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    कभी अपने ही शहर पर गिरा दिया परमाणु बम, कभी समुद्र में गिराया Hydrogen Bomb; अमेरिका ने क्यों की थी ऐसी गलतियां?

    Updated: Thu, 28 Aug 2025 06:40 PM (IST)

    अगस्त 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु हमले के बाद अमेरिका ने दो और बड़ी गलतियाँ कीं। 11 मार्च 1958 को साउथ कैरोलिना में एक परमाणु बम गलती से गिर गया जिससे एक बड़ा गड्ढा बन गया और लोग घायल हो गए। इसके ठीक एक महीने पहले जॉर्जिया के पास एक हाइड्रोजन बम भी गलती से पानी में गिर गया था।

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    अपनी ही जमीन पर परमाणु और हाइड्रोजन बम गिराया (फोटो: नेशनल म्यूजियम ऑफ यूएस एयरफोर्स)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कैलेंडर में तारीख अगस्त 1945 थी और अमेरिका के लिए परमाणु बम के 'टेस्टिंग लैब' बने थे जापान के दो शहर- हिरोशिमा और नागासाकी। इस अटैक ने जापान को घुटनों पर तो ला दिया, लेकिन साथ ही अमेरिका के नाम के साथ नत्थी हो गई ये बात भी कि वह परमाणु बम का पहला और आखिरी इस्तेमाल करने वाला देश है।

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    अपनी इसी शेखी में मशगूल अमेरिका ने एक नहीं, बल्कि दो बार ऐसी गलतियां कीं, जिसने उसके लाखों लोगों को मौत के मुंह में भेजने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। अगर अमेरिका की किस्मत अच्छी नहीं होती, तो वह अपने ही लोगों पर परमाणु और हाइड्रोजन बम गिराने वाला भी दुनिया का एकलौता देश बन जाता।

    साउथ कैरोलिना में गिरा था बम

    बात लगभग 7 दशक पहले की है। तारीख थी 11 मार्च 1958। अमेरिका का एक B-47 स्ट्रैटोजेट बॉम्बर विमान ट्रेनिंग के लिए जॉर्जिया से ब्रिटेन जा रहा था। ये कोई साधारण प्लेन नहीं था। इस पर बंधा था 7600 पाउंड का एक विशाल मार्क 15 परमाणु बम। इतना खतरनाक कि कई मील दूर के शहर और शहर की आबादी पलक झपकते ही राख हो जाती।

    यह बॉम्बर विमान जब अमेरिका के साउथ कैरोलिना के ऊपर से गुजर रहा था, तभी इसमें कुछ कंपन हुआ। ये कंपन ठीक उसी वक्त हुआ, जब एक क्रू मेंबर बम के रिलीज मैकेनिज्म को चेक करने के लिए उस पर झुका था। इस कंपन की वजह से बम ढीला हो गया और प्लेन से सीधा नीचे गिर गया। शुक्र था कि बम का न्यूक्लियर पार्ट एक्टिव नहीं था। लेकिन बम के अंदर जो दूसरे विस्फोटक थे, वो जमीन से टकराते ही फट गए।

    इससे वहां 35 फीट गहरा और 75 फीट चौड़ा एक गड्ढा बन गया। विस्फोट में एक घर नष्ट हो गया और उसमें रह रहे लोग घायल हो गए। कल्पना कीजिए कि अगर बम का न्यूक्लियर पार्ट सक्रिय होता, तो कितनी बड़ी तबाही हो सकती थी। विस्फोट की जगह से केवल 5 मील दूर फ्लोरेंस शहर था। परमाणु बम फटने की दशा में पूरा शहर एक झटके में खत्म हो जाता।

    गलती से गिर गया था हाइड्रोजन बम

    अमेरिका से एक गलती और हुई थी, जो इस घटना के ठीक एक महीने पहले घटी थी। हुआ ये कि अमेरिका का बॉम्बर विमान हाइड्रोजन बम लेकर ट्रेनिंग एक्सरसाइज कर रहा था। लेकिन तभी यह एक फाइटर जेट से टकरा गया और हाइ़ड्रोजन बम गलती से जॉर्जिया के टाइबी द्वीप के पास पानी में गिर गया। ये बम न कभी फटा और न कभी बरामद हुआ।

    लेकिन कल्पना कीजिए कि हिरोशिमा में गिराए गए परमाणु बम से 100 गुना शक्तिशाली यह बम अगर फट जाता, तो क्या होता। गौर करने वाली बात है कि ये दोनों घटनाएं ट्रेनिंग एक्ससाइज के दौरान ही हुई थीं। इनके बाद अमेरिका ने ट्रेनिंग फ्लाइट में परमाणु बम ले जाना बंद करने का फैसला किया।

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