जागरण संपादकीय: मतांतरण रोधी कानून, सुप्रीम कोर्ट का राज्यों को नोटिस
इसका एक उदाहरण कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में छांगुर बाबा के काले कारनामे से मिला था। ऐसे तमाम उदाहरणों के बाद भी यदि कुछ लोगों को लगता है कि मतांतरण रोधी कानून धार्मिक स्वतंत्रता का हनन करने वाले हैं तो इसका मतलब है कि वे मुगालते में हैं। ऐसे लोगों को यह भी लगता है कि लव जिहाद एक कपोल कल्पना है।
विभिन्न राज्यों के मतांतरण रोधी कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से संबंधित राज्यों को नोटिस देना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात आदि के मतांतरण रोधी कानूनों को जमीयत उलमा ए हिंद और सिटीजन फार जस्टिस एंड पीस जैसे संगठनों ने यह कहते हुए चुनौती दी है कि ये कानून अलग-अलग पंथों से संबंधित जोड़ों को परेशान करने का जरिया बन गए हैं।
इन संगठनों की ओर से चाहे जो कहा जाए, सच यह है कि देश में कई समूह छल-कपट और लोभ-लालच से मतांतरण कराने में लगे हुए हैं। वास्तव में भारत शातिर इरादों से कराए जाने वाले मतांतरण का भुक्तभोगी है। छल-छद्म से मतांतरण अभियान स्वतंत्रता के बाद से ही शुरू हो गए थे। ऐसे अभियान ईसाई मिशनरियों की ओर से शुरू किए गए और उन्होंने पहले पूर्वोत्तर राज्यों की जनजातियों को निशाना बनाया और फिर मध्य प्रदेश, ओडिशा जैसे राज्यों के जनजातीय बहुल इलाकों को।
क्या यह किसी से छिपा है कि पूर्वोत्तर के साथ मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा में न जाने कितने आदिवासी ईसाई बन चुके हैं। ऐसा कोई दावा हास्यास्पद ही होगा कि ये गरीब-अशिक्षित लोग अंतःप्रेरणा से ईसाई बने। ईसाई मिशनरियां किस तरह बेलगाम हैं, इसका पता पंजाब में उनकी सक्रियता से चलता है।
जैसे मतांतरण कराने वाली ईसाई मिशनरियों को सारी दुनिया के लोगों को यीशु की शरण में लाने की सनक सवार है, वैसे ही कुछ इस्लामी संगठन यह जिद पकड़े हैं कि सभी को दीन की राह पर चलना चाहिए। यह एक तथ्य है कि दीन की दावत देने के लिए दावा सेंटर चलाए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त कुछ मजहबी कट्टरपंथी तत्व भी लोगों का छल-बल से मतांतरण कराते हैं।
इसका एक उदाहरण कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में छांगुर बाबा के काले कारनामे से मिला था। ऐसे तमाम उदाहरणों के बाद भी यदि कुछ लोगों को लगता है कि मतांतरण रोधी कानून धार्मिक स्वतंत्रता का हनन करने वाले हैं तो इसका मतलब है कि वे मुगालते में हैं। ऐसे लोगों को यह भी लगता है कि लव जिहाद एक कपोल कल्पना है। उन्हें इससे परिचित होना चाहिए कि यह शब्द केरल हाई कोर्ट की देन है।
उसने अंतर धार्मिक विवाह के कई मामलों में यह पाया था कि युवतियों को मतांतरित करने के लिए उन्हें प्रेमजाल में फंसाया गया। बाद में ऐसे मामले देश के अन्य हिस्सों से सामने आने का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह थमने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे कुछ मामलों में दोषियों को सजा भी हो चुकी है, लेकिन इसके बाद भी कुछ लोग यह कहते हैं कि ऐसा कुछ नहीं है। वस्तुतः इसी कारण एक के बाद एक राज्यों को मतातंरण रोधी कानून बनाने पड़े हैं।
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