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    'फटेहाल' पाकिस्तान में फैक्ट्रियों से ज्यादा हैं मस्जिद और मदरसे, रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा

    Updated: Sat, 23 Aug 2025 08:02 PM (IST)

    पाकिस्तान में पहली आर्थिक जनगणना के अनुसार मस्जिदों और मदरसों की संख्या उद्योगों से कहीं अधिक है। योजना मंत्री अहसान इकबाल द्वारा जारी रिपोर्ट में 6 लाख मस्जिदें और 36 हजार मदरसे दर्ज किए गए हैं जबकि फैक्ट्रियों की संख्या सिर्फ 23 हजार है। यह रिपोर्ट पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए आईएमएफ से बेलआउट पैकेज की समीक्षा के बीच आई है।

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    पाकिस्तान में फैक्ट्रियों से ज्यादा हैं मस्जिद और मदरसे (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान में हाल ही में पहली बार आर्थिक जनगणना का आंकड़ा जारी हुआ है। इस रिपोर्ट ने सबको चौंका दिया है, क्योंकि पाकिस्तान में मस्जिदों और मदरसों की संख्या उद्योग-कारखानों से कहीं ज्यादा है। पाक के योजना मंत्री अहसान इकबाल ने यह रिपोर्ट जारी की है।

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    रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान में करीब 6 लाख मस्जिदें हैं जबकि सिर्फ 23 हजार फैक्ट्रियां चल रही हैं। इतना ही नहीं, 36 हजार धार्मिक मदरसे भी दर्ज किए गए हैं जो फिर से उद्योग से ज्यादा है।

    पाकिस्तान की डूबती अर्थव्यवस्था

    हालांकि, छोटे उत्पादन यूनिट की संख्या 6.43 लाख बताई गई है। यह आंकड़ा पाकिस्तान की जनगणना से इकट्ठा किया गया और 21 अगस्त को आधिकारिक तौर पर जारी किया गया।

    यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब पाकिस्तान अपनी डूबती अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से 7 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज की दूसरी समीक्षा पर काम कर रहा है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मदरसों और मस्जिदों की सबसे ज्यादा संख्या पंजाब प्रांत में है।

    डेटा के अनुसार, पाकिस्तान में 4 करोड़ स्थायी यूनिट मौजूद हैं। इनमें से 72 लाख रोजगार वाले ढांचे हैं, जहां साल 2023 तक 2.54 करोड़ लोग काम कर रहे थे। सबसे ज्यादा लोग सर्विस सेक्टर में काम कर रहे हैं।

    मंत्री का बयान

    रिपोर्ट जारी करते हुए अहसान इकबाल ने कहा, "विश्वसनीय आंकड़े ही स्थायी विकास की रीढ़ हैं। इससे नीतियां सही तरह से बनती हैं और फैसले लेने में आसानी होती है।"

    गौरतलब है कि पाकिस्तान की आजादी के बाद यह तीसरी बड़ी गिनती है। इससे पहले जनसंख्या जनगणना और कृषि जनगणना हुई थी। 2003 में एक कोशिश हुई थी लेकिन नाकाम रही। जबकि, भारत अब तक 7 आर्थिक जनगणना कर चुका है।

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