राजशाही, लोकतंत्र और... 29 साल से क्यों सुलग रहा है नेपाल, क्या है सत्ता परिवर्तन की पूरी कहानी?
Nepal Protest History नेपाल में दो दशकों के राजनीतिक बदलावों के बाद भी जनता निराश है। राजशाही के खिलाफ सशस्त्र आंदोलन के बाद माओवादियों की सरकार बनी लेकिन जनता की उम्मीदें पूरी नहीं हुईं। गृहयुद्ध में 16000 से अधिक लोगों की जान गई। लोकतंत्र से निराश लोग फिर से सड़कों पर हैं और राजशाही की वापसी की मांग कर रहे हैं।

डिजिटल डेस्क, काठमांडू। नेपाल की राजधानी काठमांडू की गलियों में बीते दो दशकों के राजनीतिक उतार-चढ़ाव की परछाई आज भी साफ दिखाई देती है। पिछले दो दिनों से नेपाल हिंसा की आग में चल रहा है। 24 आंदोलनकारी पुलिस की गोली से मारे जा चुके हैं, 5 मंत्री इस्तीफा दे चुके हैं और देश भर में हिंसा हो रही है।
एक ऐसा देश जिसने 1996 में राजशाही के खिलाफ सशस्त्र आंदोलन शुरू किया। फिर 10 वर्षों की हिंसा और अस्थरिता के लंबे दौर से गुजरने के बाद 2006 में जन आंदोलन को अलविदा कहा। माओवादियों की सरकार बनी। लेकिन सरकारों से निराश जनता एक बार फिर सड़कों पर है।
गृहयुद्ध में 16,000 से अधिक की गई जान
दस वर्ष तक चले इस गृहयुद्ध में 16,000 से अधिक लोग मारे गए, और 2006 में शांति समझौते के साथ इसका अंत हुआ । नेपाल अब हिन्दू राष्ट्र नहीं रहा बल्कि एक गणतांत्रिक देश बन गया । नेपाल में 2008 में माओवादियों की जीत के बाद 240 साल पुरानी राजशाही खत्म हुई। लेकिन 2006 में 'मुकम्मल' हुई क्रांति से जनता के हालात कितने बदले ? दो दशकों बाद भी सवाल यही है।
अतीत की जंजीरों से आजाद नहीं हो पाया नेपाल
नेपाल ने 2015 में नए संविधान के साथ खुद को एक संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया। फिर भी आज नेपाल अपने अतीत की जंजीरों से पूरी तरह आजाद नहीं हो पाया है। लाल क्रांति का सपना अधूरा रह गया, लोकतंत्र लगातार उलझनों में घिरा है और राजशाही समय-समय पर सिर उठाकर अपने लिए अवसर की तलाश कर रही है।
माओवादी विद्रोह
1996 में शुरू हुआ माओवादी विद्रोह नेपाल के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ था। 1996 से 2006 तक चले माओवादी आंदोलन का दावा था कि यह सामाजिक- आर्थिक ढांचे को बदलकर देश को न्यायपूर्ण और बराबरी वाला बनाने का संघर्ष है ।
माओवादियों के अनुसार ये आंदोलन राजशाही के खिलाफ था । इस आंदोलन में हजारों जानें गईं, गांव-गांव में विद्रोह का झंडा बुलंद हुआ और आखिरकार शांति समझौते के साथ माओवादी मुख्यधारा की राजनीति में आए। माओवादियों ने लोकतंत्र और नए संविधान का वादा किया, जिसने ग्रामीण इलाकों व्यापक समर्थन हासिल किया।
राजशाही की वापसी की मांग
लोकतंत्र से निराशा के बीच नेपाल में राजशाही की वापसी की मांग ने फिर से जोर पकड़ा है. 2025 में काठमांडू और अन्य शहरों में हजारों लोग “राजा वापस आओ, के नारे के साथ सड़कों पर उतरे पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह, जिन्हें 2008 में सत्ता से हटाया गया था, एक बार फिर सुर्खियों में हैं। उनके समर्थकों का मानना है कि राजशाही के दौर में कम से कम स्थिरता तो थी और भ्रष्टाचार आज की तुलना में कम था।
ग्रामीण और पारंपरिक इलाकों में एक वर्ग आज भी मानता है कि राजशाही के दौर में सुरक्षा और स्थिरता थी । संवैधानिक राजशाही और हिंदू राष्ट्र की वकालत करने वाली राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) इस आंदोलन का नेतृत्व कर रही है। लोकतांत्रिक व्यवस्था से निराश नेपाल का एक वर्ग मुखर होकर राजशाही वापस लाने की मांग कर रहा है।
सत्ता का चेहरा बदला, व्यवस्था नहीं
नेपाल की क्रांति के बाद माओवादी नेताओं जैसे पुष्पकमल दहल “प्रचंड ने सत्ता हासिल तो की लेकिन नेपाल का संसदीय लोकतंत्र तमाशा बनकर रह गया । नेता सत्ता और भ्रष्टाचार के लिए तिकड़मबाजी में उलझ गए। जनता से किया गया समृद्धि, शिक्षा और स्वास्थ्य का सपना अधूरा ही रहा । आज लोग कहते हैं कि माओवादी क्रांति ने सत्ता का चेहरा बदला, व्यवस्था नहीं ।
17 वर्षों में बदले 14 प्रधानमंत्री
नेपाल में राजनीति कितनी अस्थिर रही इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2006 से 2025 तक नेपाल में 14 बार प्रधानमंत्री बदले हैं। इस दौरान पुष्प कमल दहल प्रचंड, माधव कुमार नेपाल, बाबूराम भट्टराई, सुशील कोइराला, केपी शर्मा ओली और शेर बहादुर देऊबा जैसे कद्दावर नाम हैं, जिन्होंने देश की सत्ता संभाली। 2008 में राजशाही के खात्मे के बाद नेपाल ने लोकतंत्र की राह पकड़ी, लेकिन यह राह स्थिरता से कोसों दूर रही। 17 सालों में 14 सरकारें बदल चुकी हैं, और कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है।
दुनिया के सबसे गरीब देशों में शामिल है नेपाल
नेपाल दुनिया के सबसे गरीब देशों में आता है। विश्व बैंक और अन्य स्रोतों के अनुसार नेपाल दक्षिण एशिया में अफगानिस्तान के बाद दूसरा सबसे गरीब देश है। 2024 में नेपाल की प्रति व्यक्ति आय लगभग 1,381 डालर थी। 2025 में भारत की प्रति व्यक्ति आय 2,878 डालर है जो नेपाल से दोगुनी से अधिक है।
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