जयंतीलाल भंडारी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्रंप की टैरिफ की चुनौती को देखते हुए देशवासियों से स्वदेशी उत्पाद खरीदने और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को हरसंभव तरीके से आगे बढ़ाने का आह्वान करते हुए कहा कि हम जितना ज्यादा स्वदेशी अपनाएंगे, उतना ही देश मजबूत होगा। इसके बाद स्वतंत्रता दिवस पर उन्होंने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के सरलीकरण की जो घोषणा की उससे एमएसएमई को बड़ा लाभ होगा। देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाले एमएसएमई की चुनौतियों के समाधान के लिए नई रणनीति पर आगे बढ़ना भी जरूरी है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारतीय उत्पादों पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने का सीधा असर देश के एमएसएमई पर कुछ दिखने लगा है। उद्योग संगठनों के अनुमान के मुताबिक इससे एमएसएमई के 30 अरब डालर मूल्य के निर्यात पर सीधा असर पड़ेगा। कपड़ा, रत्न, रसायन और चमड़ा जैसे क्षेत्रों को ऊंचे टैरिफ से अधिक नुकसान की आशंका है। अमेरिकी खरीदार भारत के लिए अपने निर्यात आदेशों को बदल रहे हैं। बढ़े हुए टैरिफ से एमएसएमई की चुनौतियों से तमाम नौकरियां भी खतरे में पड़ गई हैं। कई बैंक ऋण देने में संकोच कर रहे हैं।

इसके अलावा डिजिटल ढांचा, कुशल श्रमिक, बाजार पहुंच, फंडिंग की कमी टेक्नोलाजी, सप्लाई चेन, डाटा सुरक्षा और स्किल डेवलपमेंट में भी उनकी चुनौतियां हैं। आइटी सेक्टर से जुड़े स्टार्टअप्स के समक्ष व्यावहारिक मार्गदर्शन, एक्सेस और प्रारंभिक निवेश की चुनौती है। खाद्य प्रसंस्करण जैसे उद्यमों में खराब तकनीक और कमजोर लाजिस्टिक व्यवस्था के कारण गुणवत्ता में कमी की चुनौती है। ऊर्जा की अनियमित आपूर्ति और बड़ी कंपनियों से भुगतान में देरी एमएसएमई के विकास में बड़ी बाधा हैं।

एमएसएमई क्षेत्र की उत्पादन, निर्यात और रोजगार में अहम भूमिका है। एमएसएमई मंत्री ने हाल में संसद में बताया कि देश में इस समय पंजीकृत 6.5 करोड़ एमएसएमई करीब 28 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं। देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में एमएसएमई का योगदान करीब 30.1 प्रतिशत है। एमएसएमई विनिर्माण में 35.4 प्रतिशत और निर्यात में 45.73 प्रतिशत योगदान दे रहे हैं। चालू वित्त वर्ष के बजट में एमएसएमई सेक्टर को मजबूत करने के उद्देश्य से बहुआयामी उपायों की जो एक वृहद शृंखला प्रस्तुत की गई, उसके क्रियान्वयन पर तेजी से आगे बढ़ना होगा। इसके तहत वित्तीय सहायता और खरीद नीतियों से लेकर क्षमता निर्माण और बाजार एकीकरण तक की पहल शामिल हैं।

प्रमुख पहलों में उद्यम पंजीकरण पोर्टल, पीएम विश्वकर्मा योजना और एमएसएमई के लिए सार्वजनिक खरीद नीति शामिल हैं। इनका उद्देश्य उद्यमिता को प्रोत्साहन देना, रोजगार बढ़ाना और अनौपचारिक क्षेत्रों को औपचारिक अर्थव्यवस्था में एकीकृत करना है। उद्योगों का विस्तार करने और दक्षता में सुधार करने में मदद करने के लिए, एमएसएमई वर्गीकरण के लिए निवेश और टर्नओवर सीमा बढ़ा दी गई है। चालू वित्त वर्ष में एमएसएमई को दिए जाने वाले कर्ज का लक्ष्य पिछले वर्ष की तुलना में करीब 20 प्रतिशत बढ़ाया गया है। सरकार निर्यातकों को सहारा देने के लिए 2,250 करोड़ रुपये के निर्यात संवर्धन मिशन को तेजी से लागू करने और बिना रेहन (गिरवी) के कर्ज देने की डगर पर आगे बढ़ रही है।

टैरिफ तूफान के बीच एमएसएमई की क्षमताओं को उन्नत करने, संचालन को सुव्यवस्थित करने तथा निर्यात झटके से निपटने के लिए एमएसएमई को नीतिगत समर्थन का लाभ दिया जाना होगा। एमएसएमई को बढ़ावा देने की नई योजना, कारोबार में सुगमता, वैश्विक बाजार में सरल पहुंच, अनुपालन बोझ में कमी, जीएसटी दरों में सरलता पर ध्यान देना। एमएसएमई को सीधे मदद और प्रक्रियाओं के माध्यम से मदद, दोनों ही दिशा में आगे बढ़ना होगा। सरकार द्वारा एमएसएमई के कारोबार को आसान बनाने और घरेलू खपत को बढ़ाने के तरीकों पर नए सिरे से आगे बढ़ना होगा। नई सप्लाई चेन और नए बाजारों की तलाश भी करनी होगी।

दूसरे देशों में वेयरहाउसिंग की सुविधा और वैश्विक ब्रांडिंग की पहल भी आवश्यक है। इस पर भी ध्यान देना होगा कि बुनियादी ढांचे की मजबूती, अधिक लाजिस्टिक्स सुविधाएं, कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराए जाने जैसी योजना को फिर से शुरू कर तथा ऋण गारंटी कार्यक्रमों का विस्तार करने जैसे उपायों से एमएसएमई को वित्तीय राहत और स्थिरता प्रदान की जानी चाहिए। एमएसएमई के हित में उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआइ) योजना का विस्तार करने से विशेष रूप से निर्यात-उन्मुख एमएसएमई लाभान्वित होंगे। नवाचार की नई लहर एमएसएमई के लिए नया अध्याय लिख सकती है।

हमारे एमएसएमई गुणवत्ता में सुधार के साथ ही नई तकनीक अपनाते हुए ही वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक शक्ति को रणनीतिक रूप से बढ़ा सकते हैं। चूंकि एमएसएमई आर्थिकी के एक मजबूत इंजन की तरह काम कर रहे हैं, इसलिए उन्हें लगातार सहयोग, प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता दी जानी चाहिए। इस सबके साथ-साथ एमएसएमई क्षेत्र को नवाचार, प्रतिस्पर्धा, क्षमता में सुधार और शोध की डगर पर आगे बढ़ने की तैयारी करनी होगी। यह आशा की जानी चाहिए कि प्रधानमंत्री मोदी की ओर से जीएसटी में सुधार समेत जो अनेक घोषणाएं की गई हैं, वे कारगर तरीके से शीघ्रतापूर्वक आकार लेंगी।

(लेखक अर्थशास्त्री हैं)