Nepal Protest News: तीन बड़े घोटाले, भारत से दूरी और चीनी प्रेम... नेपाल के Gen-Z आंदोलन की Inside Story
Nepal protest News नेपाल में लगातार हालात बिगड़ते जा रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने पूर्व पीएम शेर बहादुर देउबा और उनकी पत्नी आरजू राणा को घर में घुसकर पीटा। पूर्व पीएम की पत्नी को जिंदा जला दिया। पीएम केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा (KP Sharma Oli Resign) दे दिया। अब तक 22 की मौत और 400 से ज्यादा हो घायल (Nepal Gen-Z Protest Death) हो चुके हैं।

Nepal protest News डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नेपाल में सोशल मीडिया बैन पर शुरू हुए जनरेशन जेड (जेन-जी ) के हिंसक विरोध प्रदर्शनों से लगातार दूसरे दिन मंगलवार को भी हालात बिगड़ते जा रहे हैं। उग्र प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में आग लगा दी। संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, पीएम निवास, गृह मंत्री आवास व केंद्रीय प्रशासनिक इमारतों में तोड़फोड़ और आगजनी की।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल, गृहमंत्री रमेश लेखक के निजी आवासों में भी आगजनी की। पार्टी दफ्तरों और पुलिस थानों पर हमले किए। संसद भवन, सिंह दरबार (कैबिनेट मंत्रियों के आवास) और सर्वोच्च न्यायालय पूरी तरह प्रदर्शनकारियों के कब्जे में है। बैंको में लूटपाट की गई।
प्रदर्शनकारियों ने पूर्व पीएम शेर बहादुर देउबा और उनकी पत्नी आरजू राणा को घर में घुसकर पीटा। वित्त मंत्री विष्णु पोडौल को काठमांडू में उनके घर के बाहर दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया। सेना उन्हें हेलिकॉप्टर से अज्ञात स्थान पर ले गई है। कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें भी शेख हसीना की तरह देश छोड़ना पड़ा। अब तक 22 लोगों की मौत हो चुकी है और 400 से ज्यादा लोग घायल हैं। हिंसा अभी भी जारी है।
अभी सवाल ये है कि आखिर ये आंदोलन क्यों भड़का, क्या सिर्फ सोशल मीडिया बैन करने के चलते युवा उग्र हो गए या फिर इसके पीछे कुछ और कारण भी हैं? यहां पढ़ें नेपाल में हिंसक प्रदर्शनों के पीछे के छह कारण...
'नेताओं के बच्चों के ऐश और हम पर बैन'
नेपाल में जेनरेशन जेड यानी साल 1997 से 2012 के बीच पैदा हुए युवाओं में बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार को लेकर निराशा थे। जेन-जी की निराशा को गुस्से में बदलने का काम भाई-भतीजावाद और चहेतों को कुर्सी पर बैठाने, नेताओं के बच्चों की विदेश यात्राएं, शानो-शौकत की पार्टियां और ब्रांडेड सामान यूज करने की सोशल मीडिया पर चर्चा ने किया।
इसका असर यह हुआ कि नेपाल में इंडोनेशिया और फलस्तीन का 'नेपो बेबी' कैंपेन ट्रेंड करने लगा। जब सरकार ने सोशल मीडिया पर बैन लगाया तो युवाओं ने इस अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाना माना।
तीन बड़े घोटाला
नेपाल में चार साल के भीतर तीन बड़े घोटालों ने युवाओं में सरकार के प्रति गुस्सा बढ़ा दिया है।
- 2021 में 54,600 करोड़ का गिरी बंधु भूमि स्वैप घोटाला।
- 2023 में 13,600 करोड़ का ओरिएंटल कोऑपरेटिव घोटाला।
- 2024 में 69,600 करोड़ रुपये का कोऑपरेटिव घोटाला।
इन घोटालों से युवाओं में सरकार के प्रति नाराजगी चरम पर पहुंच गई। जब सरकार ने सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की, तो यह आग में घी डालने जैसा साबित हुआ।
इसके बाद सरकार की नीतियों का विरोध करने वाले लोग और भी मुखर होकर सामने आए। ऐसे में सरकार ने सोशल मीडिया पर बैन लगाया तो सरकार के खिलाफ लिखने-बोलने वालों ने चिंगारी में घी डालने का काम किया।
बेरोजगारी और आर्थिक बदहाली
नेपाल में भ्रष्टाचार के साथ-साथ बेरोजगारी और आर्थिक बदहाली भी एक गंभीर समस्या बन गई है। 2019 में जहां बेरोजगारी दर 10.39 फीसदी थी, जोकि अब बढ़कर 10.71 फीसदी हो गई है। इसी तरह 2019 में 4.6% की महंगाई दर थी, जो अब 5.2% हो गई है।
नेपाल में आर्थिक असमानता लगातार बढ़ रही है। केवल 20% लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का 56% हिस्सा है। यह दर्शाता है कि भ्रष्टाचार और आर्थिक नीतियों के कारण समाज का एक बड़ा हिस्सा हाशिये पर चला गया है।
सियासी अस्थिरता, 5 साल में 3 सरकारें
नेपाल में जुलाई 2021 से लेकर अब तक, यानी पांच साल में तीन सरकारें आई..
- जुलाई 2021: शेर बहादुर देउबा प्रधानमंत्री बने।
- दिसंबर 2022: पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' ने प्रधानमंत्री का पद संभाला।
- जुलाई 2024: के.पी. शर्मा ओली प्रधानमंत्री बने।
इससे स्पष्ट है कि नेपाल में राजनीतिक स्थिरता की भारी कमी थी, जिसका सीधा असर आर्थिक और सामाजिक विकास पर पड़ रहा है।
'विदेशी दखल से नेपाल सिर्फ मोहरा बन गया'
जुलाई 2024 में जब के पी शर्मा ओली सत्ता में आए तो देखा गया कि उनका चीन की ओर झुकाव बढ़ा, जबकि उनसे पहले की सरकारों ने अमेरिकी प्रभाव में फैसले लिए। भारत की नीतियों को ध्यान में रखकर फैसले लिए।
राजनीतिक उठा-पटक और सोशल मीडिया बैन के बीच सिर्फ चीनी ऐप टिक-टॉक चलता रहा। ऐसे में युवाओं को लगा कि बड़े देशों के दबाव में आकर नेपाल एक मोहरे की तरह इस्तेमाल हो रहा है।
भारत से बढ़ती दूरी
के पी शर्मा ओली के प्रधानमंत्री बनने के बाद नेपाल ने लिपुलेख दर्रे को अपने नक्शे में दिखाया, जिससे भारत के साथ संबंधों में तनाव आ गया। चीन से बढ़ती नजदीकी के कारण भी भारत के साथ संबंध प्रभावित हुए। इन तनावपूर्ण संबंधों का सीधा असर नेपाल की अर्थव्यवस्था पर पड़ा, जिससे आर्थिक दबाव बढ़ा और युवाओं में बेचैनी भी बढ़ गई।
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