ट्रंप को नोबेल के लिए नॉमिनेट किया, फिर ईरान पर हमले के लिए कर दी निंदा; अब पाकिस्तान का अपने ही देश में उड़ रहा मजाक
पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने नार्वे में नोबेल शांति पुरस्कार समिति को औपचारिक रूप से एक पत्र भेजा है, जिसमें हाल ही में भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष के दौरान 'निर्णायक कूटनीतिक हस्तक्षेप' के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार देने की सिफारिश की गई है।

इस्लामाबाद ने इस हमले को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया (फोटो: रॉयटर्स)
पीटीआई, लाहौर। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने वाले पाकिस्तान ने ईरान पर अमेरिकी हमले की भर्त्सना की है। इस्लामाबाद ने इस हमले को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया और क्षेत्र में हिंसा बढ़ने की चेतावनी दी।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा कि ये हमले अंतरराष्ट्रीय कानून के सभी मानदंडों का उल्लंघन करते हैं और ईरान को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत खुद का बचाव करने का अधिकार है। ईरान के खिलाफ जारी आक्रामकता के कारण तनाव और हिंसा में वृद्धि बेहद परेशान करने वाली है।
नोबेल के लिए किया नामित
दूसरी तरफ पाकिस्तान ने ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भी नामित किया है। पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने नार्वे में नोबेल शांति पुरस्कार समिति को औपचारिक रूप से एक पत्र भेजा है, जिसमें हाल ही में भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष के दौरान 'निर्णायक कूटनीतिक हस्तक्षेप' के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार देने की सिफारिश की गई है।
इस दोहरे रवैये के चलते पाकिस्तान की जगहंसाई हो रही है। इंटरनेट मीडिया पर पाकिस्तान सरकार के साथ-साथ वहां के सैन्य प्रतिष्ठान को कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। रविवार को एक्स पर एक यूजर ने कहा- पाकिस्तानियों, सावधान! ईरान पर हमले के बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ न केवल राष्ट्रपति ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कर सकते हैं, बल्कि उन्हें तमगा-ए-जुरात (साहस का पदक), तमगा-ए-शुजात (बहादुरी का पदक), तमगा-ए-बसालत (वीरता का पदक), तमगा-ए-इम्तियाज (उत्कृष्टता का पदक) और शायद निशान-ए-हैदर (पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य सम्मान) भी प्रदान कर सकते हैं।
पाकिस्तानी पत्रकार ने उठाए सवाल
पाकिस्तानी पत्रकार अमीर अब्बास ने कहा, वही ट्रंप जिसकी तुलना पीएमएल-एन के वरिष्ठ नेता ख्वाजा साद रफीक ने एक बार चंगेज खान और हिटलर से की थी-कल रात उसी पीएमएल-एन सरकार ने उन 'चंगेज खान और हिटलर' को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया। ऐसे शर्मनाक और कायरतापूर्ण फैसले कौन ले रहा है?
राजनीतिक विश्लेषक और स्तंभकार राहीक अब्बासी ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि जिस डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ पश्चिमी देश युद्ध अपराधों के लिए विरोध कर रहे थे, उसी को इस्लामिक गणराज्य पाकिस्तान ने नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया है। क्या उन लोगों में सम्मान या इंसानियत नाम की कोई चीज है, जिन्होंने ट्रंप को नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया, जिन्होंने गाजा युद्ध विराम प्रस्ताव पर आठ बार वीटो लगाया था?
पाकिस्तान की हो रही जगहंसाई
जर्जीस अहमद नामक यूजर ने कहा कि हम फलस्तीनियों के नरसंहार में शामिल किसी व्यक्ति के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की सिफारिश कर रहे हैं और साथ ही हम ईरान के साथ खड़े होने का दावा भी करते हैं। यह पाखंड की चरम सीमा है। मेजर (सेवानिवृत्त) आसिम ने सैन्य प्रतिष्ठान पर अपनी इच्छानुसार निर्णय लेने का आरोप लगाया और कहा कि देश के 'बेताज बादशाह' जब चाहे देश को बेचने के लिए तैयार रहते हैं।
एक अन्य यूजर आमिर खान ने कहा कि शहबाज शरीफ, आसिफ जरदारी, नवाज शरीफ और आसिम मुनीर ने मुसलमानों के नरसंहार के लिए जिम्मेदार डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किया है। हमारे देश और पाकिस्तान के लोगों के साथ इससे बड़ा विश्वासघात और क्या हो सकता है?
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