Pakistan: पाकिस्तान में इमरान खान की पार्टी को तगड़ा झटका, नौ सांसद अयोग्य घोषित
पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने मंगलवार को जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी के नौ सांसदों को अयोग्य घोषित कर दिया जिनमें संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता भी शामिल हैं। ये सांसद नौ मई 2023 के दंगा मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद अयोग्य घोषित किए गए हैं। 100 से ज्यादा नेताओं और कार्यकर्ताओं को 10 साल तक की जेल की सजा सुनाई

पीटीआई, इस्लामाबाद। पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने मंगलवार को जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी के नौ सांसदों को अयोग्य घोषित कर दिया, जिनमें संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता भी शामिल हैं। ये सांसद नौ मई 2023 के दंगा मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद अयोग्य घोषित किए गए हैं।
इमरान खान के समर्थकों ने की थी तोड़फोड़
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ प्रमुख इमरान खान के समर्थकों ने नौ मई, 2023 को इस्लामाबाद में उनकी गिरफ्तारी के बाद हिंसा का सहारा लिया और सैन्य प्रतिष्ठानों और राज्य के स्वामित्व वाली इमारतों में तोड़फोड़ की थी।
घटना के बाद इमरान खान सहित पार्टी के कई बड़े नेताओं और दर्जनों कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से एक मामले में पिछले हफ्ते फैसलाबाद की एक अदालत ने 100 से ज्यादा नेताओं और कार्यकर्ताओं को 10 साल तक की जेल की सजा सुनाई। जिन लोगों को दोषी ठहराया गया, उनमें नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता उमर अयूब खान और सीनेट में विपक्ष के नेता शिबली फराज शामिल हैं।
संसद सदस्य जरताज गुल, हामिद रजा, शेख राशिद शफीक, कंवल शौजाब, फराह आगा, राय हैदर खराल और मुहम्मद अहमद चट्ठा को भी दोषी पाया गया। सभी नौ सांसदों को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई।
इमरान की रिहाई की मांग कर रहे 240 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार
रॉयटर के अनुसार, पाकिस्तान में पुलिस ने मंगलवार को विरोध प्रदर्शन कर रहे मुख्य विपक्षी दल के 240 से अधिक प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है। प्रदर्शनकारी जेल में बंद पूर्व पीएम इमरान खान की रिहाई की मांग कर रहे थे।
पुलिस ने बताया कि मंगलवार तड़के छापेमारी के दौरान लगभग 120 गिरफ्तारियां हुईं, जबकि बाकी गिरफ्तारियां लाहौर में विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुईं। लाहौर की एक अदालत के बाहर पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के लगभग 200 समर्थकों ने इमरान खान को रिहा करो के नारे लगाए, जबकि छोटे समूहों ने पूरे शहर में विरोध प्रदर्शन किया।
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