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पाकिस्तान में स्कूल तक नहीं जा पा रहे करोड़ों बच्चे, लड़कियों के हालात और भी बदतर; रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा

पाकिस्तान में इस वक्त शिक्षा की समस्या उछाल पर है। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में 5 से 16 साल की उम्र के तकरीबन 2.53 करोड़ बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं। बताया जा रहा है इनमें सबसे ज्यादा बुरे हालात ग्रामीण इलाकों से आ रहे लोगों का है। लगभग 18.8 मिलियन स्कूल न जाने वाले बच्चे ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं।

By Jagran News Edited By: Shubhrangi Goyal Updated: Sat, 07 Sep 2024 06:10 PM (IST)
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स्कूल तक नहीं जा पा रहे करोड़ों बच्चे (फोटो-जागरण)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पड़ोसी देश पाकिस्तान में आर्थिक समस्या के साथ-साथ शिक्षा की समस्या भी पैदा हो रही है। लेटेस्ट आई रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में 5 से 16 साल की उम्र के तकरीबन 2.53 करोड़ बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं। बताया जा रहा है, इनमें सबसे ज्यादा बुरे हालात ग्रामीण इलाकों से आ रहे लोगों का है। 'द मिसिंग थर्ड ऑफ पाकिस्तान' की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। बता दें कि पाक अलांयस फॉर मैथ्स एंड साइंस ने 2023 के जनगणना के आंकड़ों के आधार पर ये रिपोर्ट तैयार की है

रिपोर्ट में पाकिस्तान की शिक्षा प्रणाली के भीतर एक महत्वपूर्ण मुद्दे का खुलासा किया गया है, जिसमें कहा गया है कि अधिकांश पाकिस्तानी बच्चे, 74 प्रतिशत, ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। इन क्षेत्रों में नामांकन को बढ़ावा देने के प्रयासों को बड़ी बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इन क्षेत्रों में स्कूलों तक सीमित पहुंच न होना, गरीबी जैसी समस्या बच्चों के लिए बाधा बन रही है।

5 से 9 साल के बच्चों पर ज्यादा असर

आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि शिक्षा में ग्रामीण-शहरी विभाजन बढ़ रहा है, लगभग 18.8 मिलियन स्कूल न जाने वाले बच्चे ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 5 से 9 साल की उम्र के बच्चे विशेष रूप से जोखिम में हैं, जिनमें से 51 प्रतिशत बच्चे कभी स्कूल नहीं गए हैं। चिंताजनक बात यह है कि 50 फीसदी बच्चे या तो पढ़ाई छोड़ चुके हैं या अब स्कूल नहीं जा रहे हैं।

80 प्रतिशत लड़कियां कभी नहीं गईं स्कूल

रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि, विशेष रूप से पाकिस्तान की कुछ तहसीलों में, 5 से 16 साल की आयु की 80 प्रतिशत लड़कियां कभी स्कूल नहीं गईं, जो शिक्षा तक पहुंच में गहरी जड़ें जमा चुकी लैंगिक असमानता को रेखांकित करती हैं। शहरी क्षेत्र, जिन्हें अक्सर शिक्षा के लिए बेहतर सुविधाओं से युक्त माना जाता है, भी प्रभावित हुए हैं। कराची और लाहौर जैसे शहर, अधिक शैक्षिक संसाधनों के साथ प्रांतीय राजधानियां होने के बावजूद, अभी भी स्कूल न जाने वाले बच्चों की बड़ी संख्या है।