डा. एके वर्मा। स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने 12वें उद्बोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नए भारत और राष्ट्र प्रथम को सर्वोपरि रखते हुए एक तरह से नव पंचशील सिद्धांत का उद्घोष किया। अप्रैल 1954 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और चीन के पीएम चाऊ एन लाई ने पंचशील सिद्धांत का निरूपण किया था, जो पारस्परिक सम्मान, अहस्तक्षेप, समानता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व पर आधारित था, पर 1962 में चीन ने हमारे हजारों किमी भू-भाग पर कब्जा कर उसकी अंत्येष्टि कर दी।

प्रधानमंत्री मोदी को 2014 में विरासत में विषम आंतरिक और बाह्य परिस्थितियां मिलीं। उनका सामना करते हुए उन्होंने पंचशील सिद्धांत का पालन किया। विगत 11 वर्षों में उन्होंने भारत की वैश्विक छवि और शक्ति में गुणात्मक परिवर्तन किया है। पाकिस्तानी आतंकियों की ओर से पहलगाम में लोगों का मजहब पूछकर हत्या के बाद पाकिस्तान के खिलाफ आपरेशन सिंदूर ने भारत की सैन्य शक्ति से विश्व को परिचित कराया। मोदी ने विश्व को संदेश दिया कि यह नया भारत है, जो पुराने पंचशील सिद्धांत का अनुपालन करते हुए एक नव पंचशील सिद्धांत का उद्घोष करता है।

मोदी का नव पंचशील सिद्धांत नई सैन्य रणनीति, कुशल विदेश नीति, चतुर कूटनीति, नवीन आर्थिक संकल्पना और हिंदुत्ववादी समावेशी राजनीति पर आधारित है। यह उभरते भारत की अस्मिता है। भारतीय सेना के शौर्य एवं पराक्रम की चर्चा पूरे विश्व में हमेशा रही है, पर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और रणनीतिक कमजोरियों के चलते कई बार सेना का सामर्थ्य व्यर्थ हो गया, वह चाहे 1962 में चीन से, 1965 में पाकिस्तान से युद्ध हो या 1971 में बांग्लादेश युद्ध।

1965 और 1971 में भारत अपनी विजय के बावजूद कुछ भी हासिल नहीं कर पाया। इससे पाकिस्तान को भ्रम हो गया कि भारत उसके प्रति आक्रामक रुख नहीं अपना सकता। नाभिकीय शक्ति प्राप्त करने के बाद पाकिस्तान और भी आश्वस्त हो आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने लगा, पर मोदी ने देश की सैन्य रणनीति का ‘गियर’ बदल दिया है। पहलगाम में आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान के खिलाफ किए गए आपरेशन सिंदूर ने दिखाया कि अब आतंकी गतिविधियों का प्रत्युत्तर भारत कैसे देगा। मोदी की घोषणा कि ‘आतंकी हमलों को युद्ध की संज्ञा दी जाएगी’ भारतीय सैन्य रणनीति को एक नया आयाम देती है।

आपरेशन सिंदूर को स्थगित करना पाकिस्तान पर सदैव लटकने वाली तलवार है, जो न केवल उसके नाभिकीय ब्लैकमेल को दरकिनार करती है, वरन वहां की सरकार और सेना पर मनोवैज्ञानिक दबाव भी बनाती है। 15 अगस्त को मिशन सुदर्शन चक्र की घोषणा कर मोदी ने बाहरी आक्रमण से संवेदनशील प्रतिष्ठानों को सुरक्षित करना और सशक्त प्रत्युत्तर देना भी सैन्य रणनीति में शामिल किया है। विदेश नीति में वैश्विक शक्तियों से समान दूरी के सिद्धांत का परित्याग कर मोदी ने सबसे समान निकटता का सिद्धांत अपनाया है, जो वसुधैव कुटुंबकम् के अनुरूप है। उन्होंने अगस्त 2025 तक 78 देशों की यात्राएं की हैं और 27 देशों ने उन्हें अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया है।

