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    शेख हसीना को बांग्लादेश वापस लाने की तैयारी तेज, दूसरा गिरफ्तारी वारंट जारी

    By Agency Edited By: Sachin Pandey
    Updated: Mon, 06 Jan 2025 06:49 PM (IST)

    Bangladesh बांग्लादेश की मौजूदा अंतरिम सरकार अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को वापस लाने के लिए पूरा जोर लगा रही है। अब बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने हसीना के खिलाफ एक और गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। इससे पहले भी ट्रिब्यूनल उनके खिलाफ वारंट जारी कर चुकी है। पढ़ें इस बार उन्हें किस मामले में बनाया गया है आरोपी।

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    आईसीटी का शेख हसीना के खिलाफ यह दूसरा वारंट है। (File Image)

    पीटीआई, ढाका। बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने सोमवार को अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को खिलाफ दूसरा गिरफ्तारी वारंट जारी किया। ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना के साथ पूर्व सैन्य जनरलों तथा एक पूर्व पुलिस प्रमुख सहित 11 अन्य लोगों के खिलाफ जबरन गायब किए जाने की घटनाओं में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया।

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    पिछले साल अगस्त में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद अवामी लीग शासन के गिरने के बाद भारत में शरण लेने वाली हसीना के खिलाफ आईसीटी द्वारा यह दूसरा गिरफ्तारी वारंट था। न्यायाधिकरण ने अब तक उनके खिलाफ तीन मामले दर्ज किए हैं। आईसीटी के एक अधिकारी ने कहा, 'न्यायालय के अध्यक्ष न्यायाधीश मोहम्मद गोलाम मुर्तुजा मोजुमदार ने अभियोजन पक्ष की याचिका पर सुनवाई के बाद गिरफ्तारी वारंट जारी किया।'

    12 फरवरी तक पेश करने का दिया था आदेश

    पीटीआई के अनुसार सैकड़ों लोगों के जबरन गायब होने की शिकायतों पर दर्ज मामले में पुलिस महानिरीक्षक को हसीना सहित बारह लोगों को गिरफ्तार करने और उन्हें 12 फरवरी को न्यायाधिकरण के समक्ष पेश करने का आदेश दिया गया था। अपदस्थ प्रधानमंत्री के तत्कालीन रक्षा सलाहकार मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) तारिक अहमद सिद्दीकी और पूर्व आईजीपी बेनजीर अहमद मामले में नामित लोगों में से हैं। जबकि सिद्दीकी वर्तमान में हिरासत में है। वहीं, अहमद के फरार होने की आशंका है।

    आईसीटी के मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने जांच और उनकी गिरफ्तारी के हित में अधिकांश आरोपियों के नामों का खुलासा नहीं किया। इस्लाम ने बाद में मीडिया से कहा, 'इस मामले की अगली सुनवाई भी 12 फरवरी को निर्धारित है। न्यायाधिकरण ने निर्देश दिया है कि यदि जांच रिपोर्ट पूरी हो जाती है तो उसी दिन प्रस्तुत की जाए।'

    'जबरन गायब करने का बनाई संस्कृति'

    हालांकि, उन्होंने कहा कि यदि जांच रिपोर्ट तब तक प्रस्तुत नहीं की जा सकी तो कानून प्रवर्तन एजेंसियों को जांच करनी होगी। गिरफ्तारियों पर स्टेटस रिपोर्ट प्रदान करें। इस्लाम ने न्यायाधिकरण को बताया कि अपदस्थ शासन ने राज्य के संरक्षण में जबरन गायब होने की संस्कृति स्थापित की थी।

    मुख्य अभियोजक ने आरोप लगाया कि इन घटनाओं को अंजाम देने में शामिल लोगों को पुरस्कृत किया गया था। उन्होंने कहा कि एलीट अपराध-विरोधी रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी), पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी), आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय अपराध (सीटीटीसी) इकाई और फोर्स इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीएफआई) जैसी एजेंसियों का इस उद्देश्य के लिए सबसे अधिक बार उपयोग किया गया था।