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    इतिहास में पहली बार गुरुवाणी से शुरू हुई US प्रतिनिधि सभा की कार्यवाही, भारतवंशी सांसद ने बनाया हिंदू कॉकस

    By AgencyEdited By: Sonu Gupta
    Updated: Sat, 30 Sep 2023 08:05 PM (IST)

    अमेरिका के संसदीय इतिहास में पहली बार सिख प्रार्थना गुरुवाणी से संसद की कार्यवाही शुरू हुई। न्यू जर्सी के पाइन हिल गुरुद्वारा के ग्रंथी ज्ञानी जसविंदर सिंह की गुरुवाणी से शुक्रवार को प्रतिनिधि सभा की कार्यवाही शुरू की गई। सिख समन्वय समिति ईस्ट कोस्ट के प्रवक्ता हरजिंदर सिंह ने कहा कि यह पूरे वैश्विक सिख समुदाय के लिए खुशी का अवसर है।

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    सिख प्रार्थना गुरुवाणी से शुरू हुई अमेरिकी संसद की कार्यवाही। फोटोः एएफपी।

    वाशिंगटन, पीटीआई। अमेरिका के संसदीय इतिहास में पहली बार सिख प्रार्थना गुरुवाणी से संसद की कार्यवाही शुरू हुई। न्यू जर्सी के पाइन हिल गुरुद्वारा के ग्रंथी ज्ञानी जसविंदर सिंह की गुरुवाणी से शुक्रवार को प्रतिनिधि सभा की कार्यवाही शुरू की गई। आमतौर पर सदन में प्रार्थना पादरी द्वारा की जाती है।

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    पहली बार शुरू की गई सिख प्रार्थना से कार्यवाही

    सदन के अध्यक्ष केविन मैकार्थी ने घोषणा करते कहा कि प्रतिनिधि सभा में पहली बार सिख प्रार्थना से कार्यवाही शुरू की गई। जसविंदर सिंह प्रतिनिधि सभा में सिख प्रार्थना करने वाले पहले सिख ग्रंथी हैं। प्रार्थना के तुरंत बाद सांसद डोनाल्ड नारक्रास ने इसे ऐतिहासिक अवसर बताया। उन्होंने कहा

    आज का इतिहास इस बात की याद दिलाता है कि अमेरिका धर्म की स्वतंत्र अभिव्यक्ति का स्वागत करता है और उसके मूल्यों को लेकर प्रतिबद्ध रहेगा।

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    पूरे वैश्विक सिख समुदाय के लिए खुशी का अवसरः हरजिंदर सिंह

    सिख समन्वय समिति ईस्ट कोस्ट के प्रवक्ता हरजिंदर सिंह ने कहा कि अमेरिकी संसद के इतिहास में पहली बार सदन का सत्र सिख प्रार्थना के साथ शुरू हुआ। यह पूरे वैश्विक सिख समुदाय के लिए खुशी का अवसर है। 

    भारतवंशी सांसद ने अमेरिकी संसद में बनाया हिंदू कॉकस

    अमेरिका में भारतवंशी सांसद श्री थानेदार ने हिंदू, बौद्ध, सिख और जैन समुदायों के हितों की रक्षा के लिए नए 'कॉकस' के गठन की घोषणा की। इस कॉकस में डेमोक्रेट और रिपब्लिकन पार्टी के 27 से अधिक सांसद शामिल हुए हैं। थानेदार ने बताया कि काकस का उद्देश्य धार्मिक भेदभाव से निपटना और हिंदू, बौद्ध, सिख तथा जैन धर्म के लोगों के लिए धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देना है। थानेदार ने कहा

    काकस नीतिगत चर्चाओं में हिंदू, बौद्ध, सिख और जैन समुदायों के नजरिये का उचित प्रतिनिधित्व और उनकी समावेशिता भी सुनिश्चित करेगा।

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