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    Canada Visia Rules: अब कनाडा में भारतीयों पर गिरी गाज, 74% वीजा आवेदन क्यों हुए रिजेक्ट?

    Updated: Mon, 03 Nov 2025 07:29 PM (IST)

    कनाडा में भारतीय छात्रों के लिए पढ़ाई अब मुश्किल हो गई है। कनाडा सरकार ने वीजा नियमों को सख्त कर दिया है, जिससे भारतीय छात्रों के वीजा रिजेक्शन की दर बढ़ गई है। अगस्त 2025 में 74% भारतीय छात्रों के वीजा आवेदन खारिज हो गए। कनाडा ने वीजा धोखाधड़ी रोकने के लिए यह कदम उठाया है।

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    भारतीय छात्रों के लिए अस्वीकृति दर में रिकॉर्ड वृद्धि (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कनाडा में पढ़ाई का सपना देखने वाले भारतीय छात्रों के लिए हालात अब पहले जैसे नहीं रहे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, कनाडा ने विदेशी छात्रों के वीजा पर लगाम कस दी है और इसका सबसे बड़ा असर भारतीय छात्रों पर पड़ा है।

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    साल 2025 की शुरुआत में कनाडा ने लगातार दूसरे साल अंतरराष्ट्रीय छात्रों के परमिट की संख्या घटाई। सरकार का कहना है कि यह कदम अस्थायी प्रवासियों की संख्या कम करने और वीजा धोखाधड़ी पर रोक लगाने के लिए उठाया गया है।

    अन्य देशों के मुकाबले भारतीय आवेदन ज्यादा हुए खारिज

    अगस्त 2025 में भारतीय छात्रों के करीब 74% वीजा आवेदन खारिज कर दिए गए। जबकि अगस्त 2023 में यह आंकड़ा 32% था। तुलना में कुल विदेशी छात्रों के आवेदन में करीब 40% और चीन के छात्रों के केवल 24% आवेदन ही खारिज हुए।

    इसी दौरान, भारतीय आवेदनों की संख्या भी घट गई है। अगस्त 2023 में 20 हजार 900 थी जो अगस्त 2025 में सिर्फ 4515 रह गई। पिछले एक दशक से भारत कनाडा के लिए विदेशी छात्रों का सबसे बड़ा स्रोत रहा है, लेकिन अब वही देश सबसे ज्यादा वीजा रिजेक्शन झेल रहा है।

    कितने आवेदन फर्जी मिले

    कनाडा सरकार के मुताबिक, 2023 में 1550 फर्जी वीजा आवेदन पकड़े गए जिनमें ज्यादातर भारत से थे। अब सरकार ने वेरिफिकेशन सिस्टम को और मजबूत किया है और पिछले साल 14 हजार से अधिक संदिग्ध दस्तावेज पकड़े गए।

    इसके साथ ही, विदेशी छात्रों के लिए फाइनेंशियल सर्टिफिकेट और अन्य जांच प्रक्रियाएं भी कड़ी कर दी गई हैं। भारत में कनाडाई दूतावास ने कहा कि वीजा देना पूरी तरह कनाडा का अधिकार है, लेकिन भारत ने यह भी याद दिलाया कि भारतीय छात्र हमेशा से कनाडाई संस्थानों के लिए गुणवत्तापूर्ण रहे हैं।

    भारतीय छात्रों की घटी संख्या

    कनाडा के कई विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रो की संख्या तेजी से घटी है। यूनिवर्सिटी ऑफ वाटरलू में पिछले तीन-चार साल में भारतीय छात्रों की संख्या दो-तिहाई तक कम हुई है। इसी तरह यूनिवर्सिटी ऑफ रेजाइना और यूनिवर्सिटी ऑफ सस्कैचेवान में भी गिरावट दर्ज हुई।

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