Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    'भारत-पाक के बीच हुआ परंपरागत युद्ध तो पाकिस्तान की हार तय', अमेरिकी खुफिया एजेंसी का दावा

    Updated: Fri, 24 Oct 2025 11:30 PM (IST)

    अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व अधिकारी जान किरियाकोऊ ने दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध होने पर पाकिस्तान की हार निश्चित है। उन्होंने कहा कि भारत अब पाकिस्तान के परमाणु ब्लैकमेल को बर्दाश्त नहीं करेगा। किरियाकोऊ ने यह भी खुलासा किया कि 2002 में पाकिस्तानी परमाणु हथियारों का नियंत्रण पेंटागन के हाथ में था, जिसे तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने अमेरिका को सौंपा था।

    Hero Image

    फोटो जागरण ग्राफिक्स

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए के पूर्व अधिकारी जान किरियाकोऊ ने दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच पारंपरिक युद्ध हुआ तो पाकिस्तान की हार तय है। इसलिए पाकिस्तान को ये सच्चाई गले उतारनी ही होगी कि भारत से युद्ध में उसे कुछ भी सकारात्मक हासिल होनेवाला नहीं है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पाकिस्तान में सीआइए के आतंकवाद रोधी आपरेशन के प्रमुख रह चुके किरियाकोऊ ने एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि भारत अब पाकिस्तान की परमाणु ब्लैकमेल की नीति को बर्दाश्त नहीं करेगा और किसी आतंकी हमले की स्थिति में निर्णायक प्रतिक्रिया देगा। उन्होंने ये भी खुलासा किया कि 2002 में जब वह पाकिस्तान में कार्यरत थे, तब उन्हें अनाधिकारिक तौर पर बताया गया था कि पाकिस्तानी परमाणु हथियारों का नियंत्रण पेंटागन (अमेरिकी रक्षा मंत्रालय) के हाथ में है।

    तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने इसका नियंत्रण अमेरिका को दिया था, जबकि पाकिस्तानी लगातार झूठ बोलते रहे हैं कि इन हथियारों पर पाकिस्तान का अधिकार है। जब उनसे पूछा गया कि क्या ये जानकारी भारत के साथ साझा की गई है, तो किरियाकोऊ ने इस पर संदेह जताया। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने शायद ही भारत से कहा होगा कि पाकिस्तानी परमाणु हथियारों का नियंत्रण अमेरिका के पास है। हालांकि, विदेश मंत्रालय ने दोनों पक्षों से ये जरूर कहा है कि अगर आपको लड़ना है तो लडि़ये, लेकिन कम समय के लिए और ये युद्ध गैर-परमाणु होना चाहिए।

    अगर परमाणु हथियार इस्तेमाल हुए तो पूरी दुनिया बदल जाएगी। और इसलिए मुझे लगता है कि दोनों पक्षों ने संयम बरता है। अमेरिका की चूक से पाक हुआ परमाणु हथियार संपन्न किरियाकोऊ ने बताया कि पाकिस्तान के परमाणु विज्ञानी अब्दुल कादिर खान हमारे निशाने पर थे। अगर हमने इजरायली रवैया अपनाया होता तो अब्दुल कादिर खान को मारना बहुत आसान था। हमें उनके बारे में सबकुछ पता था। लेकिन सऊदी सरकार की वजह से उनको संरक्षण मिला। सऊदी सरकार ने उनको बख्श देने की गुजारिश की थी।

    किरियाकोऊ ने कहा कि ये अमेरिका की चूक है कि उसने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। अगर अमेरिका ने खान को रोका होता तो पाकिस्तान परमाणु हथियार कार्यक्रम को आगे नहीं बढ़ा पाता। 2002 में युद्ध के कगार पर थे भारत-पाक किरियाकोऊ ने बताया कि साल 2002 में हमें ये लगने लगा था कि भारत और पाकिस्तान में युद्ध होकर रहेगा। 2001 में संसद पर आतंकी हमले के बाद भारत ने आपरेशन पराक्रम चलाया था।

    उस दौरान अमेरिका के उप विदेश मंत्री ने दोनों पक्षों को बातचीत के जरिये शांत कराया था। तनाव इस कदर चरम पर था कि हमने इस्लामाबाद से अपने परिवारों को अमेरिका भेज दिया था। 2008 में मुंबई हमले से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा कि ये अल कायदा नहीं, बल्कि पूरी तरह पाकिस्तान समर्थित कश्मीरी समूह का काम था।

    आइएसआइ में दो धड़े किरियाकोऊ ने कहा कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ में दो धड़े हैं। एक को एफबीआइ और सैंडह‌र्स्ट ने प्रशिक्षण देकर तैयार किया है, जबकि दूसरा धड़ा लंबी दाढ़ी वालों का है, जो कश्मीरी आतंकी समूहों या जैश ए मोहम्मद जैसे संगठनों को खड़ा करते हैं। उन्होंने कहा कि 2002 में हमने गलती से एक आतंकी को अल कायदा का समझकर पकड़ लिया, जबकि वो लश्कर ए तैयबा का सदस्य था। छापे में हमें वहां से अल कायदा का ट्रे¨नग मैन्युअल मिला। इससे पहली बार हमें पता चला कि पाकिस्तानी सरकार अल कायदा से मिली हुई है।

    (न्यूज एजेंसी एएनआई के इनपुट के साथ)