इजरायल में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन, अनिवार्य सैन्य भर्ती के खिलाफ कर सड़कों पर उतरे हजारों लोग
इजरायल की सड़कों पर बुधवार को हजारों हरेदी (अति-रूढ़िवादी) यहूदियों ने सेना में अनिवार्य सैन्य सेवा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और पश्चिमी यरुशलम में सेना के भर्ती कार्यालय के पास इजरायली पुलिस के साथ प्रदर्शनकारियों की झड़प भी हुई।

इजरायल में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन (फोटो- रॉयटर)
एएफपी, यरुशलम। इजरायल की सड़कों पर बुधवार को हजारों हरेदी (अति-रूढ़िवादी) यहूदियों ने सेना में अनिवार्य सैन्य सेवा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और पश्चिमी यरुशलम में सेना के भर्ती कार्यालय के पास इजरायली पुलिस के साथ प्रदर्शनकारियों की झड़प भी हुई।
हजारों अति-रूढ़िवादी यहूदी पुरुषों ने काले कपड़े पहने हुए गुरुवार को यरुशलम में सैन्य भर्ती के विरोध में रैली निकाली। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसने इजरायल के दक्षिणपंथी सत्तारूढ़ गठबंधन में बड़ा तनाव पैदा कर दिया है।
इजरायली सोशल मीडिया अकाउंट्स द्वारा प्रकाशित फुटेज में प्रदर्शनकारियों को सैन्य अड्डे के पास एक सड़क को अवरुद्ध करते हुए और उन्हें तितर-बितर करने का प्रयास कर रहे पुलिस अधिकारियों के साथ झड़प करते हुए दिखाया गया है।
एक बयान में, इजरायली पुलिस ने विरोध प्रदर्शन को अवैध घोषित किया और प्रदर्शनकारियों को सड़कों से हटाने तथा भर्ती कार्यालय के क्षेत्र से दूर भगाने के लिए बल प्रयोग किया।
इजरायली आंकड़ों के अनुसार, सैन्य सेवा में भर्ती के लिए हजारों यहूदियों से अनुरोध किया गया था, लेकिन उनमें से केवल दर्जनों हरेदी यहूदी ही भर्ती के लिए उपस्थित हुए।
7 अक्टूबर, 2023 से गाजा में चल रहे युद्ध, पश्चिमी तट पर सैन्य छापे और लेबनानी समूह हिजबुल्ला के साथ सीमा पार झड़पों के कारण सेना को महीनों से कर्मियों की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
जून में, इजरायल के सुप्रीम कोर्ट ने हरेदी यहूदियों को सेना में भर्ती करने का आदेश दिया और उन धार्मिक संस्थानों को वित्तीय सहायता देने पर प्रतिबंध लगा दिया जिनके छात्रों ने सैन्य सेवा से इनकार कर दिया था।
हरेदी यहूदी इजरायल की लगभग 9.9 मिलियन जनसंख्या का लगभग 13 प्रतिशत हैं और वे सेना में सेवा नहीं करते हैं, बल्कि अपना जीवन टोरा के अध्ययन के लिए समर्पित करते हैं।
इजरायली कानून के अनुसार 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी इजरायलियों के लिए सेना में सेवा करना आवश्यक है और हरेदी को छूट देना दशकों से एक विवादास्पद मुद्दा रहा है।

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