रूस के दबाव में अमेरिका 33 साल बाद फिर शुरू करेगा परमाणु परीक्षण, ट्रंप ने सेना को दिया आदेश
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 33 साल बाद परमाणु हथियारों के परीक्षण को फिर से शुरू करने का आदेश दिया है। यह फैसला रूस और चीन के साथ बराबरी करने के लिए लिया गया है। रूस ने हाल ही में नए परमाणु हथियारों का परीक्षण किया था, जिसके बाद ट्रंप ने यह कदम उठाया। चीन ने अमेरिका से परमाणु परीक्षण पर प्रतिबंध का पालन करने का आग्रह किया है।
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप। (फाइट)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने गुरुवार को अमेरिकी सेना को 33 वर्षों के अंतराल के बाद तुरंत परमाणु हथियारों का परीक्षण फिर से शुरू करने का आदेश दिया। यह घोषणा चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के साथ बैठक शुरू करने से कुछ मिनट पहले की गई।
ट्रंप ने कहा कि यह रूस और चीन के साथ ''समान आधार'' पर होगा। यानी ट्रंप का आदेश अमेरिका की रणनीतिक प्रतिक्रिया है ताकि वह रूस और चीन की बढ़ती परमाणु क्षमता के सामने पीछे न रह जाए। वैसे ट्रंप का यह फैसला ऐसे समय आया है जब कि रूस ने हाल ही में दो बेहद खतरनाक परमाणु हथियारों का सफल परीक्षण कर दुनिया को चौंका दिया है।
ट्रंप का निर्णय एक नई अनिश्चितता और खुली जंग के युग की शुरुआत करेगा
उधर, एक वरिष्ठ रूसी सांसद ने कहा कि ट्रंप का निर्णय एक नई अनिश्चितता और खुली जंग के युग की शुरुआत करेगा। इस बीच, चीन के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका से परमाणु परीक्षण पर प्रतिबंध के अपने वादे का पालन करने और वैश्विक रणनीतिक संतुलन और स्थिरता को बनाए रखने का आह्वान किया है।
अमेरिकी सेना पहले से ही नियमित रूप से उन मिसाइलों का परीक्षण करती है जो परमाणु वारहेड को ले जाने में सक्षम हैं, लेकिन 1992 के बाद से परीक्षण प्रतिबंध के कारण हथियारों का विस्फोट नहीं किया गया है। राष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि अन्य देशों के हथियारों के परीक्षण के कारण बदलाव जरूरी है।
परमाणु हथियारों का परीक्षण समान आधार पर शुरू करने का निर्देश- ट्रंप
ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा- ''अन्य देशों के परीक्षण कार्यक्रमों के कारण मैंने डिपार्टमेंट ऑफ वार को हमारे परमाणु हथियारों का परीक्षण समान आधार पर शुरू करने का निर्देश दिया है। यह प्रक्रिया तुरंत शुरू होगी।'' साथ ही उन्होंने यह भी कहा- ''मैं परमाणु निरस्त्रीकरण देखना चाहूंगा क्योंकि हमारे पास बहुत सारे हैं और रूस दूसरे और चीन तीसरे स्थान पर है। चीन चार या पांच वर्षों में बराबरी पर आ जाएगा। ''
पेंटागन के अधिकारियों ने ट्रंप के परमाणु मिसाइल परीक्षणों के संबंध में घोषणा पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इस सप्ताह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने घोषणा की थी कि रूस ने एक नए परमाणु-सक्षम अंडरवाटर ड्रोन और एक नई परमाणु-संचालित क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया है। हालांकि, पुतिन ने रूस के परमाणु हथियारों के किसी भी परीक्षण की घोषणा नहीं की, जो 1990 में अंतिम बार हुआ था।
रूस ने 'पोसाइडान' का सफल परीक्षण किया
रूस ने 28 अक्टूबर को समुद्री परमाणु ड्रोन ''पोसाइडान' का सफल परीक्षण किया था। पुतिन ने कहा था कि इस ड्रोन का न्यूक्लियर पावर प्लांट 'बुरेवेस्टनिक' क्रूज मिसाइल के पावर प्लांट से एक हजार गुना अधिक शक्तिशाली है और इसे रोकना असंभव है। ''पोसाइडान' 100 मेगाटन क्षमता वाला परमाणु वारहेड ले जाने में सक्षम है यानी यह हिरोशिमा पर गिराए गए बम से 6,600 गुना ज्यादा विस्फोटक है। इससे पहले रूस ने 'बुरेवेस्टनिक' आइसीबीएम क्रूज परमाणु मिसाइल का सफल परीक्षण कर अपनी सैन्य ताकत दिखाई थी।
बता दें कि पुतिन ने 2023 में एक विधेयक पर हस्ताक्षर किए थे जिसमें रूस ने वैश्विक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध को रद कर दिया था। रूस का तर्क था कि अमेरिका की बराबरी के लिए लिए यह आवश्यक था। व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि को 1996 में अपनाया गया था और यह दुनिया में कहीं भी सभी परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाता है।
इस पर राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने हस्ताक्षर किए थे लेकिन इसे कभी भी सीनेट द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया। यहां बता दें कि उत्तर कोरिया को छोड़कर किसी ने भी पिछले पिछले 25 वर्षों में परमाणु विस्फोटक परीक्षण नहीं किया है।
(समाचार एजेंसी रॉयटर्स के इनपुट के साथ)

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