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    संविधान संशोधन के खिलाफ पाकिस्तान में वकीलों ने की हड़ताल, कैसे सुपीम कोर्ट की शक्तियां हुई कम?

    Updated: Mon, 17 Nov 2025 12:30 AM (IST)

    पाकिस्तान के लाहौर में वकीलों ने 27वें संविधान संशोधन के खिलाफ हड़ताल की घोषणा की है, क्योंकि इससे सुप्रीम कोर्ट की शक्तियां कम हो गई हैं। राष्ट्रपति जरदारी ने इस संशोधन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके बाद तीन न्यायाधीशों ने इस्तीफा दे दिया है। लाहौर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने अदालती कार्यवाही का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है। यह संशोधन संघीय संवैधानिक न्यायालय की स्थापना करता है।

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    संविधान संशोधन के खिलाफ पाकिस्तान में वकीलों ने की हड़ताल (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान के लाहौर में वकीलों ने रविवार को विवादास्पद 27वें संविधान संशोधन के खिलाफ हड़ताल की घोषणा की। इस संशोधन ने सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को कम कर दिया है।

    वकीलों ने न्यायाधीशों से विरोध दर्ज कराने के लिए इस्तीफा देने का आग्रह किया है।राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने गुरुवार को 27वें संविधान संशोधन पर हस्ताक्षर कर इसे कानून बना दिया, जो रक्षा बलों के प्रमुख के एक नए पद और एक संवैधानिक न्यायालय के निर्माण का प्रविधान करता है।

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    तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों ने इस विवादास्पद संशोधन के खिलाफ अब तक इस्तीफा दे दिया है। इनमें सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीश सैयद मंसूर अली शाह और न्यायमूर्ति अतहर मिनल्लाह और लाहौर हाई कोर्ट के एक न्यायाधीश शम्स महमूद मिर्जा शामिल हैं।

    वकीलों ने क्या कहा?

    न्यायाधीशों ने इसे संविधान और न्यायपालिका पर हमला करार दिया। लाहौर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने रविवार को इस्तीफा देने वाले न्यायाधीशों की प्रशंसा की और सोमवार को लाहौर में अदालती कार्यवाही ने चलने देने की चेतावनी दी है।

    उन्होंने कहा कि वे न्यायपालिका और लोकतंत्र पर हमले के विरोध में अदालती कार्यवाही का पूर्ण बहिष्कार करेंगे। संशोधित कानून संविधान से संबंधित मामलों से निपटने के लिए संघीय संवैधानिक न्यायालय की स्थापना का आदेश देता है, जबकि मौजूदा सुप्रीम कोर्ट केवल पारंपरिक दीवानी और आपराधिक मामलों से ही निपटेगा। सर्वोच्च न्यायालय की एक प्रमुख शक्ति, स्वत: संज्ञान लेने की शक्ति, भी इसे हस्तांतरित कर दी गई है। इसे याचिकाओं पर स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार दिया गया है।

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