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    TTP की पाकिस्तान सरकार को खुली धमकी, अमेरिका से गलबहियां पड़ेगी महंगी

    Updated: Fri, 07 Nov 2025 08:24 PM (IST)

    तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने पाकिस्तान सरकार और सेना को धमकी दी है कि वह पूरे देश में इस्लामी व्यवस्था स्थापित करेगा। टीटीपी ने पंजाब प्रांत में अपनी मजबूत उपस्थिति का दावा किया है और अमेरिका से संबंध बनाने पर पाकिस्तानी अधिकारियों को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है। टीटीपी की बढ़ती ताकत और हमलों की धमकी से पाकिस्तान की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है।

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    टीटीपी की पाकिस्तान सरकार को खुलेआम धमकी। (रॉयटर्स)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने पाकिस्तानी सरकार और सेना को धमकी दी है कि वह पूरे देश में इस्लामी व्यवस्था स्थापित करेगा। समूह ने पंजाब प्रांत में अपनी मजबूत उपस्थिति का भी दावा किया।

    एक वीडियो में, सशस्त्र टीटीपी सदस्यों ने पंजाब से इस्लामाबाद तक मार्च करने की मंशा जाहिर की। साथ ही कहा कि सत्ता प्रतिष्ठान और उसके अमेरिकी मददगारों को झटका देंगे। टीटीपी की सार्वजनिक धमकी से बड़े और सीधे टकराव का संकेत मिलता है, जो आंतरिक सुरक्षा के हालात को उजागर करता है।

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    सरकार के पास मुजाहिदीन के खिलाफ युद्ध छेड़ने की क्षमता नहीं- TTP

    तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने कहा कि सरकार के पास मुजाहिदीन के खिलाफ युद्ध छेड़ने की क्षमता नहीं है। यह बयान पाकिस्तानी सैन्य शासन के इस दावे का खंडन है कि टीटीपी मुख्य रूप से अफगानिस्तान में है। साथ ही पंजाब क्षेत्र में मौजूदगी सीधे तौर पर खुफिया एजेंसियों के दावे को चुनौती देता है।

    कुछ आलोचकों का कहना है कि सेना प्रमुख आसिम मुनीर खैबर पख्तूनख्वा में पश्तूनों के उत्पीड़न को सही ठहराने के लिए टीटीपी के नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच संबंधों को खराब कर रहा है।

    वहीं, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अधिकारियों के बीच तुर्किये में चल रही बातचीत के बीच दोनों देशों की सेनाओं के बीच गोलीबारी की घटना सामने आई है। गोलीबारी के बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को दोषी ठहराया, लेकिन स्थिति को नियंत्रण में कर लिया गया है।

    पाक के लिए नासूर बन रहे टीटीपी और बीएलए

    इन दिनों पाकिस्तान चीन और अमेरिका, दोनों को एक साथ साधने में जुटा हुआ है, लेकिन चरमपंथी संगठनों को ये बात रास नहीं आ रही है। पाकिस्तान में चीन की परियोजनाओं पर सुरक्षा संकट की वजह से चीन से नाराजगी झेलनी पड़ रही है। इसे संतुलित करने के लिए पाकिस्तान ट्रंप के रूप में कारोबारी दिमाग वाले नेता के जरिये अमेरिका को भी साधने में जुटा है। दोनों देशों के बीच खनिज सौदे इस बात की तस्दीक भी कर रहे हैं।

    हालांकि, पाक की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बनकर सामने आए हैं तहरीक ए तालिबान, पाकिस्तान (टीटीपी) और बलूचिस्तान नेशनलिस्ट आर्मी (बीएलए)। टीटीपी ने अमेरिका से कारोबारी रिश्ते सुधारने के पाकिस्तानी नेताओं के इरादे पर पानी फेरने की तैयारी कर रखी है। टीटीपी ने पाक सरकार और सेना, दोनों को खुलेआम अंजाम भुगतने की चेतावनी दे रखी है।

    टीटीपी का पाकिस्तानी अधिकारियों को धमकी

    टीटीपी ने सीधे-सीधे धमकी दी है कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने अमेरिका से संबंध बनाने की कोशिश की तो उन्हें जान से हाथ धोना पड़ सकता है। यही नहीं, संगठन तो पंजाब प्रांत पर कब्जे को लेकर भी आश्वस्त है। इसके लिए टीटीपी में बड़े पैमाने पर भर्तियां चल रही हैं और हजारों लोग इस समूह में शामिल हो चुके हैं। दिलचस्प ये है कि इस संगठन में शामिल होनेवाले बहुतायत लोग तहरीक ए लब्बैक (टीईएल) के सदस्य बताए जाते हैं।

    टीईएल के कैडर पर सुरक्षा बलों की सख्त कार्रवाई के चलते वे खुद को इस संगठन में सुरक्षित नहीं पा रहे। यहां तक कि शांतिपूर्वक प्रदर्शन करनेवाले टीईएल कार्यकर्ताओं पर भी पंजाब प्रांत में बर्बरता की जा रही है। ऐसे में उन्होंने टीटीपी का दामन थामना उचित समझा है।

    टीटीपी की बढ़ती ताकत से पाकिस्तानी सेना को खतरनाक संकेत मिलने लगे हैं। टीटीपी ने खुलेआम इस्लामाबाद में सैन्य ठिकानों और अधिकारियों पर चौंकानेवाले हमलों की चेतावनी दे रखी है।

    कई मोर्चों पर जूझ रही पाकिस्तानी सेना

    अमेरिका के साथ रेयर अर्थ खनिजों के सहारे संबंध मधुर बनाने का सपना देख रहे पाकिस्तान को ऐसी ही प्रतिक्रिया बीएलए से भी देखने को मिल सकती है। कारण कि बलूचिस्तान रेयर अर्थ खनिजों का भंडार माना जाता है। इंटेलिजेंस ब्यूरो के एक अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान सेना को कई मोर्चों पर जूझना पड़ा रहा है और आतंकी संगठनों ने सेना को कमजोर और अलग-थलग कर दिया है।

    चीन ने बढ़ाई पाकिस्तान की टेंशन

    चीन ने भी पाकिस्तान को टेंशन दे रखी है। चीन आर्थिक गलियारा परियोजना-1 (सीपेक1) के खराब अनुभव के बाद चीन ने सीपेक2 में पैसे देने से मना कर दिया है। इस परियोजना में अफगानिस्तान को भी शामिल किया जाना है।

    सीपेक2 के चलते पाकिस्तान के सामने तीन चुनौतियां हैं, आतंकियों को काबू में रखना, पैसे का जुगाड़ करना और अफगानिस्तान से संबंध सुधारना। ऐसे में पाकिस्तान के लिए चीन और अमेरिका, दोनों को साधना टेढ़ी खीर बनता जा रहा है।

    (समाचार एजेंसी आइएएनएस के इनपुट के साथ)