वे वैश्विक प्रतिस्पर्धियों जैसे अमेरिका-रूस, रूस-यूक्रेन, अरब-इजरायल, अमेरिका-चीन तथा अन्य छोटे-बड़े सभी देशों से बात कर सकते हैं। उनकी विदेश नीति में पंचशील से आगे पंचामृत के दर्शन होते हैं, जो सम्मान, संवाद, संवृद्धि, सुरक्षा, संस्कृति एवं सभ्यता से निर्मित है। मोदी भारतीय सम्मान से समझौता किए बिना सभी देशों से संवाद करते हैं, ताकि सभी का हित हो और किसी की सुरक्षा, संस्कृति एवं सभ्यता पर आंच न आए। इसीलिए चीन से तमाम तनाव के बावजूद वे चीन जा रहे हैं।

कूटनीतिक कुशलता नव पंचशील का तीसरा तत्व है, जिसमें यथार्थवाद और नैतिकता का अद्भुत समन्वय है। अपनी कूटनीति से मोदी सबको चकित करते हैं। उनमें चातुर्य के साथ सहनशीलता है। वे साम, दाम, दंड और भेद का समुचित प्रयोग करते हैं। आपरेशन सिंदूर के बाद उनकी ओर से विभिन्न देशों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजना इसका उदाहरण है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से भारत-पाकिस्तान के बीच टकराव पर बार-बार मध्यस्थता का श्रेय लेने की कोशिश और असभ्य राजनयिक भाषा के प्रयोग का जवाब देने की विपक्षी चुनौती को अनदेखा कर मोदी ने दृढ़ता से, पर सभ्य राजनयिक भाषा में प्रत्युत्तर दिया। उन्होंने ट्रंप के अमेरिका आने के आमंत्रण को सधन्यवाद अस्वीकार किया और संसद में स्पष्ट किया कि भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम बिना किसी मध्यस्थ के पाकिस्तान के आग्रह पर हुआ। उनकी कूटनीति भारतीय बाजार के हितों के संरक्षण हेतु प्रतिबद्ध है, ताकि भारत को विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाया जा सके। वे किसी सामरिक संघर्ष में उलझना नहीं चाहते।

नव पंचशील का चौथा तत्व आर्थिक सामर्थ्य है, जो स्वदेशी और आत्मनिर्भरता के स्तंभों पर खड़ा है। गांधीजी ने स्वतंत्रता संग्राम में स्वदेशी को हथियार के रूप में प्रयोग किया था। पीएम मोदी भी स्वदेशी का आह्वान कर नव साम्राज्यवाद से लड़ रहे हैं। सर्वाधिक जनसंख्या वाले भारत की वैश्विक निर्णयन में बराबरी की भूमिका हो, इसके लिए मोदी ने स्पष्ट संदेश दिया कि वे भारतीय बाजार को अमेरिकी लूट के लिए नहीं खोलेंगे और भारत किसानों, पशुपालकों और मछुआरों के हितों से समझौता नहीं करेगा।

फाइटर जेट इंजन, सेमीकंडक्टर आदि का देश में निर्माण कर वे भारत को विकसित बनाना चाहते हैं। उनके नव पंचशील का पांचवां तत्व समावेशी राजनीति है, जो जातिवादी अस्मिता की राजनीति से आगे निकल वर्ग राजनीति की ओर जाती है। इसीलिए वह चार वर्गों- महिलाओं, युवाओं, छोटे किसानों और गरीब-शोषित-वंचित को विशेष तरजीह देते हैं। वे 140 करोड़ देशवासियों की बात करते हैं। हिंदुत्व को केंद्र में रख उन्होंने श्रीरामजन्मभूमि मंदिर का निर्माण कराया, अनुच्छेद-370 खत्म किया और अब समान नागरिक संहिता की ओर अग्रसर हैं। उनका नव पंचशील सिद्धांत भारत के वैश्विक संबंधों को पुनर्परिभाषित कर एक नई भू-राजनीतिक व्यवस्था को जन्म देने में तो समर्थ है ही, भारतीय लोकतंत्र के पारंपरिक व्याकरण को बदलने की संभावनाएं भी संजोए है।

(लेखक सेंटर फार द स्टडी आफ सोसायटी एंड पालिटिक्स के निदेशक एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)