आसिम मुनीर की होगी चांदी, सुप्रीम कोर्ट पर मंडरा रहा संकट; पाकिस्तान में नए बिल से क्या बदलेगा?
Pakistan 27th Constitutional Amendment Bill: पाकिस्तान की संसद में 27वां संविधान संशोधन विधेयक पेश किया गया है। इस विधेयक का उद्देश्य सेना प्रमुख आसिम मुनीर को चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज के पद पर बिठाकर और अधिक शक्तिशाली बनाना है। साथ ही, संघीय संविधान कोर्ट (FCC) के गठन का प्रस्ताव है, जिससे सुप्रीम कोर्ट का अस्तित्व खतरे में आ सकता है। यह विधेयक पाकिस्तान की राजनीतिक और न्यायिक संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।
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पाकिस्तान का आर्मी चीफ आसिम मुनीर। फाइल फोटो
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान की संसद में 27वां संविधान संशोधन विधेयक (Pakistan 27th Constitutional Amendment Bill) पेश किया गया है। यह विधेयक पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर को अधिक ताकतवर बनाने के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट को कमजोर कर सकता है।
पाकिस्तान की संसद में पेश हुआ यह विधेयक बीते दिन से ही लगातार चर्चा में है। इसमें कई अहम प्रावधान मौजूद हैं, जिनके लागू होने के बाद पड़ोसी मुल्क में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
आसिम मुनीर को बनाया जाएगा CDF
27वें संविधान संशोधन विधेयक के जरिए पाक सरकार अनुच्छेद 243 में बदलाव करना चाहती है। यह अनुच्छेद फील्ड मार्शल के बारे में बात करता है। मगर, अब इसमें संशोधन करके एक और नया पद चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) जोड़ा जाएगा। वहीं, पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर को CDF के पद पर नियुक्त किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट के अस्तित्व पर खतरा
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, 27वां संविधान संशोधन विधेयक सुप्रीम कोर्ट की ताकत भी छीन सकता है। इस विधेयक के तहत पाकिस्तान में संघीय संविधान कोर्ट (FCC) बनाने का प्रस्ताव रखा गया है। इसके पीछे पाक सरकार का तर्क है कि FCC लंबित मामलों को जल्दी निपटाने और न्यायिक बोझ कम करने का काम करेगा। मगर, कई विशेषज्ञों के अनुसार, इससे सुप्रीम कोर्ट का अस्तित्व खतरे में आ सकता है।
जजों के तबादले का अधिकार
पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिवक्ता ने चेतावनी दी है कि अगर सुप्रीम कोर्ट की जगह FCC बनाया गया, तो मुमकिन है कि पाकिस्तान सरकार चुनाव अधिनियम 2017 समेत कई बड़े कानूनों को बदल सकती है। इसे लागू करने के लिए संविधान में 1ए के नाम से नया अध्याय जोड़ना होगा। इससे सरकार को FCC बनाने और हाईकोर्ट के जजों का ट्रांसफर करने का अधिकार मिल जाएगा।
2 सदस्यों ने किया बहिष्कार
इस बिल को पास करने के लिए फारुख एच नाइक की अध्यक्षता में संसद का संयुक्त सत्र बुलाया गया है। जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (JUI-F) के दो सदस्य कामरान मुर्तजा और आलिया कामरान ने इस बैठक का बहिष्कार कर दिया। हालांकि, कमेटी लगातार बिल के मुख्य प्रावधानों का विश्लेषण कर रही है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं यह बिल जल्द ही अधिनियम में तब्दील हो सकता है।

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