2024 में 1.4 करोड़ बच्चों को नहीं लगी कोई वैक्सीन, जानें UN की रिपोर्ट ने क्यों बढ़ाई पूरी दुनिया की टेंशन
संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल दुनिया भर में 1.4 करोड़ से ज्यादा बच्चों को वैक्सीन नहीं मिल पाई। इनमें से ज्यादातर बच्चे नाइजीरिया भारत सूडान जैसे 9 देशों से हैं। डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार 1 साल से कम उम्र के 89 प्रतिशत बच्चों को डिप्थीरिया टेटनस और खांसी की पहली खुराक दी गई।

डिजिटल डेस्क, लंदन। संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य अधिकारियों ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। पिछले साल दुनिया के 14 मिलियन (1 करोड़ 40 लाख) से ज्यादा बच्चे वैक्सीन से वंचित रह गए। इनमें से ज्यादातर बच्चे सिर्फ 9 देशों से ताल्लुक रखते हैं, जिन्हें पिछले साल एक ही वैक्सीन नहीं लगी है।
विश्व स्वास्थय संगठन (WHO) और यूनिसेफ ने मंगलवार को जारी की गई एक रिपोर्ट में बताया कि 1 साल स कम उम्र के 89 प्रतिशत बच्चों को डिप्थीरिया, टेटनस और खांसी की पहली खुराक दी जा चुकी है। वहीं, 85 प्रतिशत बच्चों को तीनों खुराक लग चुकी है। यह आंकड़े 2023 के आसपास ही हैं।
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ट्रंप ने रोकी थी WHO की फंडिंग
यूएन के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय सहायता बंद होने के कारण इस साल यह आंकड़े कम हो सकते हैं। दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता में आते ही WHO को मिलने वाली फंडिंग पर रोक लगा दी है, जिससे कई बच्चे अब वैक्सीन से वंचित रह सकते हैं।
वैक्सीन से बची 35-50 लाख लोगों की जान
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, डिप्थीरिया, टिटनेस और काली खांसी की वैक्सीन से हर साल 35-50 लाख लोगों की जान बचती है। WHO के महानिदेशक टेड्रोस एडनॉ के अनुसार,
फंडिंग रोकने और वैक्सीन को लेकर भ्रम फैलाए जाने से दशकों की प्रगति खतरे में है।
क्या कहते हैं आंकड़े?
आंकड़ों की मानें तो पिछले साल 1.4 करोड़ से ज्यादा बच्चों को एक भी वैक्सीन नहीं लगी। 52 प्रतिशत बच्चे सिर्फ 9 देशों से हैं। इस लिस्ट में नाइजीरिया, भारत, सूडान, कांगो, इथियोपिया, यमन, अफगानिस्तान, अंगोला और इंडोनेशिया का नाम शामिल है।
तेजी से फैल रही है खसरा महामारी
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो खसरे (Measles) का टीका कम से कम 95 फीसदी लोगों को लगना जरूरी है। हालांकि, WHO के अनुसार इसकी दर सिर्फ 60 फीसदी है। यही वजह है कि लगभग तीन दशक के बाद अमेरिका में खसरा फिर से फैल रहा है। 2024 में दुनिया भर से खसरे से 125,000 मामले सामने आए हैं, जो 2023 के मुकाबले डबल हैं।
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