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    UN में गाजा पर प्रस्ताव पेश करने के बाद पुतिन ने नेतन्याहू को मिलाया फोन, दोनों नेताओं में क्या हुई बात?

    Updated: Sun, 16 Nov 2025 11:41 AM (IST)

    इजरायल और हमास के युद्धविराम के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से फोन पर बात की। दोनों नेताओं ने गाजा की स्थिति, ईरान के परमाणु कार्यक्रम और सीरिया के हालातों पर चर्चा की। रूस ने पहले अमेरिकी शांति प्रस्ताव के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में एक ड्राफ्ट रिजोल्यूशन पेश किया था, जिसमें ट्रंप के गाजा पीस प्लान को चुनौती दी गई थी।

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    रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू। फाइल फोटो

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इजरायल और हमास के युद्ध पर ब्रेक लगने के बाद से मिडिल ईस्ट में काफी हद तक शांति स्थापित हो चुकी है। इसी बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को फोन किया था।

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    बीते दिन दोनों नेताओं के बीच फोन पर काफी देर तक बातचीत हुई। इस दौरान गाजा की स्थिति से लेकर ईरान के परमाणु प्रोग्राम और सीरिया में चल रहे हालातों पर चर्चा की गई। रूस और इजरायल ने साझा बयान जारी करते हुए इसकी जानकारी दी है।

    पहले सितंबर में हुई थी बात

    इजरायली मीडिया के अनुसार, पुतिन ने नेतन्याहू को पहले फोन किया था। नेतन्याहू ने कई मुद्दों पर उनसे बात की। इससे पहले दोनों नेताओं के बीच सितंबर में बात हुई थी। तब पुतिन ने अमेरिकी सीजफायर प्रस्ताव पर नेतन्याहू से जानकारी ली थी।

    रूस ने पेश किया प्रस्ताव

    बता दें कि रूस ने गुरुवार को अमेरिकी प्रस्ताव के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में ड्राफ्ट रिजोल्यूशन पेश किया था। इस प्रस्ताव के तहत रूस ने ट्रंप के गाजा पीस प्लान को चुनौती दी थी। रूस का कहना है कि यह प्रस्ताव दुश्मनी को पूरी तरह से खत्म करने और बैलेंस मेंटेन करने के लिए बनाया गया है।

    ट्रंप के 20 पॉइंट का फर्स्ट फेज सफल

    ट्रंप के 20 पॉइंट पीस प्लान के फर्स्ट फेज पर इजरायल और हमास ने अक्टूबर पर सहमति जताई थी। हमास ने इजरायली बंदियों को रिहा कर दिया था। वहीं, इजरायल ने भी कई फिलिस्तीनी कैदियों को छोड़ दिया था।

    अमेरिकी अधिकारियों ने गाजा में 20 हजार अमेरिकी सैनिक तैनात करने की योजना बनाई थी, लेकिन ट्रंप ने इससे साफ इनकार कर दिया। ट्रंप ने इंडोनेशिया, यूएई, मिस्त्र, कतर, तुर्किए और अजरबैजान से भी संभावित योगदान देने की बात कही है।

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