'हमें हमारी चीजें वापस चाहिए', ग्रैंड म्यूजियम खुलने के बाद मिस्त्र में क्यों उठ रही मांग?
ग्रैंड इजिप्शियन म्यूजियम के खुलने से पहले, मिस्र में प्राचीन कलाकृतियों को वापस लाने की मांग बढ़ रही है। रोसेटा स्टोन और रानी ने fertiti का बस्ट जैसी कलाकृतियाँ विदेशी संग्रहालयों में हैं, जिन्हें मिस्र वापस चाहता है। मिस्र का मानना है कि ये कलाकृतियां उसकी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा हैं और उन्हें वापस मिलना चाहिए।

ग्रैंड इजिप्शियन म्यूजियम। (रॉयटर्स)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। काहिरा में मिस्त्र का ग्रैंड इजिप्शियन म्यूजियम आम जनता के लिए खोल दिया गया है। 90 फुटबॉल मैदान जितना बड़ा ये म्यूजियम करीब 54 लाख वर्ग फीट में फैला हुआ है। म्यूजियम के आम जनता के लिए खुलने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
काहिरा के ठीक बाहर गीजा पिरामिड के पास स्थित यह म्यूजियम किसी एक सभ्यता को समर्पित दुनिया का सबसे बड़ा म्यूजियम है। इसमें प्राचीन मिस्त्र के जीवन का विवरण देने वाली 50,000 से अधिक कलाकृतियां प्रदर्शित की गई हैं। इस म्यूजियम में हर साल करीब 50 लाख लोगों को आने की उम्मीद है।
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मिस्त्र में गूंज रही एक ही आवाज
ग्रैंड इजिप्शियन म्यूजियम के खुलने के बाद मिस्त्र में हर तरफ एक ही आवाज सुनाई दे रही है। 'हमें हमारी चीजें वापस चाहिए'। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों मिस्त्र के लोग ये मांग कर रहे हैं।
औपनिवेशिक काल में अवैध रूप से बाहर गई वस्तुएं
आपको बता दें कि मिस्त्र प्राचीन खजानों और धरोहरों की वापसी अमेरिका और यूरोपीय म्यूजियमों से मांग रहा है, क्योंकि कई बेशकीमती वस्तुएं औपनिवेशिक काल में अवैध रूप से मिस्त्र से बाहर ले जाई गई थीं। जानकारी के मुताबिक, 70 देशों के 850 म्यूजियमों में मिस्त्र की करीब 20 लाख धरोहरें फैली हुई हैं।
इनमें से अकेले ब्रिटेन में ही एक लाख से अधिक, जर्मनी में 80 हजार, फ्रांस में 70 हजार और अमेरिका में 25 हजार धरोहरें शामिल हैं।
क्या कहता है कानून?
अगर कानून की बात करें तो यूनेस्को 1970 और यूनिड्रॉइट 1995 कन्वेंशन के तहत देश अपनी धरोहरों को वापस मांग सकते हैं, यदि वो ये साबित कर सकें कि धरोहरें अवैध रूप से ले जाई गई थी।
मिस्त्र की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने का प्रयास
ग्रैंड इजिप्शियन म्यूजियम राष्ट्रपति अब्देल-फतह अल-सिसी द्वारा 2014 में पदभार ग्रहण करने के बाद से संचालित की जा रही बड़ी परियोजनाओं में से एक है। उन्होंने दशकों के ठहराव से कमजोर हुई अर्थव्यवस्था और 2011 के अरब स्प्रिंग विद्रोह के बाद हुई अशांति से प्रभावित अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से बुनियादी ढांचे में बड़े पैमाने पर निवेश शुरू किया है।
(समाचार एजेंसी एपी के इनपुट के साथ)

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