युनुस सरकार की खुली आंखें, बांग्लादेश में अब जबरन गायब करने वालों को मिलेगी मौत की सजा
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने गुरुवार को एक मसौदा अध्यादेश को मंजूरी दे दी, जिसमें अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और 15 सेवारत सैन्य अधिकारियों के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराध के लिए चल रहे मुकदमेके बीच जबरन गायब करने के अपराधियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान है।

बांग्लादेश में अब जबरन गायब करने वालों को मिलेगी मौत की सजा (फोटो- रॉयटर)
पीटीआई, ढाका। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने गुरुवार को एक मसौदा अध्यादेश को मंजूरी दे दी, जिसमें अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और 15 सेवारत सैन्य अधिकारियों के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराध के लिए चल रहे मुकदमे के बीच जबरन गायब करने के अपराधियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान है।
मुख्य सलाहकार यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने सलाहकार परिषद द्वारा मसौदे को मंजूरी दिए जाने के बाद कहा कि यह एक ऐतिहासिक कानून है। यह सुनिश्चित करेगा कि देश में जबरन गायब होने की घटनाएं फिर कभी न हों।
उन्होंने कहा कि यह कानून तथाकथित अयनाघर जैसे गुप्त हिरासत केंद्रों की स्थापना को अपराध घोषित करता है और अदालतों को आरोप दायर होने के 120 दिनों के भीतर प्रस्तावित कानून के तहत सुनवाई करने के लिए बाध्य करता है।
राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन की स्वीकृति के बाद यह अध्यादेश संभवत: 15 सैन्य अधिकारियों, शेख हसीना और अपदस्थ सरकार में उनके कई सहयोगियों के मामले में लागू होगा।
बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के मुख्य अभियोजक ने 16 अक्टूबर को अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए मृत्युदंड की मांग की और आरोप लगाया कि वह पिछले वर्ष बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के दौरान किए गए मानवता के खिलाफ अपराधों के पीछे ‘‘प्रमुख सूत्रधार’’ थीं।
हसीना (78) बांग्लादेश में कई मामलों का सामना कर रही हैं। पिछले साल अगस्त में देश में बड़े पैमाने पर छात्र आंदोलन के बाद उन्हें प्रधानमंत्री पद से अपदस्थ कर दिया गया था।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल 15 जुलाई से 15 अगस्त के बीच हसीना सरकार द्वारा प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षा कार्रवाई के आदेश के कारण 1,400 लोग मारे गए थे।

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