'अमेरिका को भुगतने होंगे गंभीर परिणाम', खामेनेई की ट्रंप को सीधी चेतावनी; ईरान के पास पलटवार के लिए हैं चार विकल्प
US vs Iran: इजरायल और ईरान के बीच चल रहे युद्ध में अब अमेरिका की एंट्री हो गई है। अमेरिका ने रविवार को ईरान के कई परमाणु ठिकानों पर हमला बोला। अमेरिका का दावा है कि इस हमले में ईरान को भारी नुकसान हुआ है। हालांकि अब माना जा रहा है अमेरिका के हमले के बाद ईरान पलटवार कर सकता है। देखा जाए तो अमेरिकी हमलों के बाद ईरान के पास पलटवार के लिए चार विकल्प हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति एवं ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई। (फाइल फोटो)
एपी, दुबई। तेहरान के साथ सीधे सैन्य संघर्ष में अमेरिका के कूदने के बाद अब ईरान पलटवार कर सकता है। ईरान ने दशकों तक अपने देश और पूरे क्षेत्र में बहु-स्तरीय सैन्य क्षमताएं विकसित की हैं।
इनका उद्देश्य यह भी था कि अमेरिका उस पर हमले करने से पहले इसके परिणाम के बारे में कई बार सोचे और ईरान अमेरिकी हमले से महफूज रहे, लेकिन इजरायल के साथ युद्ध में शामिल होकर अमेरिका ने ईरान को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है।
ईरान की चेतावनी, युद्ध से दूर रहे अमेरिका
जब से इजरायल ने ईरान के सैन्य और परमाणु स्थलों पर बमबारी करके युद्ध शुरू किया है, तब से सर्वोच्च नेता से लेकर ईरानी के कई अधिकारियों ने अमेरिका को इस युद्ध से दूर रहने की चेतावनी दी है और कहा है कि इसके पूरे क्षेत्र के लिए भयंकर परिणाम होंगे। आइए जानने का प्रयास करते हैं कि अमेरिका हमले के बाद ईरान पलटवार के लिए कौन से चार विकल्प दिख रहे हैं। इससे क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं।
होर्मुज जलडमरूमध्य को निशाना बना सकता है ईरान
ईरान फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी से जोड़ने वाले दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण तेल गलियारे होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर सकता है। वैश्विक स्तर पर होने वाले कुल तेल व्यापार का लगभग 20 प्रतिशत होर्मुज जलडमरूमध्य के जरिये ही होता है। इस क्षेत्र में किसी भी रुकावट से दुनियाभर में तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं। इससे अमेरिका को भी काफी नुकसान हो सकता है। ईरान के पास तेज गति से हमला करने वाली नौकाओं का बेड़ा है जो होर्मुज जलडमरूमध्य क्षेत्र में कुछ समय के लिए तो आवागमन रोक ही सकता है।
ईरान फारस की खाड़ी तट से मिसाइलें भी दाग सकता है, जैसा कि उसके सहयोगी यमन के हाउती विद्रोहियों ने लाल सागर में किया है। अमेरिका का पांचवां बेड़ा निकटवर्ती बहरीन में तैनात है। उसने जलडमरूमध्य में नौवहन की स्वतंत्रता को बनाए रखने का संकल्प लिया है, लेकिन इससे जहाजों का यातायात बाधित हो सकता है। तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं और युद्ध विराम के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बन सकता है।
अमेरिकी ठिकानों और सहयोगियों पर हमला कर सकता है ईरान
अमेरिका ने इस क्षेत्र में हजारों सैनिक तैनात कर रखे हैं। इनमें कुवैत, बहरीन, कतर और संयुक्त अरब अमीरात में स्थायी अड्डे भी शामिल हैं। इन ठिकानों पर इजराइल जैसी ही अत्याधुनिक सुरक्षा व्यवस्था है, लेकिन मिसाइलों की बौछार या सशस्त्र ड्रोनों के झुंडों से पहले अलर्ट के लिए बहुत कम समय होगा। ईरान उन देशों में प्रमुख तेल और गैस संयंत्रों पर भी हमला कर सकता है। ऐसा करके ईरान युद्ध में अमेरिका की भागीदारी के लिए इन देशों को सबक सिखाना चाहता है।
क्षेत्रीय सहयोगियों को मजबूत करने का करेगा प्रयास
पश्चिम एशिया में ईरान का तथाकथित एक्सिस ऑफ रेसिस्टेंस या प्रतिरोध की धुरी के कमजोर होने के बावजूद अभी भी इसमें काफी क्षमताएं हैं। इसमें लेबनान के हिजबुल्ला, फलस्तीनी आतंकी समूह हमास और यमन में हाउती विद्रोही शामिल थे। 2015 तक, यह गठबंधन सबसे मजबूत था। सात अक्टूबर, 2023 को इजरायल पर हमास के हमले के बाद इजरायल ने गाजा पट्टी पर पलटवार किया। इजरायल ने हमास को लगभग बर्बाद कर दिया है। इजरायल ने हिजबुल्ला को भी काफी कमजोर कर दिया।
इजरायल ने पिछले वर्ष लेबनान में कई सप्ताह तक बमबारी की थी, लेकिन हाउती अभी भी मजबूत हैं। ईरान हाउती की मदद ले सकता है जिसने धमकी दी थी कि अगर अमेरिका युद्ध में शामिल हुआ तो वे लाल सागर में अपने हमले फिर से शुरू कर देंगे। इराक में अपने सहयोगी मिलिशिया की भी ईरान मदद ले सकता है। हाउती और मिलिशिया के पास ड्रोन और मिसाइल क्षमताएं हैं। हाउती और मिलिशिया अमेरिका और उसके सहयोगियों को निशाना बनाकर ईरान की मदद के लिए आ सकते हैं।
परमाणु हथियारों के लिए और तेज कर सकता है प्रयास
ईरान के परमाणु केंद्रों पर अमेरिकी हमलों का पूरा असर सामने आने में कई दिन या सप्ताह लग सकते हैं। आशंका है कि ईरान परमाणु हथियारों के लिए प्रयास और तेज कर सकता है। विशेषज्ञों ने चेताया है कि अमेरिकी और इजरायली हमले ईरान की हथियार विकसित करने की क्षमता को अवरुद्ध कर सकते हैं, लेकिन खत्म नहीं कर सकते। इसका कारण यह है कि ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को देशभर में कई जगहों पर फैला दिया है, जिनमें भूमिगत केंद्र भी शामिल हैं।
ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम को दुरुस्त करने या फिर से संगठित करने में संघर्ष करना पड़ सकता है, लेकिन वह अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के साथ अपने सहयोग को समाप्त करने और परमाणु अप्रसार संधि से हटने का फैसला कर सकता है। उत्तर कोरिया ने 2003 में संधि से हटने की घोषणा की थी और तीन साल बाद उसने परमाणु हथियार का परीक्षण किया था।
ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है, हालांकि वह एकमात्र गैर-परमाणु-सशस्त्र देश है जो 60 प्रतिशत तक यूरेनियम संवर्द्धन करता है, जो 90 प्रतिशत के हथियार-स्तर से कुछ ही कदम दूर है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों और आइएईए का आकलन है कि ईरान ने 2003 के बाद से कोई संगठित सैन्य परमाणु कार्यक्रम नहीं चलाया है। माना जाता है कि इजरायल पश्चिम एशिया का एकमात्र परमाणु-सशस्त्र संपन्न देश है, लेकिन वह ऐसे हथियार होने की बात स्वीकार नहीं करता।
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