Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भारतीय मूल के तीन मुस्लिम उम्मीदवारों की जीत से ट्रंप को लगा तगड़ा झटका, इस जीत के क्या हैं मायने?

    Updated: Wed, 05 Nov 2025 11:30 PM (IST)

    भारतीय मूल के तीन मुस्लिम डेमोक्रेट उम्मीदवारों - जोहरान ममदानी, आफताब पुरवाल और गजाला हाशमी की जीत से डोनाल्ड ट्रंप को झटका लगा है। इन उम्मीदवारों ने ...और पढ़ें

    Hero Image

    ट्रंप को भारतीय मूल के उम्मीदवारों से झटका

    नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन'(मागा) के आह्वान से पिछले वर्ष नवंबर में जीत हासिल कर दूसरी बार राष्ट्रपति बनने वाले डोनाल्ड ट्रंप को भारतीय मूल के तीन मुस्लिम डेमोक्रेट उम्मीदवारों - जोहरान ममदानी, आफताब पुरवाल और गजाला हाशमी की जीत से पहला बड़ा राजनीतिक झटका लगा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ये तीनों मुस्लिम उम्मीदवार उन शीर्ष डेमोक्रेट्स में शामिल हैं जिन्होंने न्यूयार्क सिटी, सिनसिनाटी और वर्जीनिया में शानदार प्रदर्शन करते हुए 'साख व सम्मान वाले चुनाव' जीते। डेमोक्रेट्स के लिए यह जीत प्रतीकात्मक और व्यावहारिक दोनों ही रूपों में अतिरिक्त महत्व रखती है।

    ट्रंप को भारतीय मूल के उम्मीदवारों से झटका

    ट्रंप के दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के कुछ ही महीनों के भीतर उन्हें पहली बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। हालांकि, उन्होंने व्यक्तिगत रूप से हर चुनाव तो नहीं लड़ा, लेकिन उनका प्रभाव और समर्थन काम कर रहा था। उन्होंने न्यूयार्क के पूर्व गवर्नर एंड्रयू कुओमो का समर्थन किया था और जोहरान ममदानी के जीतने पर संघीय धन रोकने की धमकी दी थी।

    कुओमो एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे थे। वर्जीनिया में 61 वर्षीय हाशमी ने लेफ्टिनेंट गवर्नर का चुनाव जीता और वह राष्ट्रमंडल में अहम पद संभालने वाली पहली भारतीय-अमेरिकी और पहली मुस्लिम बन गईं। उन्होंने रिचमंड के ब्रोडकास्टर रिपब्लिकन पार्टी के जान रीड को हराया।

    उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के सौतेले भाई को हराया 

    सिनसिनाटी के मेयर आफताब पुरवाल ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के सौतेले भाई कोरी बोमैन को हराकर दूसरा कार्यकाल सुनिश्चित कर लिया है। सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकांश मतदाता ट्रंप के कामकाज से नाखुश थे। वर्जीनिया सहित कई राज्यों में आधे से ज्यादा मतदाताओं ने अपने वोट को ट्रंप को संदेश देने के रूप में देखा।

    ऐसा प्रतीत होता है कि मतदाताओं ने ट्रंप की टैरिफ और आव्रजन नीतियों को अस्वीकार कर दिया है। फिलहाल, निष्कर्ष स्पष्ट है कि भारतीय मूल के तीन मुस्लिम उम्मीदवारों ने नैरेटिव पलटने में मदद की और रिपब्लिकन पार्टी की रफ्तार को झटका दिया। अब यह 2026 के मध्यावधि और 2028 के राष्ट्रपति चुनावों की शुरुआत को कैसे आकार देगा, यह देखना बाकी है।

    जोहरान ममदानी बने न्यूयार्क सिटी के मेयर

    34-वर्षीय जोहरान ममदानी का जन्म युगांडा के कंपाला में हुआ था। उनकी मां मीरा नायर एक प्रतिष्ठित फिल्म निर्माता हैं। उनके पिता महमूद ममदानी का भी गुजरात से पैतृक संबंध है। जोहरान के पिता कोलंबिया विश्वविद्यालय में मानव विज्ञान के प्रोफेसर हैं। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद जोहरान ममदानी 2018 में अमेरिकी नागरिक बन गए। उन्होंने अपना बचपन दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन में अपने परिवार के साथ बिताया और फिर सात साल की उम्र में न्यूयार्क सिटी आ गए।

    स्टेट असेंबली के सदस्य एवं डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट ममदानी ने जून में डेमोक्रेटिक प्राइमरी में एंड्रयू कुओमो को पछाड़कर जीत हासिल की थी। बहरहाल, वह अगले साल एक जनवरी को कार्यभार संभालेंगे। गजाला हाशमी गजाला फिरदौस हाशमी वर्जीनिया की पहली भारतीय-अमेरिकी मुस्लिम लेफ्टिनेंट गवर्नर बन गई हैं।

    उन्होंने रिचमंड के बोडकास्टर रिपब्लिकन पार्टी के जान रीड को हराया। गजाला वर्तमान में रिचमंड के दक्षिण में एक जिले का प्रतिनिधित्व करने वाली स्टेट सीनेटर हैं। 2019 में रिपब्लिकन के कब्जे वाली सीट जीतने के बाद वह पहली बार वर्जीनिया की राजनीति में एक प्रमुख हस्ती के रूप में उभरीं। उनका जन्म 1964 में भारत के हैदराबाद में हुआ था और उनका पैतृक मूल कराची में है। वह चार साल की उम्र में अपने परिवार के साथ भारत से अमेरिका आ गई थीं।

    आफताब पुरवाल का दूसरा कार्यकाल सुनिश्चित

    आफताब पुरवाल दूसरी बार सिनसिनाटी के मेयर बनने वाले भारतीय मूल के 43 वर्षीय आफताब पुरवाल ने 2021 में शहर का पहला एशियाई-अमेरिकी मेयर बनकर इतिहास रच दिया था। वह डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े हैं। उनका जन्म ओहायो में एक पंजाबी पिता और एक तिब्बती शरणार्थी मां के यहां हुआ था। उनके पिता पंजाब से थे।

    छोटी उम्र से ही राजनीति के प्रति उनका रुझान था और उन्होंने आठवीं कक्षा में ही अपना पहला छात्र चुनाव जीता था। यूनिवर्सिटी आफ सिनसिनाटी कालेज आफ ला से स्नातक होने के बाद 2008 में वह वा¨शगटन डीसी चले गए। 2013 में उन्होंने प्राक्टर एंड गैंबल में ज्वाइन किया। तीन साल बाद उन्होंने औपचारिक रूप से अपना राजनीतिक करियर शुरू करने के लिए कंपनी छोड़ दी।