मजबूरी या कुछ और... आसिम मुनीर को देश से ऊपर क्यों रख रहा है पाकिस्तान; क्या हैं इसके मायने
पाक सरकार ने अपने संविधान में संशोधन के लिए एक अहम बिल पेश किया, जिसके तहत एक नया पद बनाया गया। इस पद की जिम्मेदारी किसी और को नहीं, बल्कि पाक आर्मी चीफ आसिममुनीर को सौंपी गई है। अब इसको शहबाज शरीफ की मजबूरी कहें या ऑपरेशन सिंदूर के बाद का डर।

आसिम मुनीर को देश से ऊपर क्यों रख रहा है पाकिस्तान (फोटो- रॉयटर)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान में प्रधानमंत्री से ज्यादा ताकत पाक सेना प्रमुख के पास हमेशा से रही है, जिसने पाक सेना की नहीं सुनी वो या तो मार दिए गए या जेल में डाल दिए गए। पाकिस्तान की सरकार में वहां की सेना का हस्तक्षेप हमेशा से रहा है। भले ही वहां के नेता इस बात को स्वीकार ना करें, लेकिन यह सत्य पूरी दुनिया को पता है।
पाक सरकार ने रातोंरात अपने संविधान में संशोधन के लिए एक अहम बिल पेश किया, जिसके तहत एक नया पद बनाया गया। इस पद की जिम्मेदारी किसी और को नहीं, बल्कि पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर को सौंपी गई है। अब इसको शहबाज शरीफ की मजबूरी कहें या ऑपरेशन सिंदूर के बाद का डर।
हालांकि पाक सरकार का कहना है कि सेना के बीच बेहतर सामंजस्य स्थापित करने के लिए यह पद बनाया जा रहा है, जिससे तीनों सेनाएं (थल सेना, नौसेना और वायु सेना) सिंगल कमांड के अंतर्गत काम कर सके। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, 27वां संविधान संशोधन विधेयक पाक सुप्रीम कोर्ट की ताकत भी छीन सकता है।
वर्तमान में, अनुच्छेद 243 में अन्य बातों के अलावा यह कहा गया है कि संघीय सरकार के पास सशस्त्र बलों का नियंत्रण और कमान होगी और सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमान राष्ट्रपति के पास होगी। हालांकि, यह विधेयक नियंत्रण को राष्ट्रपति और कैबिनेट से हटाकर रक्षा बलों के प्रमुख को सौंप देता है।
सरकार ने कहा कि उसे विश्वास है कि उसके पास संसद में संवैधानिक बदलावों को मंज़ूरी देने के लिए पर्याप्त संख्याबल है, जिन्हें सप्ताहांत में असामान्य रूप से सीनेट में पेश किया गया। संसद के दोनों सदनों, सीनेट और नेशनल असेंबली, में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।
संवैधानिक मामलों की सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा नहीं, बल्कि एक नए संघीय संवैधानिक न्यायालय द्वारा की जाएगी, जिसके न्यायाधीशों की नियुक्ति सरकार द्वारा की जाएगी। हाल के वर्षों में, सुप्रीम कोर्ट ने कई बार सरकारी नीतियों को अवरुद्ध किया है और प्रधानमंत्रियों को पद से हटाया है।
पाकिस्तान में अब तक तीन बार जनरलों द्वारा सैन्य तख्तापलट हो चुका है। पहला 1958 में अयूब खान द्वारा, 1977 में जिया-उल-हक द्वारा और 1999 में परवेज मुशर्रफ द्वारा किया गया था। हालांकि पिछले तख्तापलट नागरिक शासन को उखाड़ फेंककर किए गए थे, मुनीर ने शहबाज शरीफ को भी इसमें भागीदार बना दिया है।
यद्यपि सेना के पास पहले से ही व्यापक शक्ति है, लेकिन नए बदलावों से उसे संवैधानिक समर्थन मिलेगा, जिसे उलटना आसान नहीं होगा। पूर्व रक्षा सचिव लेफ्टिनेंट जनरल आसिफ यासीन मलिक ने पाकिस्तानी अखबार डॉन को बताया, "यह संशोधन रक्षा ढांचे को मजबूत करने के बजाय किसी विशिष्ट व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया गया प्रतीत होता है।"
काबुल स्थित मीडिया आउटलेट टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, यह संशोधन मुनीर जैसे शीर्ष जनरलों को कानूनी कार्यवाही से छूट प्रदान करता है। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने जियो न्यूज को बताया कि "रक्षा आवश्यकताएं विकसित हो गई हैं" और सरकार तथा सेना के बीच "परस्पर परामर्श" हुआ है।

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