पाकिस्तान में ईशनिंदा का मामला, जुमे की नमाज अदा करने पर अहमदिया समुदाय के खिलाफ केस
पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय के लोगों के खिलाफ ईशनिंदा कानून के तहत केस दर्ज किया गया है। अहमदिया पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हैं। आरोप है कि वे मुसलमानों की तरह जुमे की नमाज अदा कर रहे थे जो कानून के तहत उनके लिए प्रतिबंधित है। जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान ने कहा कि फैसलाबाद में शुक्रवार की नमाज के दौरान अहमदियों पर कट्टरपंथियों ने हमला किया।

पीटीआई, लाहौर। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में अल्पसंख्यक अहमदिया समुदाय के 50 से अधिक सदस्यों के खिलाफ जुमे की नमाज अदा करने पर ईशनिंदा कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
जबकि एक कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी ने कई शहरों में उनके पूजा स्थलों की घेराबंदी की है। उन पर किसी भी वर्ग के लोगों के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करने, स्वयं को मुसलमान बताने तथा अपने धर्म को इस्लाम बताने के लिए पाकिस्तान दंड संहिता (पीपीसी) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
50 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
पुलिस अधिकारी जाहिद परवेज ने बताया कि पुलिस ने मुहम्मद अमानुल्लाह की शिकायत पर 50 अहमदिया लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया और आठ अन्य को नामजद किया है। अमानुल्लाह ने आरोप लगाया है कि वे मुसलमानों की तरह जुमे की नमाज अदा कर रहे थे, जो कानून के तहत उनके लिए प्रतिबंधित है।
कट्टरपंथी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) ने शुक्रवार को पंजाब में अहमदियों के कई पूजा स्थलों पर घेराव कर उन्हें नमाज अदा करने से रोक दिया। जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान (जेएपी) ने कहा कि फैसलाबाद में शुक्रवार की नमाज के दौरान अहमदियों पर कट्टरपंथियों ने हमला किया।
कौन हैं अहमदिया लोग?
- हनफी इस्लामिक कानून का पालन करने वाले मुसलमानों का एक समुदाय अपने आप को अहमदिया कहता है। इस समुदाय की स्थापना मिर्जा गुलाम अहमद ने की थी। इस समुदाय के लोगों की मान्यता है कि मिर्जा गुलाम अहमद खुद नबी के ही अवतार थे। अहमदियों का मानना है कि मिर्जा गुलाम ऐसे धर्म सुधारक थे जो नबी का दर्जा रखते हैं।
- अहमदिया के मुताबिक वे कोई नई शरीयत अपने साथ नहीं लाए बल्कि पैगम्बर मोहम्मद की शरीयत का ही पालन करते हैं, लेकिन वह नबी का दर्जा रखते हैं। उधर, मुस्लिम संप्रदाय के अन्य पंथ इस पर यकीन रखते हैं कि मोहम्मद साहब के बाद अल्लाह की तरफ से दुनिया में भेजे गए दूतों का सिलसिला खत्म हो गया। इसी मत भिन्नता के कारण अन्य मुस्लिम समुदाय अहमदिया को मुस्लिम मानने से इन्कार करते रहे हैं।
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