कश्मीर के कुलगाम के घने जंगलों में आतंकियों के खिलाफ सेना एवं सुरक्षाबलों के अभियान का नौवें दिन भी जारी रहना यह बताता है कि आतंकवादियों और उनके समर्थकों की कमर तोड़ना अभी भी शेष है। यह काम प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए, क्योंकि यह सामान्य बात नहीं कि कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ नौ दिन तक अभियान चलाना पड़े और फिर भी उनका अंत न हो।

इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि कश्मीर के इस सबसे लंबे आतंकरोधी अभियान में हमारे दो सैनिकों को अपना सर्वोच्च बलिदान देना पड़ा। राष्ट्र इनका सदैव ऋणी रहेगा। ऐसे सर्वोच्च बलिदान का स्मरण रखने के साथ ही यह भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि आतंकी किसी भी तरह हमारे जवानों को क्षति न पहुंचाने पाएं।

कुलगाम के जंगलों में आतंकियों के खिलाफ जिस दिन अभियान शुरू किया गया, उसी दिन एक आतंकी को मार गिराया गया था। शेष बचे आतंकी इतने दिनों तक सेना एवं सुरक्षाबलों का सामना करने में चाहे जिन कारणों से सफल रहे हों, उनका समूल नाश किया जाना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। इसी के साथ यदि यह साबित होता है कि कुलगाम के दुर्गम इलाके में छिपे आतंकी पाकिस्तान से आए थे अथवा इन आतंकियों के पीछे पाकिस्तान का सहयोग और समर्थन है तो सरकार एवं सेना को यह बताने-स्मरण कराने की आवश्यकता नहीं कि आपरेशन सिंदूर स्थगित हुआ है, खत्म नहीं।

पाकिस्तान को नए सिरे से और कठोर सबक सिखाने की तैयारी की जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त भारत को विश्व समुदाय को यह भी बताना चाहिए कि आपरेशन सिंदूर के जरिये पाकिस्तान के खिलाफ अब तक की कठोरतम कार्रवाई के बाद भी उसके होश ठिकाने नहीं आए हैं।

पाकिस्तान की हरकतों के लिए परोक्ष रूप से ही सही, विश्व के प्रमुख राष्ट्रों और विशेष रूप से अमेरिका को कठघरे में खड़ा करने में संकोच नहीं किया जाना चाहिए। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को तो खास तौर पर यह याद दिलाना चाहिए कि वह जिस पाकिस्तान की तारीफ करते हुए नहीं थक रहे हैं, वह आतंक का गढ़ और भारत के लिए खतरा बना हुआ है। हो सकता है कि ट्रंप जिहादी सोच वाले और पहलगाम आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष आसिम मुनीर को आगे भी अमेरिका बुलाकर भोज कराना पसंद करें, लेकिन भारत को यह तो कहना ही चाहिए कि उसने यह तय कर लिया है कि किसी भी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी हमले को युद्ध की तरह देखेगा और प्रतिकार करेगा। यह सही समय है कि भारत सरकार कश्मीर में आतंकियों के खुले-छिपे समर्थकों के खिलाफ भी और अधिक सख्त हो।