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    गेम चेंजर हो सकता है न्यूक्लियर एनर्जी में भारत-फ्रांस का साथ, दुनिया देखेगी दोनों देशों की ताकत

    Updated: Wed, 12 Feb 2025 11:41 PM (IST)

    पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर स​हमति बनी। भारत-फ्रांस ने परमाणु ऊर्जा सहयोग पर मिलकर काम करने पर सहमति जताई है। दोनों देशों के लिए गेम चेंजर हो सकता है। छोटे परमाणु रिएक्टरों की मांग काफी बढ़ने का आकलन भी चर्चा में लगाया गया। फ्रांस के साथ 9600 मेगावाट का परमाणु संयंत्र को लेकर पहले ही समझौता हो चुका है।

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    पीएम मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान न्यूक्लियर एनर्जी पर साथ काम करने पर सहमति बनी। फोटो: PTI

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आम बजट 2025-26 में देश में छोटे परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाने को प्रोत्साहित करने की घोषणा के दो हफ्ते के भीतर ही भारत ने फ्रांस के साथ परमाणु ऊर्जा सेक्टर में तीन अहम समझौते किये हैं। इसमें एक समझौता छोटे व अत्याधुनिक मॉड्यूलर रिएक्टरों की डिजाइन करने, विकसित करने और उनका उत्पादन करने को लेकर है।

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    भारत ने पहली बार किसी दूसरे देश के साथ इस तरह का समझौता किया है। भारत व फ्रांस का आकलन है कि आने वाले समय में छोटे परमाणु रिएक्टरों की मांग काफी बढ़ेगी। खास तौर पर जैसे जैसे एआइ का उपयोग बढ़ेगा वैसे वैसे परमाणु ऊर्जा की अहमियत साबित होती जाएगी। इस समझौते को दीर्घकालिक उद्देश्यों के तहत बताया जा रहा है।

    एआई का उपयोग बढ़ाने और बिजली की खपत पर हुई चर्चा

    पेरिस में संपन्न एआइ एक्शन समिट में एआई का उपयोग बढ़ने के साथ दुनिया में बिजली की खपत बढ़ने को लेकर चर्चा हुई है। अंतरराष्ट्रीय इनर्जी एजेंसी (आइईए) के महानिदेशक फतिह बिरेल ने एआइ को अनिवार्य तौर पर बिजली ही बताया है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बिरेल के इस बयान का जिक्र करते हुए कहा है ,

    'एआई के विस्तार से जिस मात्रा में हमें बिजली की जरूरत पड़ेगी और अगर उसे पर्यावरण को हानि पहुंचाये बिना सतत तौर पर बना कर रखने की जरूरत है तो उसे परमाणु ऊर्जा से ही पूरा किया जा सकेगा। यहां पर अत्याधुनिक मॉड्यूलर रिएक्टर (एएमआर) और छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) अहम भूमिका निभा सकते हैं। भारत व फ्रांस के बीच का समझौता इस उद्देश्य से ही किया गया है।'

    दुनिया के देश एआई के लिए बना रहे बड़े डाटा केंद्र

    बताते चलें कि आइईए की वर्ष 2022 की एक रिपोर्ट के मुताबिक अभी जबकि एआई, डाटा सेंटर बेहद शुरुआती दौर में है तभी यह वैश्विक ऊर्जा खपत का दो फीसद ले रहे हैं। उसके बाद से एआई में काफी विकास हो चुका है। अधिकांश विकसित व कई विकासशील देश अपने यहां विशालकाय डाटा केंद्र बना रहे हैं ताकि एआई को अपना सकें।

    यह बिजली की मांग को और बढ़ाएगा।बताते चलें कि भारत और फ्रांस के बीच जैतापुर (महाराष्ट्र) में 9600 मेगावाट का परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगाने को लेकर पहले ही एक समझौता हुआ है। हाल ही में भारत ने यहां परमाणु ऊर्जा से जुड़े अहम कानूनी बदलाव करने की घोषणा की है। इस पर अब तेजी से प्रगति होने की संभावना जताई जा रही है। भारत ने वर्ष 2047 तक परमाणु ऊर्जा से एक लाख मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य रखा है।