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    बांग्लादेश: 150 सैन्य अधिकारियों पर ICT का शिकंजा, आरोप पत्र की तैयारी

    Updated: Mon, 13 Oct 2025 02:00 AM (IST)

    बांग्लादेश में, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के शासनकाल में हुए कथित अत्याचारों के चलते 150 से अधिक सैन्य अधिकारियों पर अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) की नज़र है। इन अधिकारियों पर छात्रों और सरकार के विरोधियों के खिलाफ अत्याचार, जबरन गायब करने और हत्याओं के आरोप हैं। ICT जल्द ही इनके खिलाफ आरोप पत्र दायर कर सकती है और वारंट जारी किए जा सकते हैं।

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    अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण। (रॉयटर्स)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेशी सेना के अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के शासन में छात्रों और सरकार से असहमति जताने वालों पर कथित अत्याचार, उन्हें जबरन गायब किए जाने और हत्याओं के मामले में 150 से ज्यादा सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारी अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आइसीटी) की रडार में आ गए हैं।

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    जल्द ही उन पर दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है। इन सैन्य अधिकारियों के खिलाफ एक नया आरोप पत्र दायर किया जाएगा और गुरुवार तक उनके खिलाफ वारंट जारी किए जा सकते हैं। 2009 से 2025 तक सेवा देने वाले सभी सेना प्रमुखों के खिलाफ भी आरोप तय किए जाएंगे।

    सेवारत व पूर्व सैन्य अधिकारियों पर चार्जशीट की तैयारी

    पिछले साल जुलाई-अगस्त में शेख हसीना शासन के खिलाफ हुए आंदोलन के दौरान सुरक्षा बलों ने सैकड़ों छात्रों और नागरिकों को मार डाला था, जबकि स्नाइपर राइफलों का इस्तेमाल करके हेलीकाप्टरों से गोलियां भी चलाई गई थीं। यही कारण है कि बांग्लादेश वायु सेना (बीएएफ) के प्रमुख और कुछ शीर्ष अधिकारियों के भी नाम आरोप पत्र में शामिल किए जा सकते हैं।

    इस बीच, आइसीटी के मुख्य अभियोजक ने रविवार को 15 सेवारत सैन्य अधिकारियों को तुरंत अदालत में पेश करने की मांग की। उन्हें हसीना के शासनकाल के दौरान मानवता के विरुद्ध कथित अपराधों के लिए हिरासत में लिया गया था।

    शीर्ष अधिकारियों, बीएएफ प्रमुख और नौसेना के अधिकारियों को बनाया गया आरोपी

    बहरहाल, सूत्रों के अनुसार, इस बार कार्रवाई का दायरा व्यापक हो गया है क्योंकि बांग्लादेश सेना के शीर्ष अधिकारियों, बीएएफ प्रमुख और नौसेना के कुछ अधिकारियों को भी आरोपित बनाया गया है। उन्होंने शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान (डीजीएफआइ, एनएसआइ, आरएबी, एसएसएफ, पीजीआर, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति कार्यालय, दूतावासों के सैन्य अताशे, आदि में) महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों और संवेदनशील कर्तव्यों का निर्वहन किया था। उन्हें विभिन्न बहानों के तहत बर्खास्त या अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर भेज दिया गया है।

    इसमें अवामी लीग परिवार, स्वतंत्रता सेनानी परिवार और धार्मिक एवं जातीय अल्पसंख्यक समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिकारी भी शामिल हैं। गौरतलब है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के दो अधिकारी इस साल अगस्त में आइसीटी और कुछ अन्य प्रमुख हस्तियों के साथ रणनीति तैयार करने के लिए बांग्लादेश पहुंचे थे ताकि 150 सैन्य अधिकारियों के खिलाफ आरोपों और आरोपितों की सूची को अंतिम रूप दिया जा सके।

    यह भी पता चला है कि बांग्लादेश सेना, वायु सेना और नौसेना में कई जमात समर्थक अधिकारी एक प्रेशर ग्रुप के रूप में काम कर रहे हैं ताकि सेना प्रमुख जनरल वकर उज जमान को यूनुस सरकार के फैसले का पालन करने के लिए मजबूर किया जा सके। इसके अतिरिक्त, वे वर्तमान सेना प्रमुख को हटाए जाने के तुरंत बाद 'इस्लामिक रिवोल्यूशनरी आर्मी' (आइआरए) गठित करने की भी तैयारी कर रहे हैं।

    (समाचार एजेंसी आइएएनएस के इनपुट के साथ)

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