नेपाल में सोशल मीडिया बैन करने का विरोध, सड़कों पर उतरे लाखों युवा; हिंसक प्रदर्शन में अब तक 19 की मौत
श्रीलंका और बांग्लादेश के बाद अब नेपाल में भी युवा सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आए हैं। इंटरनेट मीडिया पर प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के विरोध में जेन-जी के बैनर तले युवाओं ने काठमांडू में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प में 19 लोगों की मौत हो गई।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। श्रीलंका और बांग्लादेश के बाद अब नेपाल में भी युवा सरकार के खिलाफ बगावत पर उतर आए। इंटरनेट मीडिया पर प्रतिबंध लगाने और देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरोध में जेन-जी के बैनर तले हजारों युवाओं ने राजधानी काठमांडू और विभिन्न शहरों में हिंसक प्रदर्शन किया है। प्रदर्शनकारियों में सैकड़ों छात्र स्कूल व कॉलेज की यूनिफॉर्म में देखे गए।
हिंसा पर उतारू प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की कार्रवाई में 12 साल के स्कूली बच्चे समेत कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई, जबकि लगभग 350 घायल हैं। काठमांडू में कर्फ्यू के साथ ही सेना तैनात कर दी गई है। कई अन्य शहरों में भी कर्फ्यू लगाया गया है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कैबिनेट की आपात बैठक बुलाकर हालात पर विचार-विमर्श किया।
गृह मंत्री ने दिया इस्तीफा
बाद में नेपाल की गठबंधन सरकार में गृह मंत्री एवं नेपाली कांग्रेस के नेता रमेश लेखक ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। नेपाल में हिंसा के मद्देनजर भारत में सीमा की सुरक्षा में तैनात सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने सतर्कता बढ़ा दी है। ओली सरकार ने फेसबुक, वॉट्सएप और एक्स सहित 26 इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्मों पर प्रतिबंध लगा दिया था। यह कार्रवाई पंजीकरण नहीं कराने पर चार सितंबर को की गई थी।
नेपाल की लगभग तीन करोड़ की आबादी में 90 प्रतिशत लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं। काठमांडू पोस्ट के अनुसार, प्रतिबंध को तुरंत हटाने की मांग करते हुए सोमवार को काठमांडू में हजारों युवा संसद भवन के सामने इकट्ठा हुए और सरकार विरोधी नारे लगाए। प्रदर्शनकारी झंडे और पोस्टर लिए हुए थे जिन पर ''भ्रष्टाचार बंद करो, इंटरनेट मीडिया नहीं''; ''इंटरनेट मीडिया पर से प्रतिबंध हटाओ'' और ''युवा भ्रष्टाचार के विरोधी'' जैसे नारे लिखे थे।
संसद के सुरक्षाकर्मियों पर पथराव किया
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, प्रदर्शन उस समय हिंसक हो गया जब कुछ प्रदर्शनकारी बैरीकेड्स तोड़कर संसद परिसर में घुस गए, एंबुलेंस को आग लगा दी और संसद के सुरक्षाकर्मियों पर पथराव किया। इसके बाद पुलिस को प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले, हवाई फायरिंग और रबर की गोलियों का इस्तेमाल करना पड़ा।
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि 17 लोग काठमांडू के विभिन्न हिस्सों में संघर्ष के दौरान मारे गए, जबकि दो लोग पूर्वी नेपाल के सुनसरी जिले में पुलिस फायरिंग में मारे गए हैं। हिंसा के बाद संसद भवन, राष्ट्रपति भवन, उपराष्ट्रपति आवास और प्रधानमंत्री कार्यालय के आसपास के क्षेत्र में कफ्र्यू लगा दिया गया है।
अभिव्यक्ति पर हमला मान रहे प्रदर्शनकारी
जेन-जी का हिंसक प्रदर्शन बिराटनगर, भरतपुर, पोखरा, बुटवल, चितवन, नेपालगंज, भैरहवा, इटाहरी (सुनसरी), ललितपुर, झापा और दमक शहरों में भी फैल गया है। काठमांडू के अलावा ललितपुर, पोखरा, बुटवल और इटाहरी में भी कर्फ्यू लगा दिया गया है। झापा में प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री ओली के आवास पर भी पथराव किया।
सरकार भले ही कह रही है कि प्रतिबंध प्लेटफॉर्मों को विनियमित करने के लिए लगाया गया है। लेकिन लोगों की धारणा है कि इससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला होगा और इससे सेंसरशिप की नौबत आ सकती है। प्रदर्शनकारियों का यह भी मानना है कि देश में भ्रष्टाचार बहुत ज्यादा है और ओली सरकार अपने वादे पूरे नहीं कर रही है।
एक दिन पहले पत्रकारों ने भी किया था प्रदर्शन
रविवार को काठमांडू के मध्य में स्थित मैतीघर मंडला में दर्जनों पत्रकारों ने भी सरकार के फैसले के विरोध में प्रदर्शन किया था। नेपाल कंप्यूटर एसोसिएशन (सीएएन) ने कहा कि फेसबुक, एक्स और यूट्यूब जैसे महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्मों को एक साथ बंद करने से शिक्षा, व्यापार, संचार और आम लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी पर गंभीर असर पड़ सकता है। साथ ही यह कदम नेपाल को डिजिटल रूप से दुनिया में पीछे ले जा सकता है।
पीएम ओली बोले- इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्मों के विरुद्ध नहीं
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा, ''हम प्लेटफॉर्मों या इंटरनेट मीडिया के विरुद्ध नहीं हैं, बल्कि हम कानून-व्यवस्था को नहीं मानने, अहंकार और हमारे देश की बेइज्जती करने के विरुद्ध हैं। एक वर्ष तक हमने इंटरनेट मीडिया से कहा कि नेपाल के कानून के तहत पंजीकरण करें, टैक्स दें और जवाबदेह बनें। लेकिन कंपनियों ने नियमों का पालन नहीं किया। यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि कोई नेपाल में कारोबार करे, पैसे कमाए और फिर भी कानून का पालन न करे।'
प्रतिबंधित प्लेटफॉर्म
फेसबुक, मैसेंजर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, वाट्सएप, एक्स, लिंक्डइन, स्नैपचैट, रेडिट, डिस्कार्ड, पिंटरेस्ट, टेंसेंट, सिग्नल, थ्रेड्स, वीचैट, क्वोरा, टंबलर, क्लबहाउस, मैस्टोडान, रंबल, वीके, लाइन, आइएमओ, जैलो, सोल और हमरो पात्रो
ये एप हुए पंजीकृत
वाइबर, टिकटॉक, वी-टॉक और निम्बुज
क्या है जेन-जी?
जेन-जी को आम तौर पर 1997 और 2012 के बीच जन्मे लोगों को कहा जाता है। यानी 2025 में जिनकी उम्र लगभग 13 से 28 वर्ष के बीच है। नेपाल की तरह श्रीलंका (2022) और बांग्लादेश (2024) में भी आंदोलन में 'जेन-जी' ही सबसे आगे थी।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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