बताया। ट्रंप प्रशासन ने भारत पर रूसी तेल की खरीद को लेकर 50% टैरिफ लगाया है, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में खटास आई है। यह पिछले दो दशकों में भारत-अमेरिका रिश्तों का सबसे बुरा दौर माना जा रहा है।

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    रूस को लेकर अमेरिका का क्या है ताजा स्टैंड?

    बेसेंट ने रूस पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि रूस ने यूक्रेन पर बमबारी तेज कर दी है, जो 'निंदनीय' है। ट्रंप प्रशासन रूस पर और सख्त कदम उठाने पर विचार कर रहा है। बेसेंट ने कहा, "सभी विकल्प खुले हैं।" 

    इस बीच, भारत ने रूस के साथ अपने रिश्तों को संतुलित करने की कोशिश की है, लेकिन अमेरिका इसे लेकर असहज है। भारत का कहना है कि वह किसी भी देश के खिलाफ नहीं है और उसकी नीतियां सिर्फ अपने हितों को देखकर बनाई जाती हैं।

    रूसी तेल की खरीद भी इसी नीति का हिस्सा है। लेकिन अमेरिका का मानना है कि यह खरीद रूस को यूक्रेन युद्ध में आर्थिक मदद दे रही है, जिसे वह बर्दाश्त नहीं कर सकता।

    'सुलझा लेंगे भारत से मतभेद'

    बेसेंट ने भरोसा जताया कि भारत और अमेरिका अपने मतभेद सुलझा लेंगे। दोनों देशों के बीच गहरे रिश्ते हैं, खासकर रक्षा और तकनीक के क्षेत्र में। लेकिन टैरिफ और रूसी तेल का मुद्दा अभी तनाव का सबब बना हुआ है।

    भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपनी ऊर्जा जरूरतों से समझौता नहीं करेगा। दूसरी तरफ, ट्रंप प्रशासन की सख्त नीतियां और रूस पर दबाव बनाने की रणनीति भारत के लिए चुनौती खड़ी कर रही है।

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