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    ट्रंप ने फिर बढ़ाईं हजारों भारतीयों की मुश्किलें, वर्क परमिट समयसीमा घटाई

    Updated: Sat, 06 Dec 2025 07:06 AM (IST)

    ट्रंप प्रशासन ने प्रवासी कामगारों के लिए नया नियम लागू किया है, जिससे अमेरिका में उनके काम करने और ठहरने की प्रक्रिया पर भारी असर पड़ने वालाहै। अमेरिक ...और पढ़ें

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    पांच साल की बजाय केवल 18 महीने का मिलेगा वर्क परमिट (फोटो- रॉयटर)

    न्यूयॉर्क टाइम्स, वाशिंगटन। ट्रंप प्रशासन ने प्रवासी कामगारों के लिए नया नियम लागू किया है, जिससे अमेरिका में उनके काम करने और ठहरने की प्रक्रिया पर भारी असर पड़नेवाला है।

    पांच साल की बजाय केवल 18 महीने का मिलेगा वर्क परमिट

    इस फैसले के बाद उन प्रवासियों को, जो पहले बाइडन प्रशासन की नीति के तहत वर्क परमिट या रोजगार प्राधिकरण दस्तावेज (ईएडी) की समयसीमा खत्म होने के बाद भी आवेदन लंबित रहने तक कानूनी रूप से काम कर सकते थे, उन्हें राहत नहीं मिलगी।

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    अब हर बार वर्क परमिट बढ़ाने से पहले नई सुरक्षा जांच और वेटिंग प्रक्रिया से गुजरना होगा। अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआइएस) ने रोजगार वर्क परमिट की अधिकतम समयसीमा को पांच साल से घटाकर 18 महीने कर दिया है।

    हजारों भारतीयों और उनके परिवारों पर पड़ेगा

    इसका सीधा असर हजारों भारतीयों और उनके परिवारों पर पड़ेगा। पहले से ही वर्षों से ग्रीन कार्ड की लंबी प्रतीक्षा झेल रहे भारतीय आवेदकों के लिए यह बदलाव नई चिंता पैदा कर सकता है।

    बहुत से भारतीय लंबे समय तक नौकरी जारी रखने के लिए लंबे समय वाले ईएडी और एडवांस पैरोल दस्तावेजों पर निर्भर रहते हैं। भारतीय प्रवासी समुदाय अमेरिका में रोजगार-आधारित वीजा के सबसे बड़े लाभार्थी हैं।

    बाइडन ने बढ़ाई ती परमिट वैधता की सीमा

    वहीं, यूएससीआइएस ने कहा कि यह बदलाव सुरक्षा जांच को मजबूत करने और संभावित जोखिमों का समय रहते पता लगाने के लिए जरूरी है।

    यूएससीआइएस के निदेशक, जोसेफ एडलो ने कहा कि पिछली सरकार ने देश में ऐसे विदेशी को प्रवेश दिया, जिसने राजधानी में नेशनल गार्ड जवानों पर हमला किया। इससे यह और भी स्पष्ट है कि यूएससीआइएस को विदेशियों की बार-बार जांच करनी चाहिए।

    गौरतलब है कि बाइडन प्रशासन ने 2023 में वर्क परमिट की वैधता दो साल से बढ़ाकर पांच साल की थी। इसके पीछे उद्देश्य यूएससीआइएस और जनता दोनों पर बोझ कम करना था।

    नई नीति से कौन होगा प्रभावित

    नई नीति के तहत ग्रीन कार्ड आवेदकों, एच1बी कर्मियों, शरणार्थियों और लंबित शरणार्थी मामलों वाले आवेदकों को अब पांच साल की जगह केवल 18 माह का वर्क परमिट मिलेगा। ये नियम तत्काल प्रभाव से लागू होगा और नई व लंबित, दोनों तरह के आवेदनों पर लागू होगा।

    इंटरनेशनल रेस्क्यू कमेटी (आइआरसी) के शरण नीति निदेशक केनजी किजुका ने कहा कि प्रवासियों को वर्क परमिट मंजूरी मिलने में कई महीने लग सकते हैं, जिससे उनके वर्क परमिट समाप्त होने और नवीनीकरण न हो पाने की आशंका बढ़ जाएगी।

    इससे शरण चाहने वालों के लिए खुद का और अपने परिवारों की देखभाल कर पाना और मुश्किल हो जाएगा। वहीं, वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट (एचआर1) के तहत पैरोल, टीपीएस (अस्थायी संरक्षित स्थिति) धारकों, लंबित टीपीएस आवेदकों और उद्यमी पैरोलीज के जीवनसाथियों के वर्क परमिट की अधिकतम अवधि एक वर्ष तय कर दी गई है। यह प्रविधान 22 जुलाई 2025 से प्रभावी होगा।

    क्या कहते हैं आंकड़े

    • 5 साल की बजाय अब 18 महीने का मिलेगा वर्क परमिट
    • 18 महीने के वर्क परमिट के लिए नियम तत्काल प्रभाव से लागू
    • 12 महीने का भी होगा वर्क परमिट, ये नियम 22 जुलाई 2026 से होगा लागू
    • 550 डॉलर फीस तय की गई नई श्रेणियों में वर्क परमिट के प्रारंभिक आवेदन के लिए
    • 275 डालर वर्क परमिट नवीनीकरण शुल्क लगेगा
    • 434000 शरण चाहने वालों के वर्क परमिट आवेदन लंबित
    • 24000 शरण प्राप्त लोगों के वर्क परमिट आवेदन लंबित
    • 12000 से अधिक शरणार्थियों के आवेदन भी लंबित