पाकिस्तान में हिंदू-ईसाई अल्पसंख्यकों के लिए नर्क से भी बदतर हालात, अमानवीय हालात में जीने को मजबूर
अंतरराष्ट्रीय संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल की ताजा रिपोर्ट में पाकिस्तान में सफाई कार्यों में जाति और धर्म आधारित भेदभाव के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में हाशिए पर रहनेवाले समुदायों को प्रताड़ित करने के लिए एक प्रणाली डिजाइन की गई है। इन समुदायों को बुनियादी श्रमिक अधिकार और मानवीय सम्मान भी हासिल नहीं है।

एएनआई, इस्लामाबाद। अंतरराष्ट्रीय संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल की ताजा रिपोर्ट में पाकिस्तान में सफाई कार्यों में जाति और धर्म आधारित भेदभाव के बढ़ते मामलों पर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में हाशिए पर रहनेवाले समुदायों को प्रताड़ित करने के लिए एक प्रणाली डिजाइन की गई है। इन समुदायों को बुनियादी श्रमिक अधिकार और मानवीय सम्मान भी हासिल नहीं है।
पाकिस्तान में ईसाइयों और हिंदुओं को निम्न जाति में रखा जाता है
एमनेस्टी ने अल्पसंख्यकों के इस दुष्चक्र में फंसे रहने को लेकर चेताया भी है। एमनेस्टी की रिपोर्ट में सफाई कार्यों में लगे ईसाइयों और हिंदुओं को निम्न जाति में रखा जाता है और उनसे खतरनाक, निम्न भुगतान वाले काम कराए जाते हैं।
इस तरह तैयार की गई रिपोर्ट
ये रिपोर्ट पाकिस्तान के अधिकार समूह सेंटर फॉर लॉ एंड जस्टिस के साथ मिलकर तैयार की गई है, जिसमें लाहौर, बहावलपुर, कराची, उमेरकोट, इस्लामाबाद और पेशावर में काम करनेवाले 230 कामगारों से बातचीत के आधार पर तैयार किया गया है।
काम पर रखने में जाति और धर्म हावी
एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक 55 प्रतिशत लोगों ने बताया कि काम पर रखने में जाति और धर्म हावी रहता है। 44 प्रतिशत सफाईकर्मी ही स्थायी हैं, जबकि 45 प्रतिशत के पास कोई कागजात नहीं हैं। इसकी वजह से नगरपालिका अधिकारी उनको किसी तरह का लाभ नहीं देते। 55 प्रतिशत कामगारों को चर्मरोग से लेकर श्वसन तक की बीमारियां हो चुकी हैं।
वहीं 70 प्रतिशत का कहना है कि वे अमानवीय हालात में काम करने से मना भी नहीं कर सकते क्योंकि उनको तुरंत नौकरी से निकाल दिया जाएगा। अल्पसंख्कों से भेदभाव पर रोक के लिए पाकिस्तान के संविधान में कोई प्रावधान भी नहीं है।
अल्पसंख्यकों के लिए ऐसे हैं अमानवीय हालात
बहावलपुर के एक शख्स ने बताया कि उसने इलेक्ट्रीशियन के काम के लिए आवेदन किया था, लेकिन उसे सफाई कार्य के लिए चुना गया क्योंकि भर्ती करनेवालों को पता चला कि वह ईसाई है। उसने बताया कि अगर आप ईसाई हैं तो आपके लिए केवल सफाई का ही काम तय है।
ऐसे लोगों के लिए सम्मानजनक नाम भी नहीं होते। महिलाओं को भी लैंगिक आधार पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। सार्वजनिक स्थानों पर भी उनके साथ भेदभाव होता है और उनके इस्तेमाल के लिए अलग बर्तन रखे जाते हैं।
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