प्रधानमंत्री की ओर से लाल किले की प्राचीर से जीएसटी में व्यापक सुधार की घोषणा के अनुरूप वस्तु एवं सेवा कर को तर्कसंगत बनाने के लिए गठित समूह ने 5 और 18 प्रतिशत के केवल दो स्लैब के केंद्र सरकार के प्रस्ताव का जो अनुमोदन किया, उसे सभी राज्यों की सहमति मिलनी चाहिए।

जीएसटी की 12 और 28 प्रतिशत वाली श्रेणियां हटाकर केवल 5 और 18 प्रतिशत वाली दो श्रेणियां समय की मांग हैं।

इसकी जरूरत इसलिए भी जताई जा रही थी, क्योंकि इससे एक तो जटिलता बढ़ रही थी और दूसरे, रोजमर्रा की कुछ आवश्यक वस्तुएं महंगी भी थीं। जीएसटी के दो स्लैब का लाभ केवल आम आदमी को ही नहीं, कारोबार जगत को भी मिलेगा।

इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि राजस्व में आने वाली फौरी कमी आने वाले समय में बढ़ सकती है, क्योंकि तंबाकू जैसे अहितकारी एवं लक्जरी कारों समेत अन्य चुनिंदा विलासी मानी जाने वाली वस्तुओं पर से उपकर हटाकर 40 प्रतिशत की एक विशेष श्रेणी का प्रस्ताव किया गया है।

आशा है कि जीएसटी काउंसिल इसी दिशा में आगे बढ़ेगी और फैसले लेगी, लेकिन केवल दो स्लैब वाला जीएसटी ही पर्याप्त नहीं। इसके साथ ही इस टैक्स व्यवस्था में अन्य अपेक्षित बदलाव भी किए जाने चाहिए, ताकि कारोबारियों को अधिक कागजी काम न करने पड़ें और टैक्स चोरी भी रुके।

एक आंकड़े के अनुसार वित्त वर्ष 2023 में लगभग 1.32 लाख करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी का पता चला। जीसएटी चोरी के खिलाफ सख्ती बरती ही जानी चाहिए, लेकिन उसके कारणों की तह तक भी जाना होगा।

उचित यह भी होगा कि केंद्र और राज्य सरकारें शराब और पेट्रोलियम पदार्थों को भी जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार करें। यह भी आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य है कि जीएसटी के साथ ही अन्य आर्थिक सुधारों पर भी तेजी से आगे बढ़ा जाए।

इस संदर्भ में प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर नए दौर के आर्थिक सुधारों के लिए एक विशेष कार्यबल बनाने की जो घोषणा की, उस पर अमल होते हुए दिखना चाहिए। ऐसा इसलिए आवश्यक है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत के खिलाफ शत्रुतापूर्ण रवैया अपना रखा है। वे भारत के हितों के खिलाफ काम कर रहे हैं।

भारत के समक्ष उनकी मनमानी टैरिफ नीति का डटकर मुकाबला करने के अलावा और कोई उपाय नहीं। यह अच्छा है कि भारत ऐसा ही कर रहा है, लेकिन इसी के साथ यह सुनिश्चित करने की भी आवश्यकता है कि भारतीय कारोबार जगत अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा का सामना करने में सक्षम बने।

उसे जीएसटी में प्रस्तावित सुधारों का लाभ उठाकर खुद को सक्षम बनाना होगा और चीनी वस्तुओं पर अपनी निर्भरता खत्म करने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजर में अपने उत्पादों के लिए जगह भी बनानी होगी।