सिंचाई के लिए पानी की किल्लत से जूझ रहा पाकिस्तान, वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में खुलासा
पहलगाम हमले के बाद भारत की कार्रवाई से पाकिस्तान को सिंधु जल समझौते के उल्लंघन का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान उन सात देशों में शामिल है जो कृषि के लिए पानी की कमी से जूझ रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में वर्षा आधारित और सिंचित कृषि दोनों ही पानी की कमी से प्रभावित हैं, जिससे कृषि उत्पादन पर असर पड़ रहा है।

पाकिस्तान में सिंचाई के लिए पानी की किल्लत। प्रतीकात्मक फोटो
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद आपरेशन सिंदूर के तहत भारत की ओर से की गई कार्रवाइयों के अंतर्गत सिंधु जल समझौता रोके जाने के परिणामस्वरूप पाकिस्तान को अब इसका गंभीर खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। वह अब सिंचाई के लिए पानी की किल्लत से जूझ रहा है और इसकी तस्दीक वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट से भी हुई है।
वर्ल्ड बैंक की वैश्विक जल निगरानी रिपोर्ट के पहले संस्करण में बताया गया है कि पाकिस्तान उन सात देशों में शामिल है जो शुष्क मौसम की बिगड़ती स्थिति के बीच कृषि के लिए पानी की सर्वाधित किल्लत जैसी गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं।
पाकिस्तान में सिंचाई के लिए पानी की किल्लत
'डान' की रिपोर्ट के अनुसार, 'कांटिनेंटल ड्राइंग : ए थ्रेट टू आवर कामन फ्यूचर' (महाद्वीपीय सूखा : हमारे साझा भविष्य के लिए खतरा) शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्षा आधारित कृषि में लगभग एक-चौथाई और सिचित कृषि में एक-तिहाई अपर्याप्त जल खपत उन क्षेत्रों में केंद्रित है जहां पानी की उपलब्धता कम हो रही है।
पानी की अपर्याप्त उपलब्धता वाले ये हाटस्पाट सूखे की स्थिति के रुझानों के साथ मेल खाते हैं जो पश्चिमी एशिया, पूर्वी यूरोप और उत्तरी अफ्रीका में सबसे ज्यादा स्पष्ट हैं।
विश्व बैंक की रिपोर्ट में खुलासा
रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि के लिए पानी की किल्लत की सर्वाधिक समस्या अल्जीरिया, कंबोडिया, मेक्सिको, पाकिस्तान, थाईलैंड, ट्यूनीशिया और रोमानिया में देखी गई है। नई तकनीकों के जरिये संवर्धित दो दशकों के सेटेलाइट डाटा के आधार पर यह रिपोर्ट इस बात का अभूतपूर्व दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है कि भूमि और जल प्रबंधन के फैसले किस तरह जल उपलब्धता को आकार दे रहे हैं।
यह अध्ययन पिछले 20 वर्षों में उन फसलों को लेकर वैश्विक बदलाव पर प्रकाश डालता है जिनकी सिंचाई के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है। सूखे की स्थिति वाले 37 देशों ने अधिक जल की आवश्यकता वाली कृषि की ओर रुख किया है। इन देशों में 22 शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में स्थित हैं। यह संरचनात्मक बदलाव पहले से ही पानी की किल्लत से जूझ रहे देशों में पानी की मांग को और बढ़ा देता है। सूखे की स्थिति वाले क्षेत्रों में दो-तिहाई से ज्यादा अपर्याप्त सिंचाई का कारण पानी की ज्यादा खपत वाली फसलों की खेती है।
हर साल 324 अरब घन मीटर ताजा पानी का नुकसान
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में हर साल 324 अरब घन मीटर ताजा पानी का नुकसान हो रहा है, जो सालाना 28 करोड़ लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। यह नुकसान वनों की कटाई और आर्द्रभूमि के क्षरण के कारण है। वर्ल्ड बैंक के अनुसार, 2000 के बाद से वैश्विक जल उपयोग में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और इस वृद्धि का एक तिहाई हिस्सा उन क्षेत्रों में हुआ है जो पहले से ही सूखे की स्थिति का सामना कर रहे हैं।
(न्यूज एजेंसी ANI के इनपुट के साथ)

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