आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाकर गलती कर गए शहबाज? पाकिस्तान में तख्तापलट की आहट
पाकिस्तान की राजनीति में फिर से उथल-पुथल है। फील्ड मार्शल असीम मुनीर को लेकर कहा जा रहा है कि वह राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को पद से हटा सकते है। जनरल मुनीर को फील्ड मार्शल की रैंक दी गई है और उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की जिससे तख्तापलट की आशंका बढ़ गई है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है। मुल्क की फौज और सियासी गलियारों में चर्चा है कि फील्ड मार्शल असीम मुनीर एक बड़ा खेल खेलने की तैयारी में हैं।
कयासों का बाजार गर्म है कि फील्ड मार्शल असीम मुनीर, राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को हटाकर सत्ता की बागडोर अपने हाथों में ले सकते हैं। तो क्या पाकिस्तान एक और फौजी तख्तापलट की कगार पर है? आइए, इसकी तह तक चलते हैं।
पिछले कुछ हफ्तों में कई ऐसी घटना हुई, जिन्होंने इन अफवाहों को हवा दी है। देश के माहौल में तनाव और सियासी बयानबाजी ने इन चर्चाओं को और तेज कर दिया है। आखिर क्या है इस सियासी तूफान का सच? क्या भारत का पड़ोसी मुल्क एक बार फिर सत्ता के नए दौर में कदम रखने जा रहा है?
शहबाज को छोड़ मुनीर से मिले थे डोनाल्ड ट्रंप
पाकिस्तानी सरकार ने मई में एक चौंकाने वाला फैसला लिया। जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल की रैंक दी गई। ये पाकिस्तान के इतिहास में दूसरी बार हुआ, जब किसी मिलिट्री अफसर को ये रैंक मिला हो। इससे पहले जनरल अयूब खान ने 1959 में खुद को फील्ड मार्शल बनाया था। तब पाकिस्तान की हुकुमत फौज के हाथों में थी।
मुनीर की इस तरक्की पर सवाल उठे थे। ये ऐलान भारत की 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद आया था। वहीं जून में जनरल मुनीर ने अमेरिका का दौरा किया और वहां राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। ये मुलाकात अपने आप में अनोखी थी, क्योंकि पहली बार किसी पाकिस्तानी अफसर को व्हाइट हाउस में बुलाया गया था।
इस मुलाकात ने सियासी हलकों में हंगामा मचा दिया। कई जानकार तो मानते हैं कि ये मुलाकात मुनीर की बढ़ती ताकत और सियासी महत्वाकांक्षा का सबूत है। इसके बाद से कयास और तेज हो गए कि मुनीर तख्तापलट कर सकते हैं।
नवाज शरीफ का विरोध
असीम मुनीर और जरदारी के बीच बदलते समीकरण के बाद पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी ने विरोध शुरू कर दिया है। इसके साथ ही इस बदलाव का विरोध प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी कर रहे हैं। क्योंकि अगर राष्ट्रपति शासन लागू हुआ तो शहबाज की कुर्सी तो जाएगी, साथ ही शरीफ परिवार की प्रासंगिकता भी खत्म हो जाएगी। इसलिए शहबाज की पार्टी पाकिस्तानी आर्मी से लगातार संपर्क में है, ताकि बिलावल को रोका जा सके।
पाकिस्तान की आवाम तक मुनीर ने कैसे बनाई पहुंच?
पाकिस्तान की सियासत और सेना के गलियारों में फील्ड मार्शल आसिम मुनीर एक ऐसा नाम बन चुके हैं, जो मौजूदा दौर की हर हलचल का केंद्र हैं। साल 2022 में जब देश राजनीतिक उथल-पुथल और आर्थिक बदहाली से जूझ रहा था, तब उन्होंने सेना की बागडोर संभाली।
इससे पहले वह ISI यानी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के मुखिया रह चुके थे, जहां उन्होंने अपनी रणनीतिक पकड़ और अंदरूनी नेटवर्क से खुद को स्थापित किया। सत्ता के इस अहम मोड़ पर मुनीर ने न सिर्फ पाक आर्मी के भीतर न सिर्फ बगावत का बारूद भरने का बीड़ा उठाया, बल्कि आम जनता में भी अपनी पैठ जमाने के लिए तरह-तरह की तरकीबें अपनाईं।
उन्होंने राष्ट्रवाद की भावना को हवा दी और खासतौर पर हिंदुओं के खिलाफ बयानबाजी कर कट्टरपंथी तबके का भरोसा जीता। हालांकि, अब भी एक बड़ा तबका ऐसा है जो उन्हें उनके पूर्ववर्ती सैन्य प्रमुखों की तरह ही एक ‘पारंपरिक जनरल’ के तौर पर ही देखता है। यानी एक ऐसा जनरल जो परोक्ष रूप से देश की बागडोर तो थामे हुए है, मगर लोकतंत्र और आम आवाम के मुद्दे अब भी उसके लिए दूर की कौड़ी है।
बावजूद इसके, मौजूदा समय में आसिम मुनीर ने पाकिस्तान की जनता और सत्ता दोनों पर एक सधा हुआ शिकंजा कस रखा है जो फिलहाल ढीला होता नजर नहीं आ रहा।
पहले भी 3 सेना प्रमुख बने थे राष्ट्रपति
बता दें कि पाकिस्तान में इससे पहले भी तीन सेना प्रमुख राष्ट्रपति बने थे। हालांकि, तीनों ही तख्तापलट के बाद ही राष्ट्रपति बने थे। इसके साथ ही बता दें कि पाकिस्तान लोकतंत्र को बरतने में इतना अभागा रहा है कि आज तक पाकिस्तान में कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है।
अयूब खान (तख्तापलट) 1958: 1958-69
जिया-उल-हक (तख्तापलट) 1977: 1978-88
परवेज मुशर्रफ (तख्तापलट) 1999: 2001-08
चीन को छोड़ अमेरिका के पाले में गए मुनीर?
पाकिस्तानी पत्रकार एजाज सईद ने कहा, "राष्ट्रपति जरदारी को हटाने की कोशिशें तेज हो रही हैं। कई लोग चाहते हैं कि जरदारी खुद इस्तीफा दे दें। इसके लिए सियासी जोड़-तोड़ शुरू हो चुका है।"
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भी ऐसी खबरें वायरल हैं। एक यूजर ने लिखा, "सूत्रों का कहना है कि मुनीर जरदारी के खिलाफ 'खामोश तख्तापलट' की योजना बना रहे हैं। जरदारी ताइवान पर चीन का समर्थन करते हैं, जबकि मुनीर ने अमेरिका से गुप्त समझौता किया है। उनका मकसद CPEC को खत्म करना है, चाहे कीमत जो भी हो।"
पाकिस्तान की सियासत में ये हलचल कोई नई बात नहीं है। देश का अतीत तख्तापलट और सियासी उलटफेर से भरा पड़ा है। लेकिन मौजूदा हालात में जनरल मुनीर की तरक्की, उनकी अमेरिका यात्रा और बिलावल के बयानों ने सियासी माहौल को और गर्म कर दिया है।
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